उत्तर प्रदेश के किस जिले को कहा जाता है रणभूमि का शहर, जानें

May 22, 2024, 12:29 IST

उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। इसके कुल क्षेत्रफल की बात करें, तो यह 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो कि पूरे भारत का 7.33 फीसदी है। इसके साथ ही यह भारत का सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। आपने प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि प्रदेश के किस जिले को हम रणभूमि के शहर के रूप में भी जानते हैं। यदि नहीं पता है, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

यूपी में रणभूमि का शहर
यूपी में रणभूमि का शहर

उत्तर प्रदेश विविध संस्कृति, अनूठी परंपराओं और समृद्ध इतिहास वाला राज्य है। भारत का यह राज्य कृषि, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रमुख राज्यों में शामिल है। इसके साथ ही यह सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। राज्य के प्रत्येक जिले की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं, जो कि राज्य को भारत में अलग राज्य से अलग बनाती हैं।

इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस जिले को हम रणभूमि के शहर के रूप में भी जानते हैं। यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

उत्तर प्रदेश में कुल जिले और मंडल

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि उत्तर प्रदेश में कुल कितने जिले और मंडल हैं ? उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। इसके साथ ही यहां 822 सामुदायिक विकास खंड, 351 तहसील और 17 नगर निगम हैं। प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला बलिया, सबसे उत्तरी जिला सहारनपुर, सबसे पश्चिमी जिला शामली और सबसे दक्षिणी जिला सोनभद्र है।

उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले की बात करें, तो यह लखीमपुर खीरी है, जो कि 7680 वर्ग किलोमीटर है। वहीं, सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो कि 660 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। 

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कौन-सा जिला है रणभूमि का शहर

अब हम यह जान लेते हैं कि उत्तर प्रदेश में कौन-सा जिला रणभूमि के शहर के रूप में भी जाना जाता है। आपको बता दें कि फतेहपुर जिला रणभूमि के शहर के रूप में भी जाना जाता है।

क्यों कहा जाता है रणभूमि का शहर

अब सवाल है कि आखिर फतेहपुर जिले को ही हम रणभूमि के शहर के रूप में भी क्यों जानते हैं, तो इसका जवाब है कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में जिले का अधिक महत्त्व रहा है। वहीं, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की लड़ाई में पूर्वाचल के जनपदों सहित बांदा व हमीरपुर के क्रांतिकारियों ने जिले को ही रणभूमि के रूप में स्वीकारा था।

इस दौरान बलिया के कर्नल भगवान सिंह और चीतू जैसे क्रांतिकारियों ने फतेहपुर में आजादी की लड़ाई को तेज किया था। यही वह जगह है, जहां अंग्रेजों ने आजादी के 52 दीवानों को एक इमली के पड़े लटकाकर फांसी दी थी, जिसके बाद इसे 52 इमली के नाम से भी जाना जाता है। 

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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