भारत की विभिन्न भाषाओं की पहली फिल्म

भारतीय फिल्म के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। इस लेख में हमने भारत की विभिन्न भाषाओं की पहली फिल्मो के बारे में बताया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

Jul 19, 2018, 15:59 IST
First Film of Different Languages of India HN
First Film of Different Languages of India HN

भारतीय फिल्म उद्योग विश्व के सबसे पुराने और सबसे बड़े फिल्म उद्योगों में से एक है। यह भारतीय संस्कृति की तरह विविध है। भारतीय फिल्म के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं।

भारत की विभिन्न भाषाओं की पहली फिल्म

1. हिंदी

फिल्म का नाम: राजा हरिश्चंद्र

वर्ष: 1913

यह भारतीय मूक फ़िल्म थी, जिसका निर्माता निर्देशक दादासाहब फालके थे और यह भारतीय सिनेमा की प्रथम पूर्ण लम्बाई की नाटयरूपक फ़िल्म थी। फ़िल्म भारत की कथाओं में से एक जो राजा हरिश्चन्द्र की कहानी पर आधारित है।

2. कन्नड़

फिल्म का नाम: सती सुलोचना

वर्ष: 1934

यह फिल्म रामायण चरित्र सुलोचना पर आधारित है जिसको वाई.वी राव के निर्देशन में बनाया गया था।

3. तमिल

फिल्म का नाम:  कीचक वधम

वर्ष: 1917

इसे आर नटराज मुदलियर द्वारा निर्देशित, फिल्माया और संपादित किया गया था। यह दक्षिण भारत का पहला मूक फ़िल्म है।

4. तेलुगू

फिल्म का नाम: भीष्म प्रतिज्ञा

वर्ष: 1921

यह तेलुगू मूक फ़िल्म थी, जिसके निर्माता रघुपति वेंकैया नायडू (तेलुगू सिनेमा के पिता) थे।

5. मलयालम

फिल्म का नाम: विगाथाकुमारण

वर्ष: 1920

6. असमी

फिल्म का नाम: जोयमोती

वर्ष: 1935

यह पहली भारतीय फिल्म है जिसमे डबिंग और री-रिकॉर्डिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था, और भारतीय सिनेमा में "यथार्थवाद" और राजनीति के साथ जुड़ने वाला पहला भारतीय फिल्म है।

7. बंगला

फिल्म का नाम: बिल्वामंगल

वर्ष: 1919

यह वाइट-ब्लैक मूक फ़िल्म थी, जिसके निर्माता रूस्तमजी धोतिवाला थे।

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8. गुजराती

फिल्म का नाम: नरसिंह मेहता

वर्ष: 1932

यह फिल्म संत-कवि नरसिंह मेहता के जीवन पर आधारित थी।

9. मराठी

फिल्म का नाम: श्री पुंडलिक

वर्ष: 1912

दादासाहेब तोर्न उर्फ राम चन्द्र गोपाल द्वारा निर्मित और निर्देशित यह पहली विशेषता-लंबाई वाली भारतीय फिल्म थी।

10. ओडिया

फिल्म का नाम: सीता बिबाह

वर्ष: 1936

यह फिल्म मोहन सुंदर देब गोस्वामी द्वारा निर्देशित महाकाव्य रामायण पर आधारित थी।

11. पंजाबी

फिल्म का नाम: हीर रांझा

वर्ष: 1932

यह पंजाब की चार प्रसिद्ध प्रेम-कथाओं में से एक है। इसके अलावा मिर्ज़ा-साहिबा, सस्सी-पुन्नुँ और सोहनी-माहीवाल बाक़ी तीन हैं। इस फिल्म के निर्देशक ए.आर करदार थे जिन्होंने इस फिल्म का नाम  ‘हूर पंजाब’ से ‘हीर रांझा’ कर दिया था।

12. कोंकणी

फिल्म का नाम: मोगचो औंद्दो

वर्ष: 1950

यह ए.एल जैरी ब्रैगन द्वारा निर्माता निर्मित फिल्म थी। पुर्तगालियों द्वारा शासित भारत में बनाई जाने वाली यह एकमात्र फिल्म है।

13. भोजपुरी

फिल्म का नाम: गंगा मइया तोहे पियरी चढइबो

वर्ष: 1963

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर कुंदन कुमार द्वारा निर्देशित किया गया था और बिश्वानथ प्रसाद शाहबादी द्वारा निर्मित किया गया था। यह फिल्म विधवा पुनर्विवाह पर आधारित है।

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14. तुलू

फिल्म का नाम: एन्ना थान्गादी

वर्ष: 1971

यह आर. राजन द्वारा निर्देशित किया गया था।

15. बदागा

फिल्म का नाम: काला तापिता पाईलू

वर्ष: 1979

16. कोसली

फिल्म का नाम: भूकना

वर्ष: 1989

17. कश्मीरी

फिल्म का नाम: मिंज रात

वर्ष: 1964

यह जगजीराम पाल द्वारा निर्देशित किया गया था।

18. राजस्थानी

फिल्म का नाम: निजराणो

वर्ष: 1942

यह राजस्थानी भाषा में बनाई गई पहली फिल्म है।

19. गढ़वाली

फिल्म का नाम: जग्वाल

वर्ष: 1983

इसे 1983 में पारसर गौर द्वारा बनाया गया था।

भारतीय लोकप्रिय फिल्म की परम्पराएँ 6 प्रमुख प्रभावों से बनी है। पहला; प्राचीन भारतीय महाकाव्यों महाभारत और रामायण ने भारतीय सिनेमा के विचार और कल्पना पर गहरा प्रभाव छोड़ा है विशेषकर कथानक पर। दूसरा : प्राचीन संस्कृत नाटक, अपनी शैलीबद्ध स्वरुप और प्रदर्शन पर महत्व के साथ संगीत, नृत्य और भाव भंगिमा मिलकर " जीवंत कलात्मक इकाई का निर्माण करते हैं जहाँ नृत्य और अनुकरण/स्वांग नाटकीय अनुभव का केंद्र हैं"। तीसरा: पारम्परिक लोक भारतीय थिएटर, जो 10 वी शताब्दी में संस्कृत नाटक के पतन के बाद लोकप्रिय हुआ। इन क्षेत्रीय प्रथाओं में बंगाल की जात्रा, उत्तर प्रदेश की राम लीला, कर्णाटक का यक्षगान, आंध्र प्रदेश का चिन्दु नाटकम्, और तमिलनाडु का तेरुक्कुटू है।

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