भारत के इतिहास में आंदोलनों का विशेष महत्व रहा है। क्योंकि, आजाद भारत की तस्वीर को बनाने में आंदोलनों ने अपना योगदान दिया, जिसमें कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहूति भी दी। अपनी बात को प्रमुखता से रखने और विरोध जताने के लिए आंदोलनों की पृष्ठभूमि शुरू से ही मजबूत रही है।
यही वजह है कि देश के आजाद होने के बाद भी भारत में समय-समय पर कई बड़े आंदोलन हुए, जिनसे सामाजिक स्तर कई प्रभाव पड़े। हाल ही में किसानों की ओर से दिल्ली चलो आंदोलन की शुरूआत की गई है, जिसके तहत दिल्ली की तरफ कूच किया गया है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि देश के आजाद होने के बाद भारत के 7 प्रमुख आंदोलन कौन-से रहे हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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सेव साइलेंट वैली आंदोलन
सेव साइलेंट वैली आंदोलन आजाद भारत का पहला और सबसे बड़े आंदोलनों में से एक है। इस आंदोलन की शुरुआत केरल में वर्षा वनों को बचाने के लिए की गई थी। यहां पनबिजली परियोजना लगाने का प्रस्ताव थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस परियोजना पर रोक लगा दी थी और इस क्षेत्र को 1984 में नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया।
चिपको आंदोलन
आपने चिपको आंदोलन का नाम जरूर सुना होगा, जो कि वनों की कटाई को रोकने के लिए चलाया गया था। इस आंदोलन की शुरुआत अलकनंदा घाटी में मंडल गांव से हुई थी। आंदोलन में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जेपी आंदोलन
हम जब भी राष्ट्रीय आपातकाल के बारे में पढ़ते हैं, तो इस आंदोलन का जिक्र भी होता है। जेपी आंदोलन बिहार में शुरू किया गया था, जो कि बिहार सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ था। इस आंदोलन को सामाजिक कार्यकर्ता जय प्रकाश नारायण द्वारा शुरू किया गया था, जिसमें छात्रों ने भाग लिया था। साल 1974 में यह आंदोलन बिहार के मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर को पद से हटाने के लिए चलाया गया था।
जंगल बचाओं आंदोलन
इस आंदोलन की शुरुआत साल 1980 में बिहार से हुई थी, लेकिन बाद में यह ओडिसा और झारखंड के जंगलों तक फैल गया था। उस समय सरकार की ओर से बिहार के जंगलों को सागौन की लकड़ी के लिए वृक्ष लगाने के लिए चुना था, लेकिन स्थानीय आदिवासियों ने इसका विरोध किया, जो कि बड़े आंदोलनों में जाना जाता है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन
आपने कभी-न-कभी इस आंदोलन के बारे में भी जरूर सुना होगा। इस आंदोलन की शुरुआत 1985 में हुई थी, जिसमें पर्यावरणविद् से लेकर किसान व आदिवासी लोग शामिल थे। इस आंदोलन में लोगों ने बांध बनाने का विरोध किया था।
अन्ना आंदोलन
भारत के इतिहास में साल 2011 के अन्ना आंदोलन को कौन भूल सकता है। इस आंदोलन में अन्ना हजार ने जनलोकपाल बिल को लेकर आंदोलन किया था। यही वह आंदोलन था, जिससे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजनीति में उतरे थे।
निर्भया आंदोलन
पूरे देश को झकझोर के रखने वाले निर्भया केस के बाद इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसमें देश की बेटियों के लिए सुरक्षा की मांग की गई थी। इस आंदोलन को देश के सबसे बड़े आंदोलनों में से एक गिना जाता है, जो कि महिलाओं पर केंद्रित था।
नागरिकता संशोधन आंदोलन
साल 2019 के दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया गया था। इसका असर खासतौर पर देश की राजधानी नई दिल्ली में भी देखने को मिला था। इस दौरान कुछ जगहों पर हिंसा भी दर्ज की गई थी।
किसान आंदोलन
साल 2020 में किसानों की ओर तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन किया गया था। इस आंदोलन के तहत बड़ी संख्या किसान दिल्ली की सीमा पर डटे थे। वहीं, लाल किला पर हिंसा भी दर्ज की गई थी।
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