इस बार का चंद्र ग्रहण पूर्ण न होकर उपच्छाया चंद्र ग्रहण (penumbral lunar eclipse) है. चंद्र ग्रहण को lunar eclipse भी कहते हैं. नासा ने इस खगोलीय घटना को 'वुल्फ मून एक्लिप्स' (Wolf Moon Eclipse) कहा है.
आपको बता दें कि खंडच्छायायुक्त या उपच्छाया चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण से काफी धुंधला होता है.
भारत में खंडच्छायायुक्त या उपच्छाया चंद्र ग्रहण का समय
Timeanddate.com के अनुसार, चंद्रग्रहण 10 जनवरी, 2020 को रात 10:37 बजे शुरू होगा और 11 जनवरी, 2020 की सुबह 2:42 बजे समाप्त हो जाएगा. अधिकतम ग्रहण का समय 12:42 बजे 11 जनवरी को सुबह का है.
चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर और आर्कटिक क्षेत्र में दिखाई देगा. अधिकांश उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के पूर्वी हिस्से में भी चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा.
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चंद्र ग्रहण कब लगता है?
चंद्र ग्रहण एक खगोलीय स्थिति है. जैसा कि हम जानते हैं कि चंद्रमा का अपना प्रकाश नहीं होता है परन्तु फिर भी यह चमकता है क्योंकि इसकी सतह सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित करती हैं. जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण लगता है. परिणामस्वरूप यह सूर्य की किरणों को सीधे चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है.
चंद्र ग्रहण कितने प्रकार का होता है?
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार का होता है: पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण और खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण. इन सबमें सबसे ज्यादा प्रभावशाली पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है.
पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse): यह तब लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है और ऐसे में पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है. उस समय चंद्रमा पूरी तरह से लाल या ऑरेंज कलर का नज़र आता है और इसी समय ही चंद्रमा पर धब्बे साफ देखे जा सकते हैं. यहीं आपको बता दें कि ऐसी स्थिति सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनती है. पूर्णिमा को ही पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने की संभावना होती है. इसे सुबर ब्लड मून भी कहा जाता है.
आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse): यह तब लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूरी न आकर उसकी छाया चंद्रमा के कुछ हिस्सों पर पड़ती है. यानी पृथ्वी की छाया सूर्य ओर चंद्रमा के कुछ खंड पर ही पड़ती है. इस ग्रहण का समय ज्यादा लम्बा नहीं होता है.
खंडच्छायायुक्त या उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse): ऐसा चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है. परन्तु इस स्थिति में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं. इस दौरान पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया जिसे उपच्छाया या पिनम्ब्र कहा जाता है, चंद्रमा के बाकी हिस्से में पड़ती है. यानी चंद्रमा पृथ्वी की छाया से धुंधला नहीं होता है और एक प्रकार की उपच्छाया उपस्थित हो जाती है. यह हमेशा आंशिक चंद्र ग्रहण से ही शुरू होता है.
तो अब आप जान गए होंगे की चंद्र ग्रहण कैसे लगता है, कितने प्रकार का होता है, और जो 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगने वाला है वह उपच्छाया चंद्र ग्रहण है और लगभग 4 घंटे 5 मिनट की अवधि तक लगेगा. इसे भारत में भी देखा जाएगा. यह 2020 का पहला चंद्र ग्रहण होगा. आखिर में आपको बता दें कि चंद्र ग्रहण को बिना चश्मे या लेंस के भी देखा जा सकता है.
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