बिहार के आदिवासी विद्रोह ज्यादातर असंगठित, स्थानीय और समय– समय पर होने वाले विद्रोह थे। ये विद्रोह मुख्य रूप से ब्रिटिश सरकार द्वारा आदिवासियों और आदिवासियों की जमीन के शोषण से संबंधित और बाहरी लोगों को उनकी जमीन देने से जुड़े थे। यहां, हम 'बिहार के आदिवासी विद्रोहों' की सूची दे रहे हैं। इसमें तारीख, इससे जुड़े लोगों के साथ– साथ विद्रोह की प्रकृति और उद्देश्य भी दिए जा रहे हैं।
बिहार में हुए आदिवासी विद्रोहों की सूची
विद्रोह का नाम | विद्रोह का विवरण |
हो और मुंडा की बगावत | तारीख: 1820, 1827, 1899, 1900, 1860-1920 विद्रोह से जुड़े लोग : राजा परहत प्रकृति और उद्देश्य: ब्रिटिश शासकों, स्थानीय साहूकारों और जमींदारों के खिलाफ।
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कोलों की बगावत | तारीख: 1831-32 संबद्ध लोग : बुद्धू भगत, विंदा राय और सुरगा मुंडा प्रकृति और उद्देश्य: कोलों की जमीन पर ब्रिटिश शासन का विस्तार और उनकी जमीन सिख और मुस्लिम जैसे समुदाय के बाहरी किसानों को देने के खिलाफ।
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भूमिज विद्रोह | तारीख: 1832-1833 संबद्ध लोग : गंगा नारायण प्रकृति और उद्देश्यः अंग्रेजों के भू– राजस्व नीति के खिलाफ।
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संथाल विद्रोह | तारीख: 1855-56 संबद्ध लोग : सिद्धू, कान्हू, भैरों और चांद प्रकृति और उद्देश्य: शोषक जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ।
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सफा होर विद्रोह | तारीख: 1870 संबद्ध लोग : बाबा भगीरथ मांझी, लाल हेम्ब्रम और पैका मुर्मू प्रकृति और उद्देश्य : धार्मिक भावनाओं पर प्रतिबंध के खिलाफ। |
मुंडा विद्रोह | तारीख: 1899-1900 संबद्ध लोग : बिरसा मुंडा प्रकृति और उद्देश्य: 1865 के वन नियमन अधिनियम के कारण आदिवासी भूमि के हस्तांतरण के खिलाफ
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ताना भगत आंदोलन | तारीख: 1914 संबद्ध लोग : उरांव ने आंदोलन की शुरुआत की और जात्रा भगत मुख्य नेता थे। प्रकृति और उद्देश्य: साहूकारों और ठेकेदारों के खिलाफ।
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