Republic Day 2025: भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का आयोजन किया जाता है। यह दिन भारत के संविधान को अपनाने का प्रतीक भी है। इस दिन नई दिल्ली स्थित कर्तव्य पथ पर परेड का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों की शक्तियों की प्रदर्शन किया जाता है।
इस आयोजन में बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचते हैं और इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनते हैं। हालांकि, यहां सवाल है कि इस बार 76वें या फिर 77वें गणतंत्र दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इस लेख में हम इस बारे में जानेंगे।
क्या है इतिहास?
साल 1947 में 27 अक्टूबर को 299 सदस्यीय संविधान सभा ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करना शुरू किया था, जिसे अंततः 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था।
संविधान सभा को भारतीय संविधान को अंतिम रूप देने में तीन वर्ष लगे, जिसमें डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसके साथ ही भारत की एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में शुरुआत हुई।
76वां या 77वां गणतंत्र दिवस?
कई लोग 1949 से गिनती करते हैं और सोचते हैं कि उसी दिन संविधान को अपनाया गया था, लेकिन इसका वास्तविक महत्त्व उस दिन में निहित है जब यह लागू हुआ। यह अधिनियम 1950 में लागू हुआ और 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह की आधिकारिक तिथि बना दिया गया। यह राष्ट्रीय गौरव का दिन है, जिसे देश भर के नागरिक देशभक्ति की भावना के साथ मनाते हैं। इसलिए, भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, 2025 को मनाएगा।
क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस?
1950 में भारतीय संविधान को अपनाने के सम्मान में भारत में हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
यह दिन भारत के ब्रिटिश अधिपत्य से एक सम्प्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य में परिवर्तन का प्रतीक है। यह राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की स्थापना का प्रतीक है।
26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस?
1930 में पूर्ण स्वराज की घोषणा के उपलक्ष्य में 26 जनवरी का दिन चुना गया। गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय गौरव का क्षण है, जो भारत की एकता और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है। ऐसे में 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
भारतीय संविधान प्रारूप समिति के सदस्यों की लिस्ट
1947 में गठित भारतीय संविधान की प्रारूप समिति में निम्नलिखित सदस्य थे:
-डॉ. बी.आर. अंबेडकर (अध्यक्ष): संविधान के मुख्य वास्तुकार
-अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर: प्रसिद्ध वकील और संवैधानिक विशेषज्ञ
-एन. गोपालस्वामी अय्यंगार: राजनेता और राजनयिक
-के.एम. मुंशी: स्वतंत्रता सेनानी और लेखक
-सैयद मोहम्मद सादुल्लाह: राजनीतिज्ञ और असम के पूर्व प्रधानमंत्री
-बी.एल. मित्तर: संवैधानिक विशेषज्ञ (एन. माधव राव की मृत्यु के बाद)
-डी.पी. खेतान: विधिवेत्ता (उनकी मृत्यु के बाद टी.टी. कृष्णमाचारी द्वारा प्रतिस्थापित)
-टीटी कृष्णमाचारी: अर्थशास्त्री और राजनेता (डीपी खेतान का स्थान लेने के बाद)
-एम. अनंतशयनम अयंगर: प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और वकील
इन सदस्यों ने मिलकर संविधान का मसौदा तैयार किया, भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को आकार दिया और न्याय, समानता और स्वतंत्रता के मूल्यों को इसमें शामिल किया।
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