पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में सीमा विवाद

Mar 13, 2019, 18:12 IST

सीमावर्ती क्षेत्रों की अपनी समस्याएं और ख़ासियतें हैं। अधिकतर आबादी के अवैध घुसपैठ के कारण उनके आर्थिक और पर्यावरणीय संसाधनों पर दबाव रहता है। इसके अलावा, लचर व्यवस्था के कारण सीमा पार से नशीली दवाओं के तस्करों सहित अपराधियों के लिए सीमा पार अवैध रूप से आने जाने को सक्षम बनाती है। इस लेख में हमने बताया है की पूर्वोत्तर भारत में कौन से ऐसे राज्य हैं जो सीमा विवाद से घीरे हुए हैं तथा क्यों सांस्कृतिक और जातीय विविधता होने के बावजूद संघर्ष का कारण नहीं है।

Border Disputes in North-Eastern India HN
Border Disputes in North-Eastern India HN

सीमावर्ती क्षेत्रों की अपनी समस्याएं और ख़ासियतें हैं। अधिकतर आबादी के अवैध घुसपैठ के कारण उनके आर्थिक और पर्यावरणीय संसाधनों पर दबाव रहता है। इसके अलावा, लचर व्यवस्था के कारण सीमा पार से नशीली दवाओं के तस्करों सहित अपराधियों के लिए सीमा पार अवैध रूप से आने जाने को सक्षम बनाती है। इस प्रकार, अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले राज्यों की सरकारों को ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को न केवल बुनियादी सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए, बल्कि सीमा को सुरक्षित करने के लिए व्यापक राष्ट्रीय लक्ष्य हेतु भी उत्तरदायी होना चाहिए।

भारत के उत्तर-पूर्व में आठ राज्य शामिल हैं, असम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम। यह क्षेत्र एक छोटे से गलियारे द्वारा भारतीय मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है तथा भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र सीमा विवाद संघर्षों के लिए जाना जाता है।

पूर्वोत्तर प्रभाग (Division) द्वारा देखे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण विषय

1. असम समझौता, बोडो समझौता, यूनाइटेड पीपल्स डेमोक्रटिक सोलीडेरिटी (यूपीडीएस) समझौता

2. डीमा-हलम-दाओगाह (डीएचडी) समझौता का कार्यान्वयन

3. असम और उसके पड़ोसी राज्यों के बीच सीमा विवाद

4. पूर्वोत्तर राज्यों के सुरक्षा संबंधी व्यय के दावे

5. राष्ट्रीय स्तर, सेक्टोरल स्तर से संबंधित विषय और बांग्लादेश एवं म्यांमार के साथ संयुक्त कार्य समूह की बैठक

6. पूर्वोत्तर राज्यों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति और उग्रवादी गतिविधियों की मॉनीटरिंग

7. आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति (निवारण)

8. पूर्वोत्तर क्षेत्र में विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 तथा सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम 1958 का प्रशासन

9. सेना/केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों में सिविक एक्शन कार्यक्रम

10. पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न आतंकवादी समूहों के साथ शांति वार्ता

11. पूर्वोत्तर राज्यों में हेलीकॉप्टर सेवाएं

12. त्रिपुरा से ब्रू प्रवासियों का मिजोरम में प्रत्यावर्तन और मिजोरम में उनका पुनर्वास

13. अरुणाचल प्रदेश में चाकमा/हजोंग्स् से संबंधित मुद्दे

14. तिब्बती शरणार्थियों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे

पूर्वोत्तर भारत में सीमा विवाद के ऐतिहासिक कारण

पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के अन्य राज्यों से कुछ भिन्न है। भाषा की दृष्टि से यह क्षेत्र तिब्बती-बर्मी भाषाओँ के अधिक प्रचलन के कारण अलग से पहचाना जाता है। इस क्षेत्र में वह दृढ़ जातीय संस्कृति व्याप्त है जो संस्कृतीकरण के प्रभाव से बची रह गई थी। यह जानना दिलचस्प है कि सांस्कृतिक और जातीय विविधता यहाँ संघर्ष का कारण नहीं है, लेकिन 1950 के दशक में हुए राज्य की सीमाओं के परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान जातीय और सांस्कृतिक विशिष्टताओं को नजरअंदाज करने के कारण हुआ है।

पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में सीमा विवाद

दशकों से पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में अंतरराष्ट्रीय सीमा विवादों ने असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर और नागालैंड राज्यों को घेर लिया है।

1. असम और नागालैंड के बीच सीमा विवाद

यह पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में सीमा विवाद में सबसे प्रमुख सीमा विवाद है। दोनों राज्य अवैध रूप से एक-दूसरे के क्षेत्र पर कब्जा करने का आरोप लगाते रहते हैं जिसके कारण दोनों राज्यों के बीच तनाव माहौल होने लगता है। 1963 में नागालैंड राज्य की स्थापना के समय दोनों के बीच विवाद शुरू हुआ था।

असम का दावा है कि नागालैंड द्वारा उसके क्षेत्र के पचास हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया गया है। जबकि 1962 की अधिसूचना के अनुसार जब नगा हिल्स और तुएनसांग क्षेत्र को एक नई प्रशासनिक इकाई में एकीकृत किया गया था और स्वायत्त क्षेत्र बनाया गया था, तो 1962 के नागालैंड राज्य अधिनियम ने अपनी सीमाओं को परिभाषित किया था। नगाओं ने सीमा परिसीमन को स्वीकार नहीं किया और मांग की, कि नागालैंड में उत्तरी कछार और नागांव जिलों में पूर्ववर्ती नागा हिल्स और नागा बहुल क्षेत्र शामिल होने चाहिए, जो नागा क्षेत्र का हिस्सा थे।

चूंकि नागालैंड ने अपनी अधिसूचित सीमाओं को स्वीकार नहीं किया, इसलिए असम और नागालैंड के बीच तनाव जल्द ही भड़क गया, जिसके परिणामस्वरूप 1965 में काकोडोंडा रिजर्व फॉरेस्ट में पहली बार सीमा पर संघर्ष हुआ। तब से, असम-नागालैंड सीमा पर हिंसक झड़पें एक नियमित विशेषता बन गईं, 1968, 1979 और 1985 में प्रमुख सशस्त्र संघर्ष हुए।

भारत की पहली फ्लोटिंग प्रयोगशाला के बारे में 10 रोचक तथ्य

2. असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद

असम और मेघालय राज्य दशकों से सीमा विवाद में उलझे हुए हैं। यह पहली बार शुरू हुआ जब मेघालय ने असम पुनर्गठन अधिनियम 1971 को चुनौती दी, जिसमें असम के मिकिर पहाड़ी के हिस्से दिए गए थे और जो मेघालय के अनुसार, संयुक्त खासी और जंटिया पहाड़ियों के हिस्से हैं। हालांकि, सीमा पर दोनों पक्षों के बीच नियमित रूप से झड़पें हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में निवासियों का विस्थापन हुआ है और जान-माल का नुकसान हुआ है।

3. असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद

अरुणाचल प्रदेश का केंद्र शासित प्रदेश 20 जनवरी 1972 को बनाया गया था। बाद में जब अरुणाचल प्रदेश को 1987 में पूर्वोत्तर पुनर्गठन अधिनियम, 1971 के तहत एक राज्य के रूप में असम से बाहर किया गया, तब अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने असम के लिए अपनी अधिसूचित सीमाओं को स्वीकार कर लिया। हालाँकि, इसके बाद भी असमिया अतिक्रमण का मुद्दा रहा है। असहायता की व्यापक भावना के बीच, संघर्ष की ऐसी स्थिति से मुक्त होने के लिए एक भारी इच्छा और बल भी है जो सभी पक्षों से लोगों को अपंग कर देता है।

ऐसे समय में, भारत सरकार को चाहिए कि अन्तर्राज्यीय सीमा की समस्याओं का स्वीकार्य समाधान निकाले। विवादित सीमाओं वाले सभी राज्यों को पहले कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्षेत्र में शांति बनी रहे। इसलिए उत्तर-पूर्व के विवादों में लंबे समय से लंबित अंतर्राज्यीय सीमा विवादों का स्थायी समाधान खोजना समय की जरूरत है।

भारत के आर्थिक विकास पर जनसांख्यिकीय लाभांश कैसे प्रभाव डालता है?

4. अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के बीच सीमा विवाद

यह दोनों राज्य असम से निकल कर बने हैं इसलिए ये दोनों राज्य भी असम से सीमा विवाद में उलझे हुए हैं। प्रारंभ में, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम दोनों ने असम के साथ अपनी अधिसूचित सीमाओं को स्वीकार किया, लेकिन बाद में असमिया अतिक्रमण का मुद्दा उठाकर सीमा पर संघर्ष शुरू कर दिया। असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा के मामले में, पहली बार 1992 में झड़पें हुई थीं जब अरुणाचल प्रदेश सरकार ने आरोप लगाया था कि असम के लोग उनके क्षेत्र पर घर, बाजार और यहां तक कि पुलिस स्टेशन भी बना रहे हैं।

5. अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के बीच सीमा विवाद

सीमा क्षेत्रों की सभी समस्याओं और ख़ासियतों के अलावा, असम-मिज़ोरम सीमा की विवादित प्रकृति के बावजूद अपेक्षाकृत शांति बनी हुई है। हालाँकि, 1994 और 2007 में कुछ ऐसे उदाहरण सामने आए जब इस सीमा पर तनाव बढ़ गया था। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा समय पर हस्तक्षेप के कारण, एक बड़ा संकट टल गया और स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लाया गया। 2007 की सीमा घटना के बाद, मिजोरम ने घोषणा की, कि वह असम के साथ वर्तमान सीमा को स्वीकार नहीं करता है और इनर लाइन आरक्षित वन की आंतरिक रेखा को 1875 के पूर्वी बंगाल फ्रंटियर रेगुलेशन के तहत 1875 की अधिसूचना में वर्णित किया गया है, जो कि सीमांकन का आधार होना चाहिए।

भारत की जनजातियों का क्षेत्रीय वितरण

अंतरराज्यीय सीमा विवाद को हल करने के लिए कदम

1. यदि राज्य विवादित क्षेत्रों को तटस्थ क्षेत्र के रूप में मान ले, तो राज्य सभी विवादित क्षेत्रों में ग्राम विकास परिषदों को व्यवस्थित कर सकते हैं और परिषदों के सदस्यों को दोनों समुदायों के प्रतिनिधि शामिल करने चाहिए।

2. राज्यों को विवादित क्षेत्रों में सभी विकास गतिविधियों के लिए वित्तीय और रसद आवश्यकताओं को साझा करना चाहिए।

3. किसी भी राज्य को विवादित क्षेत्रों के अपने अधिकार का दावा नहीं करना चाहिए और विकास के लिए उसे दोनों सरकारों के संबंधित विभागों का संयुक्त प्रयास करना चाहिए।

4. क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए राज्यों को शांति के लिए माहौल बनाना और लोगों को विश्वास हासिल करने में मदद करना आवश्यक है। यदि राज्य विवादित क्षेत्रों में शांति लाना चाहते हैं तो विश्वास निर्माण भी एक अन्य महत्वपूर्ण माध्यम हो सकता है।

इसलिए, हम कह सकते हैं कि पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में सीमा विवादों को लेकर तब तक कोई शांति नहीं होगी जब तक अंतर्राज्यीय सीमा विवादों का कोई हल नहीं निकाला जायेगा। समस्या का समाधान लोगों को विभाजित करने से नहीं है, बल्कि शांति, एकता और समरसता को बढ़ावा देने से आ सकता है क्योंकि हम सभी एक ही देश निवासी हैं तथा विवादित क्षेत्र भी भारत का ही अंग हैं। तो कहा तक सही होगा जब हम ही दो देशों की तरह सीमा विवादों फंसे रहें और वो भी अपने ही जमीन के टुकड़े के लिए।

भारत में क्षेत्रवाद के उदय के क्या-क्या कारण हैं

Jagranjosh
Jagranjosh

Education Desk

Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News