उत्तर प्रदेश देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जो कि 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। भारत का यह राज्य अपनी विविध संस्कृति और अनूठी परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। राज्य का समृद्ध इतिहास और अनूठी परंपराएं इसे अन्य राज्यों से विशेष बनाने का काम करती हैं। इनमें यहां के जिलों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है।
आप प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में जानते होंगे। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि यूपी का सबसे छोटा नाम वाला जिला कौन-सा है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
यूपी का इतिहास(History of UP)
उत्तर प्रदेश राज्य का पुनर्गठन 24 जनवरी, 1950 को किया गया था। इससे पहले इसे संयुक्त प्रांत नाम से जाना जाता था। यह नाम इसे ब्रिटिश सरकार द्वारा अवध सूबे में उत्तर-पश्चिम प्रांतों को मिलाकर दिया गया था। इससे पहले अवध सूबा और उत्तर पश्चिम प्रांत अलग थे।
यूपी में कुल कितने जिले हैं(Total Districts in UP)
अब हम यह जान लेते हैं कि यूपी में कुल कितने जिले हैं, तो आपको बता दें कि प्रदेश में कुल 75 जिले हैं। इन आंकड़ों के साथ यूपी सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। ये जिले कुल 18 मंडलों में आते हैं, जो कि चार संभागों का हिस्सा हैं। इनमें पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और बुंदेलखंड शामिल है।
यूपी का सबसे छोटा नाम वाला जिला
उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे नाम वाले जिले की बात करें, तो यह मऊ जिला है। अंग्रेजी में इसके अक्षरों पर गौर करें, तो यह तीन अक्षर MAU से बना है। ऐसे में ह जिला सबसे छोटा नाम वाला जिला है।
क्या है जिले का इतिहास
मऊ जिले का पुराना नाम मऊनाथ भंजन हुआ करता था। इसके पीछे की कहानी का बात करें, तो करीब 1028 ईस्वी के आसपास एक सूफी संत बाबा मलिक ताहिर अपने भाई मलिक कासिम के साथ यहां पहुंचे।
यहां शुरू से नट शासकों का शासन रहा। ऐसे में नट शासकों और मलिक बंधुओं के बीच एक युद्ध हुआ। इस युद्ध में नट शासक मार गए, जिसे भंजन कहा गया। इस घटना का इतना प्रभाव हुआ कि इस जगह को 'मऊ नट भंजन' कहा जाने लगा, जो कि आगे चलकर 'मऊनाथ भंजन' बन गया।
1988 में बना अलग जिला
मऊ जिला पहले आजमगढ़ जिले का हिस्सा हुआ करता था। वहीं, आजमगढ़ साल 1932 में अलग जिला बना। हालांकि, 1988 तक मऊ इस जिले का हिस्सा रहा और इसके बाद मऊ को यूपी के नक्शे पर अपनी अलग से पहचान मिली।
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