Hindi Diwas 2025: भारत में सबसे अधिक बोली और समझने वाली भाषा की बात करें, तो यह हिंदी भाषा है। उत्तर भारत में यह हिंदी प्रमुख भाषा के रूप में जानी जाती है। यही नहीं, भारत के बाहर भी कई ऐसे देश हैं, जहां हिंदी भाषा बोली और पढ़ी जाती है। भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदी के उच्चारण, शब्दावली और वाक्य संरचना में क्षेत्रीय अंतर देखने को मिलता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि भारत में कहां-कहां और किस प्रकार हिंदी का रूप है।
उत्तर भारत की हिंदी में क्या है अंतर
उत्तर भारत में प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में हिंदी देवनागरी लिपी में लिखी जाती है। यहां हिंदी में 'आ' और 'ओ' का उच्चारण अलग-अलग होता है। यदि दिल्ली में देखें, तो हिंदी में उर्दू के शब्दों के मिश्रण देखने को मिलता है। यहां प्रमुख रूप से हिंगलिश यानि कि हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों को मिलाकर बोला जाता है।
मध्य भारत में क्या है अंतर
मध्य भारत में प्रमुख रूप से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हिंदी भाषा के उच्चारण में अंतर देखने को मिलता है। यहां खड़ी बोली के साथ-साथ बुंदेली और छत्तीसगढ़ी भाषा बोली जाती है। हिंदी में आमतौर पर तुम को तू बोला जाता है।
पूर्वी भारत में हिंदी को लेकर अंतर
भारत के पूर्वी हिस्से की बात करें, विशेष रूप से ओडिसा, बिहार, झारखंड, असम और बंगाल में बंगाली भाषा के साथ हिंदी, मैथिली और भोजपुरी भाषा बोली जाती है। बिहार में तो भोजपुरी और मगही भाषा का अधिक प्रभाव है। यहां शब्दों के अंत में "इ" और "आ" जोड़ा जाता है, जिससे सुनने में इन शब्दों की ध्वनि आती है। वहीं, पश्चिम बंगाल और असम में हिंदी बोली जाती है, लेकिन इनका उच्चारण हमें बंगाली लहजे में ही सुनने को मिलता है।
दक्षिण भारत के उच्चारण में अंतर
भारत में प्रमुख रूप से दक्षिण भारत में जैसे तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में हिंदी बहुत ही कम बोली जाती है, लेकिन यहां हिंदी का उच्चारण बदल जाता है। क्योंकि, यहां द्रविड़ भाषाएं जैसे तमिलस तेलुगू और कन्नड़ बोली जाती हैं, ऐसे में हिंदी में इनका अधिक प्रभाव देखने को मिलता है। यहां हिंदी में 'ट' और 'ठ' का उच्चारण सख्त होता है।
पश्चिम भारत में क्या है अंतर
भारत के पश्चिमी हिस्से जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में मराठी, राजस्थानी और गुजराती भाषा का प्रचलन है। ऐसे में इन भाषाओं के साथ हिंदी के शब्दों का भी इस्तेमाल होता है। इस वजह से हिंदी के उपयोग में हमें क्षेत्रीय प्रभाव देखने को मिलते हैं। आपको बता दें कि यहां 'हां' की जगह 'आं' का प्रयोग अधिक होता है।
भारत के हिमालीय क्षेत्र
भारत के हिमालीय क्षेत्र जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में पहारिया, कुमाऊंनी और गढ़वाली भाषा का प्रचलन है। हालांकि, यहां की हिंदी में स्वरविन्यास देखने को मिलता है। उत्तराखंड में कुछ जगहों पर ‘स’ को ‘श’ बोला जाता है।
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