हनुमान जयंती के अवसर पर जानें हनुमानजी से जुड़े 10 रोचक तथ्य

Apr 8, 2020, 07:33 IST

भगवान हनुमान के जन्मदिन के तौर पर हनुमान जयंती मनाई जाती हैl  यह साल में दो बार मनाई जाती है. पहली जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा को और दूसरी कार्तिक मास में दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के दिनl हनुमान जयंती को पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाता है परन्तु इस बार कोरोना वायरस की वजह से भक्त मन्दिर में दर्शन करने नहीं जा पाएंगेlआइये हनुमान जयंती के अवसर पर हनुमानजी से संबंधित 10 रोचक तथ्यों पर अध्ययन करते हैंl  

Hanuman Jayanti
Hanuman Jayanti

कुछ लोगों का मानना है कि हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर विराजमान हैl यूँ तो हम विभिन्न टीवी धारावाहिकों के कारण विभिन्न देवी देवताओं के बारे में बहुत कुछ जानते हैं लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जिनके बारे में सभी लोग नहीं जानते हैंl 

वर्तमान समय में अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में साहस और ताकत पाने की इच्छा रखते है तो उसे भगवान हनुमान की आराधना करने की सलाह दी जाती हैl इसका कारण यह है कि हिन्दू पौराणिक कथाओं में हनुमानजी को सबसे अधिक बलशाली और ताकतवर देवता कहा गया हैl 

हनुमानजी से जुड़े 10 रोचक तथ्य

1. हनुमानजी के पांच सगे भाई भी थे
 
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हनुमानजी के पांच सगे भाई भी थे और वह पांचों ही विवाहित थे। इस बात का उल्लेख “ब्रह्मांडपुराण” में मिलता हैl इस पुराण में भगवान हनुमान के पिता केसरी एवं उनके वंश का वर्णन शामिल है। इस पुराण में वर्णित है वानर राज केसरी के 6 पुत्र थे, जिनमें सबसे बड़े पुत्र “हनुमानजी” थेl हनुमानजी के भाईयों के नाम क्रमशः मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान था और इन सभी की संतान भी थीं, जिससे इनका वंश कई वर्षों तक चलाl

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2. पवनपुत्र हनुमान भगवान शिव के अवतार थे
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एक बार स्वर्ग में रहने वाली अप्सरा “अंजना” को एक ऋषि ने शाप दिया था कि जब वह किसी से प्रेम करेगी तो उसका चेहरा बंदर के समान हो जाएगाl अतः उन्होंने भगवान ब्रह्मा से मदद के लिए गुहार लगाईl भगवान ब्रह्मा की कृपा से उन्होंने पृथ्वी पर मानव के रूप में जन्म लियाl बाद में अंजना वानरों के राजा केसरी के साथ प्रेम करने लगी और दोनों ने शादी कर लीl अंजना भगवान शिव की परम भक्त थी और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दियाl
कुछ दिन बाद जब राजा दशरथ पुत्रोष्टि यज्ञ कर रहे थे, जिसके बाद ऋषि ने उन्हें अपनी सभी पत्नियों को खिलाने के लिए खीर दिया। रानी कौशल्या के हिस्से का कुछ खीर एक चील लेकर भाग गयाl वह चील जब खीर लेकर उड़ रहा था तो भगवान शिव के संकेत पर वायु देव ने उस खीर के कुछ हिस्से को ध्यान कर रही अंजना के हाथों पर गिरा दियाl अंजना ने इसे भगवान शिव का प्रसाद समझकर खा लिया, जिसके परिणाम स्वरूप अंजना ने पवनपुत्र हनुमान को जन्म दिया, जो भगवान शिव के अवतार हैंl

3. हनुमानजी का नाम “बजरंगबली” पड़ने का कारण
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एक बार देवी सीता को सिंदूर लगाते देखकर हनुमानजी ने उनसे पूछा कि “वह सिंदूर क्यों लगाती है”l इस पर देवी सीता ने जवाब दिया कि “चूंकि श्रीराम उनके पति हैं अतः मैं उनकी लम्बी उम्र की कामना के लिए सिंदूर लगाती हूँl” यह सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि अगर देवी सीता द्वारा थोड़ा सिंदूर लगाने से श्रीराम की उम्र लम्बी हो सकती है तो अगर मैं पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लूँ तो श्रीराम की उम्र कई गुना बढ़ जाएगीl ऐसा सोचकर उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लियाl चूंकि सिंदूर को “बजरंग” भी कहा जाता है अतः उस दिन के बाद से हनुमानजी को “बजरंगबली” भी कहा जाने लगा और यही कारण है कि जब भी उनकी पूजा होती है तो उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता हैl   

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4. संस्कृत में “हनुमान”  का अर्थ “विकृत जबड़ा”
संस्कृत भाषा में  “हनु” का अर्थ है “जबड़ा” और “मान” का अर्थ है “विरूपित करना”l क्या आपको पता है कि हनुमानजी का बचपन का नाम “मारूति” थाl एक बार बालक मारूति ने भगवान सूर्य को फल समझकर खा लिया था, जिससे पूरे संसार में अँधेरा छा गया थाl इस घटना से क्रोधित होकर भगवान इन्द्र ने बालक मारूति पर वज्र से प्रहार किया, जिससे उनका जबड़ा टूट गया और वह मूर्छित हो गएl इसी घटना के बाद से बालक मारूति “हनुमान” के नाम से प्रसिद्ध हुएl

5. ब्रह्मचारी होने के बावजूद हनुमानजी एक पुत्र के पिता थे
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रह्मचारी होने के बावजूद हनुमानजी एक पुत्र के पिता थेl हनुमानजी के पुत्र का नाम “मकरध्वज” था और उसका जन्म एक मछली के पेट से हुआ थाl जब हनुमानजी ने पूरे लंका को जलाने के बाद अपनी पूंछ और अपने शरीर को ठंडा करने के लिए समुद्र में डुबकी लगाई तो उनके शरीर से निकले पसीने को एक मछली निगल गईl बाद में उसी मछली के परत से मकरध्वज का जन्म हुआl

6. भगवान राम द्वारा हनुमानजी के खिलाफ मौत की सजा सुनाना
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एक बार नारद के कहने पर हनुमानजी ने विश्वामित्र को छोड़कर सभी संतों का स्वागत किया, क्योंकि विश्वामित्र भी किसी समय एक बार राजा थेl इस बात से विश्वामित्र काफी नाराज हुए और उन्होंने भगवान राम से हनुमानजी को मृत्युदंड देने के लिए कहाl चूंकि विष्णमित्र भगवान राम के गुरू थे अतः वे उनके आदेश को टाल नहीं सके और हनुमानजी पर वाणों की बौछार कर दीl अपने तरफ वाणों को आता देखकर हनुमानजी राम नाम का जाप करने लगे, जिसके कारण सभी वाण लौट गएl यह देखकर भगवान राम ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, लेकिन ब्रह्मास्त्र भी ध्यानमग्न हनुमानजी की प्रदक्षिणा कर वापस लौट गयाl यह देखकर भगवान राम ने हनुमानजी को मृत्युदंड का विचार त्याग दियाl

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7. हनुमानजी ने भी रामायण की रचना की थी जो वाल्मीकि रामायण की तुलना में बेहतर संस्करण था
लंका विजय और भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद हनुमानजी हिमालय पर्वत पर चले गए और हिमालय की दीवारों पर राम की कहानी को अपने नाखूनों से उकेराl जब महर्षि वाल्मीकि अपने द्वारा रचित रामायण को दिखाने के लिए हनुमानजी के पास गए तो उन्होंने दीवारों को वर्णित रामायण को देखकर उदास हो गएl क्योंकि वाल्मीकि का मानना था कि हनुमान जी द्वारा रचित रामायण श्रेष्ठ है और उनके द्वारा रचित रामायण  की ओर किसी का ध्यान नहीं जाएगाl हनुमानजी ने जब वाल्मीकि को उदास देखा तो वह उनकी समस्या समझ गए और उन्होंने अपने द्वारा रचित रामायण को मिटा दियाl

8. हनुमानजी और भीम दोनों भाई थे
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हनुमानजी का जन्म पवनदेव की कृपा से हुआ थाl लेकिन क्या आपको पता है कि “भीम” का जन्म भी पवनदेव की कृपा से ही हुआ था? जब महाराज पांडु अपनी पत्नी कुंती और माद्री के साथ वन में रह रहे थे तो उसी समय महारानी कुंती ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से पवनदेव की आराधना की थी जिसके परिणामसवरूप “भीम” का जन्म हुआ थाl इस प्रकार हनुमानजी और “भीम” दोनों भाई थेl

9. भगवान राम द्वारा शरीर त्याग करते समय हनुमानजी का अनुपस्थित होना
जब भगवान राम अपना मनुष्य रूपी शरीर को त्याग कर वैकुंठ वापस जाने का निर्णय किया तो वह जानते थे कि हनुमानजी उनके परम भक्त हैं अतः वह उन्हें नहीं जाने देंगेl अतः उन्होंने अपनी अंगूठी को पाताल लोक में गिरा दिया और हनुमानजी को उसे ढूंढ़कर लाने का आदेश दियाl ऐसा सुनकर हनुमानजी अंगूठी को ढूंढने के लिए पाताललोक चले गएl इसी बीच भगवान राम ने सरयू नदी में डूबकी लगाकर अपने मनुष्यरूपी शरीर का त्याग कर दियाl  

10. हनुमानजी द्वारा देवी सीता द्वारा दिए गए उपहार को अस्वीकार करना
भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद देवी सीता ने सभी लोगों को उपहार दिया थाl इसी क्रम में उन्होंने हनुमानजी को एक खूबसूरत मोती का हार उपहार स्वरूप प्रदान कियाl हनुमानजी में उस हार के हरेक मोती को तोड़कर उसमें भगवान राम की छवि खोजने लगेl लेकिन जब उन्हें उस हार में भगवान राम के दर्शन नहीं हुए तो उन्होंने उस हार को अस्वीकार करते हुए कहा कि जिस वस्तु में भगवान राम की छवि न हो वह मुझे अस्वीकार्य हैl इसके बाद उन्होंने छाती फाड़कर लोगों को दिखाया कि उनके छाती में भी भगवान राम बसते हैंl

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