उत्तर प्रदेश भारत में अपनी विविध संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां अलग-अलग दिशाओं में भाषा, खान-पान और वेशभूषा में अंतर देखने को मिल जाएगा। हालांकि, सभी की जड़ें अपनी संस्कृति और पंरपराओं से जुड़ी हुई हैं।
यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं और प्रदेश को करीब से जानते हैं। प्रदेश के प्रत्येक जिले की अपनी विशेषता है, जो कि इसे खास बनाती है। आपने प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि यूपी में एक जिला ऐसा भी है, जिसे चूने का शहर भी कहा जाता है। कौन-सा है यह शहर, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
उत्तर प्रदेश का परिचय
उत्तर प्रदेश राज्य का गठन 24 जनवरी, 1950 को किया गया था। हालांकि, इसका इतिहास उठाकर देखें, तो हजारों साल पहले यहां पांचाल और कोसल साम्राज्य हुआ करता था। बाद में यहा शर्की पहुंचे और उन्होंने यहां जौनपुर बसाया।
कुछ समय बाद यहां मुगल पहुंचे और उन्होंने यहां अवध सूबे का गठन किया, जिसकी कमान नवाबों के हाथों में दे दी। समय बीता, यहां ब्रिटिश पहुंचे और उन्होंने यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया, जिसे बाद में अवध सूबे में मिला दिया गया, जिससे इसका नाम संयुक्त प्रांत हो गया। देश आजाद हुआ और प्रदेश का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
सबसे अधिक जिले वाला राज्य
उत्तर प्रदेश पूरे भारत में सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। यहां कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। हालांकि, वर्तमान में महाकुंभ को देखते हुए यहां अस्थायी तौर पर मेला क्षेत्र को ही एक जिला बना दिया गया है, जिससे जिलों की संख्या 76 हो गई है। प्रदेश में कुल 351 तहसील, 17 नगर निगम, 75 नगर पंचायत, 200 नगर पालिका परिषद् और 1 लाख से अधिक ग्राम हैं।
कौन-सा जिला है चूने का शहर
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के सबसे दक्षिणी जिले यानि कि सोनभद्र को हम चूने के शहर के रूप में भी जानते हैं।
क्यों कहा जाता है चूने का शहर
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में भारत की सबसे बड़ी चूना-पत्थर की खादान मौजूद है, जिससे चूना निकालने के बाद इसे पेंट व अन्य काम में इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि इस शहर को हम चूने के शहर के रूप में भी जानते हैं।
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