प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में तमिलनाडु में भारत के पहले Vertical Lift Railway Sea Bridge — नए पंबन ब्रिज — का उद्घाटन किया. यह तकनीक और इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना पाक स्ट्रेट की नीली लहरों पर स्थित है और 1914 में बने ब्रिटिश कालीन पुराने पुल की जगह ले रहा है.
लगभग 2.07 किमी लंबा यह नया ब्रिज, रामेश्वरम को तमिलनाडु की मुख्य भूमि से जोड़ता है. न सिर्फ यात्रियों की सुविधा के लिए बल्कि समुद्री जहाजों के आवागमन को भी ध्यान में रखते हुए इसे डिज़ाइन किया गया है. यही नहीं, उद्घाटन समारोह के दौरान पीएम मोदी ने रामेश्वरम-तांबरम एक्सप्रेस ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई, जो अब इस नए पुल से होकर चेन्नई और रामेश्वरम के बीच रोज़ चलेगी.
चलिये जानते है, इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट से जुड़ी 10 प्रमुख खूबियाँ, जो इसे देश का एक आधुनिक इंजीनियरिंग चमत्कार बनाती हैं.
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भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज:
भारत के तमिलनाडु राज्य में रामेश्वरम द्वीप को मुख्यभूमि से जोड़ने वाला नया पंबन ब्रिज एक आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है. लगभग ₹550 करोड़ की लागत से बने इस पुल ने 100 साल पुराने ब्रिज की जगह ली है और यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज है.
नया पंबन ब्रिज हाईलाइट्स:
नेविगेशनल स्पैन | 72.5 मीटर लंबा हिस्सा 17 मीटर तक ऊँचा उठाया जा सकता है, जिससे बड़े जहाज आसानी से नीचे से गुजर सकें. |
ऊँचाई में बढ़ोतरी | नया पुल पुराने पुल से 3 मीटर ऊँचा बनाया गया है, जिससे समुद्री यातायात में सुधार होगा. |
डुअल ट्रैक डिज़ाइन | सबस्ट्रक्चर दो ट्रैकों के लिए डिज़ाइन किया गया है, हालांकि वर्तमान में केवल एक लाइन चालू है. |
एडवांस टेक्नोलॉजी | उन्नत सामग्री और इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग कर पुल को दीर्घायु बनाया गया है. |
स्टेनलेस स्टील रीइन्फोर्समेंट | पुल को मजबूत बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है, साथ ही हाई ग्रेड प्रोटेक्टिव पेंट और पूरी तरह वेल्डेड जोड़ हैं. |
भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज: यह देश का पहला ऐसा पुल है जिसमें वर्टिकल लिफ्ट तकनीक का उपयोग किया गया है.
स्थान और संपर्क: यह पुल तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में रामेश्वरम को मंडपम से जोड़ता है.
लंबाई और स्पैन: पुल की लंबाई 2.07 किलोमीटर है, जिसमें 72.5 मीटर का नेविगेशनल स्पैन है जिसे 17 मीटर ऊंचा उठाया जा सकता है.
वर्टिकल लिफ्ट मैकेनिज्म: यह तकनीक बड़े जहाजों को नीचे से गुजरने देती है, और ट्रेन सेवा बिना रुके जारी रहती है. लिफ्ट उठाने में सिर्फ़ 5 मिनट लगते हैं.
ऊंचाई: पुराने पुल की तुलना में यह पुल 3 मीटर ऊंचा बनाया गया है, जिससे छोटे जहाज बिना लिफ्ट उठाए भी निकल सकते हैं.
मैटेरियल: इसमें स्टेनलेस स्टील, पूरी तरह वेल्डेड जॉइंट्स और समुद्री जंग से बचाने के लिए खास कोटिंग का इस्तेमाल किया गया है.
ड्यूल ट्रैक डिज़ाइन: वर्तमान में सिंगल लाइन पर ऑपरेट हो रहा है, लेकिन भविष्य में दो रेल लाइनों के लिए डिज़ाइन किया गया है.
स्पीड और कैपसिटी: इस पुल पर ट्रेनें 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं और यह सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों को भी संभाल सकता है.
लाइफस्पैन: इसकी अनुमानित आयु 100 साल है और कम मेंटेनेंस की आवश्यकता होगी.
निर्माण लागत और चुनौतियाँ: 2019 में स्वीकृत इस प्रोजेक्ट को बनाना पलक स्ट्रेट की कठिन समुद्री परिस्थितियों के कारण बेहद चुनौतीपूर्ण था.
पुराने और नए पंबन ब्रिज में क्या है अंतर:
विशेषता | पुराना पंबन ब्रिज | नया पंबन ब्रिज |
लिफ्ट टेक्नोलॉजी | मैन्युअल शेर्जर रोलिंग लिफ्ट (डबल लीफ), उठाने में 45 मिनट लगते थे | वर्टिकल लिफ्ट मैकेनिज्म, 5 मिनट से कम में उठता है |
निर्माण वर्ष | 1914 में बना, 2022 में बंद | 2024 में पूरा हुआ |
मैटेरियल | पारंपरिक कंक्रीट व स्टील | स्टेनलेस स्टील और खास कोटिंग |
ऊंचाई | समुद्र तल से 19 मीटर | पहले से 3 मीटर ऊंचा |
ट्रैक | सिंगल ट्रैक, धीमी ट्रेनें | ड्यूल ट्रैक डिज़ाइन, तेज़ ट्रेनें |
स्पीड लिमिट | कम गति की ट्रेनें | 80 किमी/घंटा तक की ट्रेनें |
नया पंबन ब्रिज न केवल भारत की रेलवे क्षमता को नई ऊंचाई देता है, बल्कि रामेश्वरम जैसे धार्मिक स्थलों तक तेज़ और सुरक्षित पहुँच को भी सुनिश्चित करता है. यह पुल भारत की इंजीनियरिंग शक्ति का प्रतीक बन चुका है.
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