जीभ द्वारा स्वाद का पता कैसे चलता है ?

Dec 30, 2022, 16:34 IST

इस धरती पर केवल मनुष्य ही है, जो अच्छा-बुरे में फर्क के साथ विभिन्न चीजों को महसूस कर सकता है। मनुष्य के पास सर्दी-गर्मी, खट्टा-मीठा, अच्छा-बुरा, कर्णप्रिय और कर्कश ध्वनि इत्यादि का अनुभव करने के लिए पांच ज्ञानेंद्रियां है- जीभ, आंख, नाक, कान, और त्वचा. आइये इस लेख में जानते हैं कि जीभ स्वाद कैसे बताती है ?

How does tongue taste?
How does tongue taste?

अगर यह कहा जाए कि मनुष्य के शरीर से ज्यादा जटिल संरचना इस पृथ्वी पर नहीं है तो  इसमें आश्चर्य  है. मनुष्य के शरीर में हर अंग का कोइ ना कोई काम जरूर होता है .
मनुष्य के शरीर में अबसे अहम् भूमिका 5 इन्द्रियों की होती है, जिनकी वजह से उसे देखने, सुनने, महसूस करने, सूंघने और स्वाद चखने की शक्ति मिलती है. 

इन सभी इन्द्रियों के नाम हैं; जीभ, आंख, नाक, कान, और त्वचा हैं. इन सभी की अपनी अलग महत्ता है इसलिए किसी भी इन्द्री का योगदान कम या अधिक नहीं माना जा सकता है.

5-senses-human-body
आइये इस लेख में हम मनुष्य की इन्द्री जीभ कैसे स्वाद बनाती है इस बारे में जानते हैं.

जीभ हमारे मुंह के अन्दर स्थित एक इन्द्री है जो हमें मुख्य रूप से चार प्रकार के स्वाद बताती है. यह पीछे की ओर चौड़ी और आगे की ओर पतली होती है. लाल रंग की यह जीभ  मांसपेशियों की बनी होती है. इसकी ऊपरी सतह पर कुछ दानेदार उभार होते हैं, जिन्हें स्वाद कलिकाएं कहते हैं. ये स्वाद कलिकाएं कोशिकाओं से बनी है.

स्वाद कलिकाएं चार प्रकार की होती है और मनुष्य को चार प्रकार के स्वादों के बारे में बतातीं हैं, ये हैं;

1. मीठा

2. कड़वा

3. खट्टा

4. नमकीन

PARTS-TASTE-TONGUE

जब हम किसी वस्तु को खाते हैं, तो इस वस्तु का स्वाद कैसा है, इसका अनुभव हमें तभी होता है, जब वह वस्तु लार के साथ घुलने के बाद जीभ पर फैलती है. कोई वस्तु मीठी या नमकीन है, इसका पता हमें जीभ का आगे का भाग बताता है.

जीभ के पीछे का भाग कड़वे स्वाद का और किनारे का भाग खट्टे स्वाद का अनुभव कराता है. यही कारण है कि जब हम किसी खट्टी चीज को खाते हैं तो हमारे दाढ़ वाले हिस्से में काफी खट्टा लगता है और कभी-कभी तो हमारे दांत इतने खट्टे हो जाते हैं कि हम दाढ़ की मदद से खाना भी नहीं खा पाते हैं.

ध्यान रहे कि मनुष्य की जीभ के बीच के भाग पर स्वाद कलिकाएं प्रायः नहीं होती जिसके कारण इस भाग द्वारा हमें किसी प्रकार के स्वाद का अनुभव नहीं होता है.

स्वाद का पता कैसे चलता है (How does Tongue Taste)

किसी वस्तु के स्वाद का पता तब लगता है, जब हम किसी वस्तु को दांतों से चबाते हैं तो वस्तु का कुछ अंश लार में घुल जाता है और स्वाद-कलिकाओं को सक्रिय कर देता है. खाद्य वस्तु द्वारा भी एक रासायनिक क्रिया होती है, जिससे तंत्रिका आवेग पैदा हो जाते हैं. ये आवेग मस्तिष्क के स्वाद केंद्र तक पहुंचता है और हम लोगों को स्वाद का अनुभव होता है.

ऐसे नहीं है कि मनुष्य को हर समय हर दशा में स्वाद का अनुभव होता रहता है. बुखार आने पर, अधिक ठंडी या तेज गर्म चीजें खाने-पीने से मनुष्य की स्वाद कलिकाएं निष्क्रिय या शिथिल भी हो जाती हैं, जिसके कारण स्वाद का अनुभव नहीं हो पाता है.

इसके अलावा जब पेट ख़राब हो जाता है या कब्ज हो जाता है, तो जीभ पर मैल जम जाता है, जिससे खाने का स्वाद बदला हुआ लगने लगता है. 

इसका कारण यह है कि मैल के कारण खाद्य पदार्थ का स्वाद ‘स्वाद कलिकाओं’ (taste buds) तक नहीं पहुंच पाता है और हमें खाद्य पदार्थों का सही स्वाद नहीं मिल पाता है.

taste-buds-hindi

एक प्रौढ़ व्यक्ति की जीभ पर लगभग 9000 स्वाद कलिकाएं होती है. शरीर की अन्य कोश्किाओं की तरह स्वाद कलिकाएं भी बराबर नष्ट होती और बनती रहती है. लगभग हर 10 दिन बाद आधी नई स्वाद कलिकाएं, पुरानी कलिकाओं का स्थान ले लेती हैं. 

मनुष्य के बूढा होने के कारण ये स्वाद कलिकाएं शिथिल होने लगती है और वृद्धावस्था में ये निष्क्रिय होने लगती है. 

उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे कि मनुष्य की जीभ किस प्रकार स्वाद बनाती है और जीभ कितने प्रकार के स्वाद का अनुभव कर सकती है?

रक्त लाल होता है पर नसें नीली क्यों दिखाई देती हैं?

डिमेंशिया क्या है और किन कारणों से होता है?

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News