Satellite Based Toll System: फास्टैग-टोल भी होंगे बंद! नई टेक्नोलॉजी में कैसे कटेगा टोल टैक्स? जानें यहां

Jun 14, 2024, 18:39 IST

भारत में जल्द ही टोल प्लाजा पर होने वाली भीड़, विवाद और समस्याओं से निजात मिलने वाली है. भारतीय सरकार एक नया सिस्टम लागू करने जा रही है, जिससे नेशनल हाईवे पर यात्रा करते समय रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अभी FAStag के माध्यम से टोल का कलेक्शन किया जाता है. राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जल्द ही इस नए टोल कलेक्शन सिस्टम को पूरे देश में लागू करने जा रहा है. NHAI इस प्रयास में अपन कदम बढ़ाते हुए ग्लोबल टेंडर और EOI आमंत्रित कर दिए है.      

क्या है GNSS-Based  टोल कलेक्शन टेक्नोलॉजी?
क्या है GNSS-Based टोल कलेक्शन टेक्नोलॉजी?

भारत में जल्द ही टोल प्लाजा पर होने वाली भीड़, विवाद और समस्याओं से निजात मिलने वाली है. भारतीय सरकार एक नया सिस्टम लागू करने जा रही है, जिससे नेशनल हाईवे पर यात्रा करते समय रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आपकी गाड़ी बिना किसी रुकावट के तेज गति से अपने गंतव्य तक पहुंच सकेगी. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सैटेलाइट आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली लागू करने के लिए ग्लोबल टेंडर और अभिरुचि पत्र (EOI) आमंत्रित किए हैं. इस नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से टोल प्लाजा सिस्टम से निजात मिल जाएगी. चलिये जानते है इस नई टेक्नोलॉजी के बारें में. 

अभी कैसे होता है टोल कलेक्शन:

Satellite Based Toll System NHAI: अभी FAStag के माध्यम से टोल का कलेक्शन किया जाता है. इस कलेक्शन सिस्टम में RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस) टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है. इस सिस्टम में वाहन की विंडशील्ड पर एक चिप युक्त स्टिकर लगाया जाता है, जिसे टोल बूथ पर लगे स्कैनर स्कैन करते है और टोल चार्ज आपके FAStag अकाउंट से कट जाता है. हालांकि फास्टैग के लिए टोल बूथों पर रुकना जरूरी होता है, लेकिन ये लेन कैशलेस होती हैं. फिर भी, पीक ऑवर्स में अक्सर लंबी कतारें देखने को मिलती है.  

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अब सैटेलाइट के माध्यम से होगा टोल कलेक्शन:

NHAI ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर आधारित इस नई तकनीक से राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा करने वाले लोगों को बिना रुके टोल का भुगतान करने की सुविधा प्रदान की जाएगी. NHAI अभी GNSS-Based टेक्नोलॉजी को अपने  टोल कलेक्शन सिस्टम में इंटीग्रेट करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है.       

क्या है GNSS-Based टेक्नोलॉजी: 

ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) टेक्नोलॉजी सैटेलाइट आधारित तकनीक है इसके तहत देश भर में हाईवे पर वर्चुअल टोल बूथ को इंस्टाल किया जायेगा जो वाहनों द्वारा तय की गयी दूरी के आधार पर टोल चार्ज का निर्धारण करेगा. इसके तहत वर्चुअल टोल बूथ सीधे  सैटेलाइट से कम्युनिकेट करेंगे है और हर वाहन के लिए टोल चार्ज तय करेगे. जिसके बाद आपके द्वारा तय की गयी दूरी के आधार पर प्रीपेड अकाउंट और पोस्टपेड बिलिंग के माध्यम से टोल पेमेंट होगा. यह नई सुविधा कई मायनों में अभी के फ़ास्ट टैग सिस्टम से बेहतर होगी.   

STQC सर्टिफिकेशन अनिवार्य: 

अभी टोल प्लाजा को मैनेज करने वाली यूनिट इंडियन हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड-IHMCL ने निर्देश जारी किये है कि टोल प्लाजा के साथ काम करने वाली कंपनी को STQC सर्टिफिकेशन हासिल करना जरुरी होगा. कभी- कभी ऐसा होता है कि स्कैनर सही से वाहन के QR कोड को स्कैन नहीं कर पाते है. IHMCL दिशा-निर्देशों के तहत ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर, टोल लेन कंट्रोलर और टोल प्लाजा सर्वर सहित सभी उपकरण STQC प्रमाणित होना अनिवार्य है. 

 NHAI की क्या है तैयारी: 

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जल्द ही इस नए टोल कलेक्शन सिस्टम को पूरे देश में लागू करने जा रहा है. NHAI इस प्रयास में अपन कदम बढ़ाते हुए ग्लोबल टेंडर और EOI आमंत्रित कर दिए है. साथ ही NHAI  ने इस टेक्नोलॉजी पर काम करने वाली योग्य और बेहतर कंपनी से EOI मंगाया है. बता दें की शुरू में एक मिश्रित मॉडल के तहत फ़ास्टटैग आधारित और GNSS आधारित मॉडल को लागू किया जायेगा. इसके तहत टोल कलेक्शन के लिए वर्चुअल और फिजिकल दोनों प्रकार के टोल कलेक्शन को जारी रखा जायेगा.     

Bagesh Yadav
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