1909 में सोरेनसन (Sorenson) ने पीएच स्केल के रूप में जाने वाले पैमाने को तैयार किया जिस पर उन में हाइड्रोजन आयन सांद्रता का उपयोग करके यह बताया जा सकता है कि कोई भी घोल कितना अम्लीय (acidic) है या फिर कितना क्षार (basic) है. उन्होंने एसिड और बेस के घोलों के हाइड्रोजन आयन सांद्रता को पीएच पैमाने पर सरल संख्या 0 से 14 तक जोड़ा. या हम यह कह सकते हैं कि एक घोल के पीएच में हाइड्रोजन आयनों की एकाग्रता व्युत्क्रमानुपाती होती है. मतलब, यदि किसी घोल में हाइड्रोजन आयनों की उच्च एकाग्रता होगी तो उसकी pH वैल्यू कम होगी. जब भी किसी घोल का पीएच मान 7 से कम होता है तो यह अम्लीय होता है और यदि 7 से अधिक तो यह क्षार होता है. अगर किसी घोल का pH 7 हैं तो यह न तो अम्लीय (acidic) और न ही क्षार (base) होगा यानी उदासीन (neytral) होगा.
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इसलिए, हम यह कह सकते हैं कि हमारे दैनिक जीवन की कई गतिविधियों में pH महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हमारी पाचन क्रिया में गैस्ट्रिक रस का pH महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, मुंह में pH दांत क्षय का एक कारण बन सकता है. पर्यावरण में, पौधों और जानवरों पर pH में परिवर्तन होने से प्रभाव पड़ता हैं. दरअसल, बड़ी मात्रा में, पौधों के विकास और जानवरों का अस्तित्व उचित pH शर्तों की उपलब्धता पर निर्भर करता है जो उनके अनुरूप होते हैं.
आइये देखते हैं कि pH में परिवर्तन का पौधों एवं जंतुओं पर क्या प्रभाव पड़ता हैं
A.पौधों का विकास और मिट्टी का pH
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लाइकेन वातावरण के लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं
क्या आप जानते हैं कि पौधों का सबसे अच्छा विकास तब होता है, जब मिट्टी का pH 7 के करीब होता है. यदि मिट्टी बहुत अम्लीय या बहुत क्षारीय होती है तो पौधें बिल्कुल भी नहीं बढ़ सकते या सही से उनकी वृद्धि नहीं हो सकती हैं. इसलिए, मिट्टी स्वाभाविक रूप से अम्लीय या क्षारीय होनी चाहिए. खेतों में रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी का pH प्रभावित होता है. अम्लीय मिट्टी का pH 4 से कम तक और क्षारीय का लगभग 8.3 तक पहुंच सकता है. pH एकाग्रता को समायोजित करने और पौधों की वृद्धि के लिए या इसे उपयुक्त बनाने के लिए मिट्टी में रसायनिक पदार्थों को जोड़ा जा सकता है.
यदि मिट्टी बहुत अम्लीय है तो इसे क्विक लाइम या कैल्शियम ऑक्साइड(quicklime or calcium oxide), चूना या कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड (slaked lime or calcium hydroxide), चाक यानी कैल्शियम कार्बोनेट (chalk i.e. calcium carbonate) जैसी सामग्री के साथ मिलाया जाता है. ये सब क्षारीय होते हैं और इसलिए इसकी अम्लता कम करने के लिए मिट्टी में मौजूद अधिक एसिड के साथ प्रतिक्रिया करते हैं. कभी-कभी यह तब भी हो सकता है जब मिट्टी का pH मान अधिक हो या फिर इसकी क्षारीयता. तब मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों को मिलाकर इसकी क्षयकारी को कम किया जा सकता है, अर्थात वह खाद को मिलाया जा सकता है जिसमें अम्लीय पदार्थ होते हैं.
B.जंतुओं में pH परिवर्तन का क्या प्रभाव होगा
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क्या आप जानते हैं कि pH मनुष्यों सहित जानवरों के अस्तित्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है? हमारा शरीर 7 से 7.8 की एक संकीर्ण pH सीमा के भीतर अच्छी तरह से काम करता है. यदि, किसी कारण से एक व्यक्ति के शरीर में pH में बदलाव हो जाता है, तो कई बीमारियां हो सकती हैं. लेकिन मछली जैसे जलीय जानवर pH परिवर्तन की एक संकीर्ण सीमा के भीतर झील या नदी के पानी में जीवित रह सकते हैं. परन्तु अधिक pH में बदलाव होने से जलीय जीवन को नुक्सान भी पहुच सकता है. उदाहरण के लिए जब बारिश के पानी का pH 5.6 होता है, तब यह अम्लीय वर्षा कहलाती है. बहुत अम्लीय बारिश जलीय जानवरों को जीवित रहने के लिए कठिन साबित होती है और यहां तक कि जलीय जानवरों को मार भी सकती है. उस समय अम्लीय बारिश से आने वाले एसिड को बेअसर करने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट (calcium carbonate) को अम्लीय झील के पानी में छोड़ा जाता है ताकि झील का अम्लीय स्तर कम हो सके और समुद्री जनावर मरने से बच जाए.
इसके अलावा, एसिड अन्य ग्रहों पर भी मौजूद हैं. उदाहरण के लिए, शुक्र ग्रह का वायुमंडल सल्फ्यूरिक एसिड (sulphuric acid) के मोटे सफेद और पीले बादलों से बना होता है. इसलिए, शुक्र ग्रह पर जीवन संभव नहीं है.
इसलिए, उपरोक्त लेख से हमें यह ज्ञात होता है कि पौधों और जंतुओं को जीवित रहने में pH महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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