साइनाइड के बारे में कुछ रोचक तथ्य

Nov 27, 2018, 16:23 IST

साइनाइड एक ऐसा रसायन है जो विभिन्न रूपों में मौजूद हो सकता है. यह सबसे खतरनाक जहर के रूप में जाना जाता है. परन्तु क्या आप जानते हैं कि साइनाइड किससे मिलकर बनता है, कितने प्रकार का होता है, साइनाइड पाइजनिंग क्या है, साइनाइड शरीर में जाकर कैसे असर करता है, इत्यादि को जानने के लिए आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

Interesting facts about Cyanide
Interesting facts about Cyanide

आप सबने साइनाइड के बारे में तो सुना ही होगा, यह सबसे खतरनाक जहर के रूप में जाना जाता है. परन्तु क्या आप जानते हैं कि साइनाइड एक कैसा रसायन है, कितने प्रकार का होता है, साइनाइड पाइजनिंग क्या है, साइनाइड  शरीर में जाकर कैसे असर करता है, इत्यादि को अध्ययन करने के लिए आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

साइनाइड क्या है?

साइनाइड संभावित रूप से एक घातक रसायन है जो विभिन्न रूपों में मौजूद हो सकता है. ये रसायनिक यौगिक एकसंयोजी CN समूह होता है जिसे सायनो समूह (Cyano Group) भी कहते है. इसमें एक कार्बन परमाणु एक नाइट्रोजन परमाणु से ट्रिपल बांड के द्वारा जुड़ा होता है. यह खतरनाक पदार्थ रंगहीन गैस भी हो सकता है जैसे हाइड्रोजन सायनाइड (HCN) या सायनोजन क्लोराइड (CNCl), या क्रिस्टल रूप जैसे सोडियम साइनाइड (NaCN) या पोटेशियम साइनाइड (KCN). हम आपको बता दें कि कार्बनिक साइनाइडों को प्रायः नाइट्राइल (nitriles) भी कहते हैं.

अब सवाल उठता है कि क्या सारे साइनाइड खतरनाक होते हैं?

सारे साइनाइड खतरनाक नहीं होते हैं. परन्तु कुछ ऐसे साइनाइड हैं जो घातक होते हैं जैसे सोडियम साइनाइड (NaCN), पोटैशियम साइनाइड (KCN), हाइड्रोजन साइनाइड (HCN) और सायनोजेन क्लोराइड (CNCL). साथ ही कुछ ऐसे नाइट्राइल् कंपाउंड्स होते हैं जिनमें साइनाइड ग्रुप तो होता है लेकिन वे जहरीले नहीं होते हैं. यहां तक कि इनको कुछ दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के लिए सिटालोप्रैम (सेलेक्सा), सिमेटिडिन (टेगामेट) इत्यादि.

साइनाइड की कितनी मात्रा जानलेवा हो सकती है?

साइनाइड किस प्रकार से और कितनी मात्रा में शरीर में लिया जा रहा है और व्यक्ति कितनी देर तक इसके संपर्क में है इस बात पर निर्भर करता है कि यह कितना प्राणघातक होगा या कितना असर करेगा. हम आपको बता दें कि जहर को निगलने की बजाय सांस के द्वारा लेने पर ज्यादा अधिक नुकसान दायक या फिर प्राणघातक होता है. प्रति मिलियन हाइड्रोजन साइनाइड के 2,000 भागों को श्वास के द्वारा लेने पर एक मिनट के भीतर मृत्यु हो सकती है और 1-3 मिलीग्राम प्रति किलो वजन, हाइड्रोजन साइनाइड के रूप में गणना की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि अगर साइनाइड की कम मात्रा शरीर के अंदर गई हो तो उसका असर कुछ घंटों या कुछ दिनों के बाद होगा. अगर शरीर में इसकी ज्यादा मात्रा जाए तो इसका असर तुरंत होता है. तकरीबन 1 मिलीग्राम से कम साइनाइड ज्यादा खतरनाक नहीं होता है लेकिन 3 ग्राम से ज्यादा मात्रा होने पर तुरंत मौत हो सकती है.

क्या सेब के बीज में सायनाइड होता है?

साइनाइड पाइज़निंग और उसके लक्ष्ण

साइनाइड को लेना ही साइनाइड पाइज़निंग कहलाता है. साइनाइड पाइज़निंग का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि इसके लक्षण गला घुटने ओर भी कई लक्षणों से मिलते झुलते हैं. साइनाइड का शरीर में जाने पर कोशिकाएं ऑक्सीजन का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं और ये हम सब जानते हैं कि कोशिकाओं को जीवित रखने के लिए ऑक्सीजन का होना अनिवार्य है.

अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:

- सांस् लेने में दिक्कत होना या सांस् फूलना

- उल्टी आना

- ज्यादा नींद आना

- उलझन महसूस करना और अजीब व्यवहार करना

- सिर घूमना

- पेट में दर्द का होना

- कोमा इत्यादि

साइनाइड का तुरंत शरीर में फैलने से दिल का दौरा भी पड़ सकता है.

क्या इसका उपचार करना संभव है?

यदि साइनाइड अधिक मात्रा में फेफड़ों में चला जाए तो तुरंत मौत हो सकती है और उपचार करना संभव नहीं है. लेकिन अगर साइनाइड का इस्तेमाल रसायनिक हथियार के रूप में किया जाता है तो उसकी मात्रा पर निर्भर करता है.

साइनाइड अगर शरीर में सांस के रास्ते से अंदर जाता है तो उस व्यक्ति को खुली हवा में ले जाया जाता है, उपचार किया जाता है और प्रक्रतिक रूप में पाए जाने वाले विटामिन B12 शरीर में cyanocobalamin बनाता है और पेशाब के रास्ते से बाहर निकाल दिया जाता है. ये जरूरी नहीं है कि उपचार के बाद भी व्यक्ति पूर्ण रूप से ठीक हो जाए, जहर से प्रभावित होकर कोई भी अंग कम करना बंद कर सकता है जिसकी वजह से पैरालिसिस हो सकता है या व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है. ऐसा कहा जा सकता है कि दवा देकर साइनाइड जहर का असर कम किया जा सकता है.

साइनाइड कितने रूपों में पाया जाता है?

साइनाइड ठोस, द्रव और गैस तीनों रूपों में पाया जाता है. अगर हम बात करें हाइड्रोजन साइनाइड की तो कमरे के तापमान में यह रंगहीन द्रव के रूप में पाया जाता है और ज्यादा तापमान पर रंगहीन गैस के रूप में. पाउडर फॉर्म में  सोडियम साइनाइड या पोटैशियम साइनाइड पाए जाते हैं.

क्या आप जानते हैं कि साइनाइड कहां पाया जाता है?

साइनाइड 100 से अधिक पौधों में पाया जाता है जैसे कि बादाम, बांस, कोर्न्स, लिमा बींस, आलु, कॉटन इत्यादि. कुछ फलों में भी यह पाया जाता है जैसे नाशपाती, बेर, सेब का बीज, एप्रिकोट और चेरी इत्यादि. इसके अलावा सिगरेट के धुएं, जलता हुआ कोयला, प्लास्टिक इत्यादि में भी यह पाया जाता है. कई शैवाल, कवक और बैक्टीरिया साइनाइड को उनके चयापचय गतिविधियों के उपज के रूप में भी उत्पादित करने के लिए जाने जाते हैं.

साइनाइड का इस्तेमाल कहा होता है?

इसका इस्तेमाल पेपर, कपड़े और प्लास्टिक को बनाने में किया जाता है. सोने को अयस्क से हटाने, धातुओं की सफाई और इलेक्ट्रोप्लेटिंग में भी साइनाइड के साल्ट का इस्तेमाल किया जाता है. यद्यपि साइनाइड बेहद जहरीला होता है, यह सबसे आम रसायनों में से एक है जिसका व्यापक रूप से विभिन्न उद्योगों में भी उपयोग किया जाता है. उदाहरण के लिए, प्लास्टिक, कपड़ा और कागज के निर्माण में साइनाइड की आवश्यकता पड़ती है. इतना ही नहीं, रसायनों का उपयोग आमतौर पर फोटोग्राफ विकास के लिए भी किया जाता है, जिसमें  साइनाइड भी शामिल है.

साइनाइड के बारे में कुछ और रोचक तथ्य

- साइनाइड कभी भी खाद्य श्रृंखला (फूड चैन) को आगे नहीं बढ़ा सकता है. इसका मतलब यह है कि, उदाहरण के लिए, यदि एक मछली को साइनाइड पाइज़निंग हो जाती है तो उस मछली को खाने से किसी भी मानव या जानवर को साइनाइड पाइज़निंग नहीं होगी.

- ऐसा नहीं है कि केवल सूक्ष्मजीव और पौधे ही साइनाइड का उत्पादन करते हैं. कई कीड़े भी हैं जो इस रसायन का उत्पादन भी करते हैं. उदाहरण के लिए, millipedes, moths,बीटल, centipedes और यहां तक कि तितली भी सायनाइड को रक्षात्मक केमिकल के रूप में संश्लेषित और निकालने के लिए जानी जाती है.

- सोडियम साइनाइड और पोटेशियम साइनाइड सफेद पाउडर की फॉर्म में होते हैं जिनमें कड़वे बादाम की तरह गंध हो सकती है.

- सायनोजन नामक अन्य रसायन भी साइनाइड उत्पन्न कर सकते हैं.

- सायनोजन क्लोराइड एक रंगहीन तरलीकृत गैस है जो हवा से भारी है और इसमें तेज गंध होती है.

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि साइनाइड क्या है और कितने प्रकार का होता है साथ ही किन चीज़ों में पाया जाता है और कहां-कहां इस्तेमाल किया जाता है.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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