रामायण यूनिवर्सिटी कहां बनाई जाएगी और इसमें क्या-क्या पढ़ाया जाएगा

राम जी की जन्मभूमि अयोध्या में लगभग 21 एकड़ में रामायण यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी. इसके लिए महर्षि विद्यापीठ ट्रस्ट की और से रुपरेखा तैयार कर ली गई है. प्रस्तावित यूनिवर्सिटी का निर्माण राज्य सरकार के सहयोग से निजी क्षेत्र द्वारा किए जाने की संभावना है.
आइये जानते हैं कि रामायण यूनिवर्सिटी में क्या-क्या पढ़ाया जाएगा?
रामायण यूनिवर्सिटी राम नगरी अयोध्या में रिसर्च के लिए बनाई जा रही है. ऐसा बताया जा रहा है कि इस यूनिवर्सिटी में कुछ ही विभाग खोले जाएंगे, जिनमें रामायण के शोध या रिसर्च के बारे में पढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. विशेष तौर पर रामायण शोध से जुड़े विभागों को खोला जाएगा. साथ ही यूनिवर्सिटी में हिंदी और संस्कृत भाषा को प्रमुख स्थान दिया जाएगा. इसमें छात्रों को वेद रामायण, उपनिषद, योग, ध्यान और आयुर्वेद इत्यादि पढ़ाया जाएगा.
रामायण यूनिवर्सिटी के पहले चरण में कितने छात्रों को पढ़ाया जाएगा?
बताया जा रहा है कि रामायण यूनिवर्सिटी के पहले चरण में लगभग 500 छात्रों को पढ़ाया जाएगा. यूनिवर्सिटी बहुमंजिला होगी. साथ ही यहाँ पर रहने वाले छात्रों के लिए भोजन और आवास भी उपलब्ध होगा.
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रामायण यूनिवर्सिटी की स्थापना का उद्देश्य क्या है?
यूनिवर्सिटी को स्थापित करने के पीछे का उद्देश्य ज्ञान के प्राचीन और पारंपरिक खजाने का संरक्षण और विकास करना. युवाओं में संस्कृति को भी मजबूत करना है.
उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा के अनुसार, रामायण यूनिवर्सिटी दुनिया भर के लोगों को भगवान राम के जीवन और सिद्धांतों के बारे में बताएगी. इसमें हिंदू धर्म और संस्कृति पर अध्ययन भी शामिल होगा.
यूनिवर्सिटी में प्राचीन वैदिक शिक्षा पद्धति के साथ मॉडर्न साइंस को भी जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. इसमें रामायण पर रिसर्च कार्य किया जाएगा. जीवन से संबंधित रामायण के विषयों पर रिसर्च कर उन्हें लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा. इतना ही नहीं नई पीढ़ी को भी राम संस्क्रती और वेद विद्या का ज्ञान भी प्रदान किया जाएगा.
महर्षि महेश योगी के बारे में
महर्षि महेश योगी, मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा एक आध्यात्मिक नेता थे जिन्होंने पश्चिम में ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन (Transcendental meditation) की प्रथा की शुरुआत की थी.
महर्षि के प्रारंभिक जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिकी का अध्ययन किया और कुछ समय के लिए कारखानों में काम किया. बाद में वह हिमालय चले गए, जहां उन्होंने 13 साल तक ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन के संस्थापक गुरु देव के अधीन अध्ययन किया.
1952 में जब गुरु देव की मृत्यु हुई, तो महर्षि ने ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन की शिक्षाओं को दुनिया भर में फैलाने के लिए एक आंदोलन का आयोजन किया; उन्होंने पहला विश्व दौरा 1959 में किया था.
आखिर ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन (Transcendental meditation) क्या है?
यह एक प्रकार का ध्यान है, जिसका अभ्यास दिन में दो बार किया जाता है, जिसमें व्यक्ति मानसिक रूप से एक विशेष मंत्र का उच्चारण करता है. बार-बार उच्चारण करने पर ध्यान केंद्रित करने से मानसिक गतिविधि कम हो जाती है, और परिणामस्वरूप चेतना की उच्च अवस्था तक पहुंचने की उम्मीद की जाती है.
अंत में आपको बता दें कि तीन अन्य राज्य विश्वविद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं - अलीगढ़, सहारनपुर और आजमगढ़ में एक-एक. अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, सहारनपुर में मां शाकुंभरी देवी विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है, जबकि आजमगढ़ में तीसरे विश्वविद्यालय के नाम को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है.
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