जानें भारत की पहली और दुनिया की सबसे बड़ी पशु जीनोमिक चिप 'IndiGau' के बारे में

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अगस्त 2021 में देशी पशुओं की नस्लें जैसे गिर, कंकरेज, साहीवाल, अंगोल इत्यादि शुद्ध किस्मों को संरक्षण प्रदान करने के लिए भारत की पहली एकल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म (SNP) आधारित चिप 'IndiGau' का शुभारंभ किया. आइये इस लेख के माध्यम से  'IndiGau' के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं.

Aug 24, 2021, 19:21 IST
Indias first Cattle Genomic Chip 'IndiGau'
Indias first Cattle Genomic Chip 'IndiGau'

देसी पशुओं की नस्लों के शुद्ध किस्मों को संरक्षण प्रदान करने के लिए भारत की पहली एकल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म (SNP) आधारित चिप 'IndiGau' का शुभारंभ केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा किया गया. इस अवसर पर मंत्री ने दो पुस्तिकाओं का भी लोकार्पण किया.

इस स्वदेशी चिप को किसके द्वारा विकसित किया गया है?

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी (NAIB), हैदराबाद के वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के द्वारा इस स्वदेशी चिप को विकसित किया गया है. 

'IndiGau' के बारे में 

डॉ जितेंद्र सिंह के अनुसार 'IndiGau' पूरी तरह से स्वदेशी है और दुनिया की सबसे बड़ी पशु चिप है.

इस चिप में 11,496 मार्कर (SNP) हैं जो कि अमेरिका और ब्रिटेन की नस्लों के लिए रखे गए 777K इलुमिना चिप की तुलना में काफी अधिक हैं.

मंत्री जी ने आगे कहा कि इन देसी गायों के लिए तैयार किया गया यह चिप आत्मनिर्भर भारत की दिशा के लिए एक बहुत ही अच्छा उदाहरण है.

यह चिप अपनी नस्लों के संरक्षण के लक्ष्य को प्राप्त करते हुए 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने वाली सरकारी योजनाओं में उपयोगी साबित होगी.

इस चिप के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए  फेनोटाइपिक और जेनोटिपिक सहसंबंध उत्पन्न करने में NIAB ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के साथ सहयोगात्मक समझौता पर हस्ताक्षर किया है.

एनडीडीबी फेनोटाइपिक रिकॉर्ड के संग्रह के क्षेत्र में अच्छे प्रकार से संगठित उपस्थिति प्रदान कर रही है तभी NIAB और NDDB  कम घनत्व वाले SNP चिप के लिए महत्वपूर्ण विशेषताओं का पता लगाने और जानकारी  देने के लिए इस शोध की शुरुआत करने जा रहा है. ये एक दूसरे के पूरक हैं जैसे कि उच्च दूध उपज या हीट टॉलरेंस इत्यादि.

यह अंततः अभिजात वर्ग के चयन और भारतीय मवेशियों की पात्र उत्पादकता में सुधार करने में मदद करेगा.

यहीं आपको बती दें कि NIAB द्वारा चिप्स को डिजाईन करने और निर्माण करने के लिए भारत में निजी उद्योगों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया है.

हो सकता है कि शुरुआत में बहुत कम घनत्व वाले SNP चिप ही बन सकें परन्तु धीरे-धीरे इस तकनीक को बड़े चिप को बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

'IndiGau'  चिप कैसे काम करेगी?

मजूमदार के अनुसार स्वदेशी मवेशियों के बारे में DNA जानकारी रक्त परीक्षण के माध्यम से एकत्र की जाएगी  और इसे 'IndiGau' चिप में एक डेटाबेस के रूप में संग्रहीत किया जाएगा.

अभी के लिए इंडिगौ डेटाबेस हैदराबाद में NIAB के पास होगा, जिसमें मवेशियों की विभिन्न देसी नस्लों पर DNA जानकारी होगी.

मजूमदार ने कहा, "देसी मवेशियों की कई नस्लों का अध्ययन करने के बाद 'IndiGau' चिप विकसित की गई है."

यह चिप बैल की बेहतर नस्लों की पहचान करने में भी उपयोगी होगी. इस चिप की मदद से युवा होने पर भी बैल की नस्ल की गुणवत्ता का पता लगाना आसान होगा.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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