Mahatma Gandhi Punyatithi 2024: हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पूण्यतिथि होती है. आजादी मिलने के कुछ महीनों बाद 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया था. तब से इस दिन पूरा देश बापू को याद करता है.
शहीद दिवस को लेकर कुछ लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रहती है क्योंकि भारत में शहीद दिवस दो बार मनाया जाता है एक जनवरी में और दूसरा मार्च में. चलिये जानते है साल में दो बार शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है और दोनों में अंतर क्या है.
आजादी की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है. गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया था. महात्मा गांधी एक महान शांति समर्थक और दूरदर्शी थे जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ने और देश के लिए आजादी हासिल करने के अहिंसक तरीकों का प्रचार किया था.
महात्मा गांधी ही थे जिन्होंने प्रस्ताव दिया था कि हम अहिंसक तरीकों से अंग्रेजों से लड़ सकते हैं. अंग्रेजों ने भारत पर 200 वर्षों से अधिक समय तक शासन किया था. हर साल, उन्हें उनकी पुण्य तिथि पर याद किया जाता है. 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी.
यह भी पढ़ें: Union budget 2024: इस साल बजट पेश करते ही वित्तमंत्री के नाम दर्ज होगा यह अनोखा रिकॉर्ड
दो बार क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस:
Mahatma Gandhi: पूरा देश साल में दो बार शहीद दिवस मनाता है, जिसमें से एक जनवरी महीने की 30 तारीख को और दूसरी बार मार्च में मनाया जाता है. ऐसे में एक स्वाभाविक उठता है कि शहीद दिवस दो बार क्यों मनाया जाता है.
शहीद दिवस (30 जनवरी) का इतिहास:
30 जनवरी, 1948 को, महात्मा गांधी दिल्ली के बिड़ला भवन में एक शाम की प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे. उसी समय शाम लगभग 5:17 बजे, नाथूराम गोडसे द्वारा उन्हें तीन गोलियां मार दी गयी थी जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी. अहिंसा के पुजारी गांधी जी के निधन के बाद हर साल उनकी पुण्यतिथि (30 जनवरी) को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
महात्मा गांधी पूरे देश में शांति और अहिंसा का प्रचार किया था. उन्होंने भारत के साथ-साथ विदेशों में भी लोगों को प्रभावित किया. उनके सम्मान में हर साल महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
कब मनाया जाता दूसरा शहीद दिवस:
हर साल 30 जनवरी के बाद 23 मार्च को पूरा देश एक बार और शहीद दिवस मनाता है. इस दिवस का इतिहास और भी पुराना है. इस दिन पूरा देश शहीदों की शहादत को सलाम करता है. चलिये जानते है 23 मार्च के शहीद दिवस का क्या महत्व है.
शहीद दिवस (23 मार्च) का इतिहास:
शहीद दिवस (23 मार्च) का जब भी जिक्र होता है तो हर भारतीय की आंखे नम हो जाती है. इस दिन साल 1931 में वीर क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी. उस समय भारतीयों के आक्रोश के डर के कारण अंग्रेजों ने गुपचुप तरीके से तीनों क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका दिया था. तब से यह दिवस भारतीय इतिहास के पन्नों में अमर हो गया. उन क्रांतिकारियों के सम्मान में पूरा देश शहीद दिवस के रूप में मनाता है. अब आप सभी को दोनों शहीद दिवस में अंतर स्पष्ट हो गया होगा.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation