उत्तर प्रदेश का इतिहास उठाकर देखें, तो हमें यहां विभिन्न ऐतिहासिक स्थल और धरोहर देखने को मिलेंगी। इनमें यूपी के कुछ पुराने पुल भी शामिल हैं, जिनका निर्माण अंग्रेजों द्वारा किया गया था और आज भी इन पुलों को प्रदेश में देखा जा सकता है।
इन पुलों को बेजोड़ और आधुनिक तकनीक से इस तरह से बनाया गया था कि आज भी ये पुल जस के तस खड़े हैं। इन पुलों से आज भी ट्रेनों के आवागमन के साथ-साथ सड़क यातायात भी गुजरता है। इस कड़ी में क्या आप यूपी में अंग्रेजों के जमानों के सबसे पुराने पुलों के बारे में जानते हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
अंग्रेजों के समय का सबसे पुराना पुल
यूपी के प्रयागराज में यमुना का नैनी पुल सबसे पुराना पुल माना जाता है। इस पुल पर 15 अगस्त, 1865 को पहली बार ट्रेन का संचालन हुआ था। खास बात यह है कि यह आज भी उपयोग में है और प्रतिदिन इस पुल से करीब 200 ट्रेनों का आवागमन होता है।
शुरुआत में जब ट्रेन इस पुल से गुजरती थी, तो ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 60 किलोमीटर प्रतिघंटा हुआ करती थी, हालांकि बाद में पुल को और मजबूत करते हुए करते हुए ट्रेनों की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक बढ़ाई गई। पुल की कुल लंबाई 1 किलोमीटर से अधिक है।
लॉर्ड कर्जन पुल
लॉर्ड कर्जन पुल 115 साल पुराना है, जो कि प्रयागराज-फैजाबाद-लखनऊ मार्ग पर है। पुराने समय में यहां रेलवे का संचालन अवध व रुहेलखंड रेलवे द्वारा किया जाता था। आपको बता दें कि पुल से सड़क यातायात 20 दिसंबर 1905 को शुरू हुआ था।
पुल का नाम वायसराय लॉर्ड कर्जन के नाम पर रखा गया था। पुल का निर्माण 1901 में शुरू किया गया था। पुल की कुल लंबाई 5 किलोमीटर है, हालांकि 1998 में पुल को असुरक्षित बताते हुए रेलवे द्वारा बंद कर दिया गया था।
बांदा केन नदी का पुल
बांदा केन नदी का पुल कानपुर और झांसी मार्ग पर प्रमुख पुल है। इस पुल का निर्माण 1865 में किया गया था। ऐसे में यह पुल भी अपनी मियाद पूरी कर चुका है। इसे देखते हुए पुल का निरीक्षण किया गया, तो इसे अगले कुछ वर्षों के लिए संचालन की अनुमति दी गई है।
उन्नाव-गंगा पुल
यूपी का उन्नाव-गंगा पुल ब्रिटिश समय का पुल है, जिसका निर्माण कार्य 1870 में शुरू हुआ था। उस समय अवध एवं रुहेलखंड कंपनी लिमिटेड द्वारा पुल का निर्माण कार्य किया गया था।
वहीं, जेएम हेपोल ने इसका डिजाइन तैयार किया गया था। हालांकि, समय के साथ-साथ पुल की मियाद खत्म हो गई और नवंबर,2024 में यह पुल ढह गया। ऐतिहासिक पुल का महत्त्व देखते हुए पुल को धवस्त हिस्सा ठीक किया जाएगा, जिससे यह संरक्षित रहे।
पढ़ेंःउत्तर प्रदेश के 10 सबसे छोटे जिले कौन-से हैं, यहां जानें
Comments
All Comments (0)
Join the conversation