पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना का क्या उद्देश्य है?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक सुधार-आधारित और परिणाम-से जुड़ी, पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना को मंजूरी दे दी है. आइये इस लेख के माध्यम से इस स्कीम और उद्देश्य के बारे में जानते हैं.

Sep 16, 2021, 15:33 IST
Revamped Distribution Sector Scheme
Revamped Distribution Sector Scheme

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पांच वर्षों की अवधि में 3,03,758 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक सुधार-आधारित और परिणाम-से जुड़ी पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना को मंजूरी दी है.

इसका उद्देश्य वित्तीय स्थिरता और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना है.

योजना की मुख्य विशेषताएं

- यह एक सुधार आधारित और परिणाम से जुड़ी योजना है.

- इस योजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र के डिस्कॉम (DISCOM) को छोड़कर सभी डिस्कॉम / पॉवर विभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है.

- इस योजना में आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और इसके लिए डिस्कॉम को सशर्त वित्तीय सहायता के प्रावधान की परिकल्पना की गई है. यह वित्तीय सहायता पूर्व-अर्हता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम बेंचमार्क की उपलब्धि पर आधारित होगी.

- इस योजना का परिव्यय 3,03,758 करोड़ रुपये होगा, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से अनुमानित 97,631 करोड़ रुपये का GBS होगा.

- योजना का कार्यान्वयन 'वन-साईज-फिट्स-ऑल' दृष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर आधारित होगा.

- यह योजना वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध रहेगी. योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए REC और PFC को नोडल एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है. इसकी नोडल एजेंसियाँ: ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और विद्युत वित्त निगम हैं.

- विभिन्न योजनाओं का समावेश: यह प्रस्तावित है कि निम्नलिखित योजनाओं के तहत वर्तमान में चल रही अनुमोदित परियोजनाओं को सम्मिलित किया जाएगा:

  • एकीकृत विद्युत विकास योजना (IPDS)
  • दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY)
  • उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY)
  • इन योजनाओं में धनराशिकों को IPDS के तहत चिह्नित परियोजनाओं के लिए और 31 मार्च, 2023 तक IPDS और DDUGJY के तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम (PMDP) के तहत स्वीकृत चल रही परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

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योजना के उद्देश्य (Scheme Objectives)

- वर्ष 2024-25 तक AT&C हानियों को अखिल भारतीय स्तर पर 12-15% तक कम करना.

- वर्ष  2024-25 तक ACS-ARR के अंतराल को कम करके शून्य करना.

- आधुनिक डिस्कॉम्स के लिए संस्थागत क्षमताओं का विकास करना.

- वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना.

प्रमुख बिंदु 

- इस योजना में किसानों के लिए बिजली की आपूर्ति में सुधार लाने और कृषि फीडरों के सौरकरण के माध्यम से उन्हें दिन के समय बिजली उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया है.

- यह योजना प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना के साथ काम करती है, जिसका उद्देश्य सभी फीडरों को सोलराइज करना और किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करना है.

- योजना की एक प्रमुख विशेषता प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (PPP) मोड में लागू करने के लिए उपभोक्ता सशक्तिकरण को सक्षम करना है. 

  • स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को मासिक आधार के बजाय नियमित आधार पर अपनी बिजली की खपत की निगरानी करने की अनुमति देगा, जो उन्हें अपनी जरूरतों के अनुसार और उपलब्ध संसाधनों के संदर्भ में बिजली के उपयोग में मदद कर सकता है.
  • पहले चरण में दिसंबर, 2023 तक लगभग 10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का प्रस्ताव है.
  • कृषि कनेक्शनों की अलग-अलग स्थिति और बस्तियों से उनकी दूरी को देखते हुए, कृषि कनेक्शनों को केवल फीडर मीटर के माध्यम से ही कवर किया जाएगा.
  • यह भी प्रस्ताव है कि उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के समयबद्ध कार्यान्वयन के साथ-साथ PPP मोड में संचार सुविधा के साथ फीडर और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर (DT) स्तर पर सिस्टम मीटरिंग करने का भी प्रस्ताव है.

- सिस्टम मीटर, प्रीपेड स्मार्ट मीटर सहित IT/OT उपकरणों के माध्यम से उत्पन्न डेटा का विश्लेषण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी लाभ उठाया जाएगा.

- शहरी क्षेत्रों में वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण होगा जिसमें सभी शहरी क्षेत्रों में पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (SCADA) और 100 शहरी केंद्रों में DMS होगा.

- ग्रामीण और शहरी क्षेत्र प्रणाली का सुदृढ़ीकरण होगा.

- विशेष श्रेणी के राज्य: सिक्किम के उत्तर-पूर्वी राज्यों और जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप के राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों सहित सभी विशेष श्रेणी के राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्यों के रूप में माना जाएगा.

Source:pib

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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