हाईलाइट्स:
- हाइपरसोनिक मिसाइल 1,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पेलोड ले जाने में सक्षम.
- यह मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना (मैक 5) तेज चलती है.
- भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के साथ विशेष क्लब में शामिल
India’s First Long Range Hypersonic Missile: भारत ने मिसाइल प्रौद्योगिकी में एक और बड़ी छलांग लगाई है. शनिवार रात DRDO ने अपनी पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से शाम 6:55 बजे किया गया. यह पहली बार था जब DRDO ने रात में एक स्वदेशी मिसाइल का ट्रायल किया.
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1,500 किमी से अधिक दूरी की मारक क्षमता:
स्वदेशी रूप से विकसित इस हाइपरसोनिक मिसाइल को 1,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक विभिन्न पेलोड ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. मिसाइल कैनिस्टर से लॉन्च हुई और पहले से निर्धारित ट्रैजेक्टरी पर सफलतापूर्वक फॉलो किया. परीक्षण के दौरान मिसाइल ने लगभग 1,400 किलोमीटर की दूरी तय की और सभी टर्मिनल मैनूवर्स को सटीकता के साथ पूरा किया.
स्वदेशी तकनीक का कमाल:
मिसाइल को हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स और DRDO के अन्य संस्थानों द्वारा विकसित किया गया है. यह देश की सुरक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला एक बड़ा कदम है.
क्या है इसकी खासियत?
हाइपरसोनिक मिसाइल आधुनिक युद्धक तकनीक का अद्वितीय उदाहरण है. इसकी प्रमुख विशेषताएं इसे अन्य मिसाइलों से अलग बनाती हैं:
गति (Hypersonic Speed): यह मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना (मैक 5) तेज चलती है. अधिकतम गति 6,200 किमी/घंटा तक हो सकती है, जिससे यह दुश्मन के रडार और रक्षा प्रणालियों को चकमा देने में सक्षम है.
मारक क्षमता: यह मिसाइल 1,500 किमी या उससे अधिक दूरी तक हमला करने में सक्षम है. दुश्मन के ठिकानों को दूर से निशाना बनाने के लिए उपयुक्त है.
मैनूवरेबिलिटी (Manoeuvrability): हाइपरसोनिक मिसाइल ऊंचाई और दिशा बदलने में सक्षम होती है, इसे रोकना या इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल है.
सटीकता (Precision): यह मिसाइल अपने लक्ष्य पर सटीकता से वॉर करने में सक्षम है, यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ती है, जिससे इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल होता है.
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विशिष्ट क्लब में भारत शामिल:
इस परीक्षण के साथ, भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के साथ हाइपरसोनिक तकनीक में अग्रणी देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है. इससे पहले, 2020 में भारत ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया था, जिसमें मैक 6 की गति हासिल की गई थी.
न्यूक्लियर डिटरेंस को मिलेगा बड़ा बढ़ावा:
हाइपरसोनिक तकनीक के सैन्य और नागरिक दोनों क्षेत्रों में उपयोग हैं. यह भारत की न्यूक्लियर डिटरेंस को मजबूत करता है. यह सफलता भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और उन्नत तकनीक में बढ़ती पकड़ को दर्शाती है.
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The @DRDO_India has successfully conducted a flight trial of its long range hypersonic missile on 16th Nov 2024 from Dr APJ Abdul Kalam Island, off-the-coast of Odisha.
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) November 17, 2024
Raksha Mantri Shri @rajnathsingh has congratulated DRDO, Armed Forces and the Industry for successful flight… pic.twitter.com/wq7yM2YS9f
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