उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक विरासत और अनूठी परंपराओं के साथ समृद्ध इतिहास के मिश्रण वाला राज्य है। यही वजह है कि हर साल यहां पर बड़ी संख्या देशी-विदेशी सैलानी पर्यटन के लिए पहुंचते हैं। भारत का यह राज्य क्षेत्रफल के हिसाब से चौथा सबसे बड़ा राज्य है। इसका कुल क्षेत्रफल 240,928 वर्ग किलोमीटर है, जो कि पूरे देश का 7.33 फीसदी है।
इसके साथ ही यह भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य भी है। साल 2011 में यहां की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी। हालांकि, वर्तमान में यह आंकड़ा 24 करोड़ को पार कर गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश पूरे भारत में सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। आपने प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का कौन-सा जिला सबसे अमीर है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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उत्तर प्रदेश में कुल कितने जिले हैं
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि उत्तर प्रदेश में कुल कितने जिले हैं। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर खिरी है। वहीं, सबसे छोटा जिला हापुड़ है। सबसे पूर्वी जिला बलिया और सबसे पश्चिमी जिला शामली है। वहीं, सबसे उत्तरी जिला सहारनपुर और सबसे दक्षिणी जिला सोनभद्र है।
उत्तर प्रदेश का सबसे अमीर जिला कौन-सा है
अब सवाल है कि उत्तर प्रदेश का सबसे अमीर जिला कौन-सा है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश का सबसे अमीर जिला गाजियाबाद है, जिसे हम उद्योग नगरी और इंजीनियरिंग सिटी के रूप में भी जानते हैं।
कैसे है सबसे अमीर जिला
अब आप सोच रहे होंगे कि गाजियाबाद सबसे अमीर जिला कैसे हैं, तो आपको बता दें कि भारत की थिंक टैंक कहे जाने वाली नीति आयोग की ओर से जुलाई में बहु-आयामी सूचकांक-2023 की रिपोर्ट जारी की गई थी। इसके तहत उत्तर प्रदेश में भी गरीबी का आकलन किया गया था। इसके तहत प्रदेश के गाजियाबाद जिले में गरीबों की संख्या सबसे कम यानि कि केवल 7 फीसदी दर्ज की गई थी। आपको बता दें कि यह आंकड़े 2021 तक दर्ज किए गए हैं। इससे पहले साल 2016 में गाजियाबाद में गरीबों की संख्या 17 फीसदी थी।
किन मानकों पर हुआ था सर्वे
जिलों में गरीबी का स्तर जांचने के लिए तीन मानक चुने गए थे, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर को आधार बनाया गया था। इसके तहत जिलों में पोषण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, जन्म एवं मृत्यु दर, स्कूलों में उपस्थिति, बच्चों के स्कूल जाने की उम्र, आवास, बिजली, पीने का पानी, साफ-सफाई, शौचालय, बैंक खाता और संपत्ति को आधार बनाया गया था।
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