COVID-19: साबुन या सैनिटाइजर, क्या है बेहतर?

May 13, 2020, 21:24 IST

COVID-19: स्वास्थ्य अधिकारियों ने COVID-19 महामारी से संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए कई उपाय बताए हैं और इनमें से एक है, व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्व. साबुन या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र से बार-बार हाथ धोना. क्या आप जानते हैं कि साबुन या हैंड सैनिटाइज़र में कौन बेहतर है?

 Which one is better Soap or Sanitizer?
Which one is better Soap or Sanitizer?

COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए, WHO ने कई एहतियाती उपाय बताए हैं, जिनमें हाथों को बार-बार साफ करने के लिए कहा गया है. साबुन और पानी का उपयोग करें, या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइज़र का. अब सवाल उठता है कि साबुन या सैनिटाइजर में क्या बेहतर है? आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं.

बार-बार हाथ धोना क्यों ज़रूरी है?

सबसे सरल तरीकों में से एक साबुन से हाथ धोना है जो वायरस को मारने में मदद करता है जिसके साथ आप संपर्क में आ सकते हैं. ऐसा कहा जाता है कि विभिन्न सतहों पर जो नियमित रूप से हम हाथों से स्पर्श करते हैं उनमें वायरस काफी लंबे समय तक रह सकते हैं. इसलिए बार-बार हाथ धोना महत्वपूर्ण है.

सबसे पहले, हम जानेंगे कि साबुन से हाथ धोने से कोरोना वायरस से छुटकारा कैसे मिलता है?

हैंड ग्रिम (Hands grim) में कई वायरस और बैक्टीरिया होते हैं. साबुन से हाथ धोने से वायरस और बैक्टीरिया को पूरी तरह से हटाने में मदद मिलती है.

पल्ली थोरार्डसन (Palli Thordarson), न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के स्कूल में एक प्रोफेसर आणविक रसायन विज्ञान के नियम के बारे में बताते हैं जो हमें इसको समझने में मदद करेगा.

उन्होंने बताया कि वायरस तीन चीजों से बने होते हैं: न्यूक्लिक एसिड जीनोम जैसे डीएनए या आरएनए एक आनुवंशिक पदार्थ, प्रोटीन जो न्यूक्लिक एसिड के साथ फिट होता है और रेपलीकेट होता है होस्ट बॉडी में और लिपिड की एक फैटी बाहरी परत. इसलिए हम कह सकते हैं कि अधिकांश वायरस में तीन प्रमुख बिल्डिंग ब्लॉक्स होते हैं: आरएनए, प्रोटीन और लिपिड. यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि ये इन तीनों के बीच में कनेक्शन मजबूत नहीं होता है क्योंकि इनमें कोई कोवालेंट बांड (covalent bond) नहीं होता है जो कि अधिक स्थिर संरचना प्रदान करता है.

एक वेल्क्रो (Velcro) की तरह वे एक साथ काम करते हैं और इसलिए इनके  वायरल कण को तोड़ना बहुत मुश्किल है. लेकिन साबुन इस कण को तोड़ सकता है और वायरस को घेरने वाली लिपिड परत को भंग करने में मदद करता है. यह वायरस के भीतर कमजोर बांड को भी तोड़ता है और इसलिए हाथ साफ हो जाते हैं.

कोरोना वायरस का नाम ‘कोरोना’ ही क्यों रखा गया है?

साबुन में क्या होता है?

साबुन में वसा जैसे (fat-like) यौगिक होते हैं जिन्हें एम्फीफाइल्स (amphiphiles) कहा जाता है, जो लिपिड के समान होते हैं और वायरस की झिल्ली में पाए जाते हैं. जब साबुन इन वसायुक्त पदार्थों के संपर्क में आता है, तो यह उनके साथ जुड़ जाता है और उन्हें वायरस से अलग कर देता है. साथ ही वायरस को त्वचा से अलग करने के लिए मजबूर कर देता है.

या हम कह सकते हैं कि साबुन फैटी एसिड के सोडियम या पोटेशियम लवण के मिश्रण होते हैं जो तेल या वसा से एक निश्चित तापमान पर क्षार के साथ पहुंचते हैं और इस प्रक्रिया को saponification के रूप में जाना जाता है.

यही कारण है कि यह कम से कम 20 सेकंड के लिए हाथ धोने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि वायरस किसी भी माइनसक्यूल क्रिंकल से चिपक सकता है और 20 सेकंड धोने से निकल जाता है.

अब हम sanitizer के बारे में अध्ययन करते हैं.

सैनिटाइज़र भी प्रभावी होते हैं परन्तु अल्कोहल-आधारित. 60 से 80% अल्कोहल युक्त सैनिटाइज़र को हाथों से वायरस को हटाने के लिए इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जाता है. यह भी कहा जाता है कि सैनिटाइज़र में मौजूद अल्कोहल लिपिड के आवरण को घोल देता है और वायरस को निष्क्रिय कर देता है. प्रभावी होने के लिए, सैनिटाइज़र में कम से कम 60% अल्कोहल होना चाहिए. वहीं साबुन का झाग हाथों के पूरे हिस्सों को कवर कर देता है जबकि सैनिटाइज़र का उपयोग करते हुए अल्कोहल हाथों के सभी हिस्सों के संपर्क में नहीं आ पाता है अगर पूरे हाथों में अच्छे से ना लगाया गया हो. इसलिए सैनिटाइज़र को इस्तेमाल करते वक्त हाथों के पूरे हिस्से को सैनिटाइज़र से कवर करने का उचित उपयोग महत्वपूर्ण बताया गया है.

साबुन और सैनिटाइज़र: तुलना

- हैंड सैनिटाइज़र आसानी से पर्स, जेब इत्यादि में ले जाया जा सकता है. वास्तव में, जब पानी और साबुन तुरंत उपलब्ध नहीं होते हैं, तो हैंड सेनिटाइज़र कीटाणुओं से निपटने के लिए एक अच्छा विकल्प और सुविधाजनक विकल्प है.

- यह भी कहा जाता है कि हैंड सैनिटाइज़र नोरोवायरस इत्यादि को छोड़कर कई  प्रकार के वायरस के खिलाफ सक्रिय है, लेकिन एक परिपूर्ण रोगनिरोधी (prophylactic) नहीं हैं. कुछ स्टडीज में बताया गया है कि सैनिटाइज़र कुछ प्रकार के जीवाणुओं से रक्षा नहीं कर पाते  हैं जबकि साबुन के मामले में ऐसा नहीं है.

- हैंड सैनिटाइजर कभी-कभी हैंड सोप की तुलना में अधिक महंगा हो सकता है. अधिकांश डॉक्टरों के अनुसार "हैंड सैनिटाइज़र अधिक सुविधाजनक और अच्छे होते हैं, लेकिन अंत में साबुन और पानी ही बेहतर होते हैं".

- CDC के अनुसार, अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र कुछ स्थितियों में हाथों पर रोगाणुओं की संख्या को जल्दी से कम कर सकते हैं, लेकिन सभी प्रकार के कीटाणुओं को खत्म करने में सक्षम नहीं होते हैं.

- कई अध्ययनों से पता चला है कि जब हाथ स्पष्ट रूप से गंदे या चिकने होते हैं तो हैंड सैनिटाइज़र उतना प्रभावी नहीं होता है.

- कुछ अध्ययनों से ये भी पता चला है कि कीटनाशकों और हाथों में मौजूद भारी धातुओं जैसे हानिकारक रसायनों को हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करके हटाया नहीं जा सकता है.

- यदि साबुन और पानी उपलब्ध नहीं है, तो कम से कम 60% अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. यहां तक कि अध्ययनों से पता चला है कि 60-95% के बीच अल्कोहल आधारित सैनिटाइज़र कीटाणुओं को मारने में ज्यादा प्रभावी होते हैं अल्कोहल या गैर-अल्कोहल आधारित सैनिटाइज़र की तुलना में.

- CDC के अनुसार हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग हाथों की सतहों पर अच्छे से करना चाहिए और इसे तब तक रगड़ें जब तक कि हाथ सूख नहीं जाता है, जबकि साबुन के झाग हाथ के पूरे हिस्सों में आसानी से फैल जाते हैं.

- कुछ अध्ययनों के अनुसार कई बार अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र के इस्तेमाल करने से अल्कोहल पॉइज़निंग हो सकती है. इथेनॉल आधारित हैंड सैनिटाइज़र सुरक्षित हैं जब निर्देशित रूप में उपयोग किये जाए, लेकिन विषाक्तता का कारण बन सकता है अगर एक से अधिक कौर निगल लिया जाए. लेकिन साबुन के मामले में ऐसा नहीं है.

इसलिए, हम कह सकते हैं कि COVID-19 से लड़ने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें और बताए गए उपायों को इस्तेमाल करते रहे. WHO के अनुसार, जब हाथ गंदे दिखे तो साबुन और बहते पानी से धोएं. यदि आपके हाथ स्पष्ट रूप से गंदे नहीं हैं, तो अक्सर अल्कोहल-आधारित हैंड रब या साबुन और पानी का उपयोग करके उन्हें साफ करें.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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