14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा

Apr 19, 2018, 11:22 IST

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 में हर पांच वर्षों में एक वित्त आयोग की स्थापना की बात कही गयी है. राष्ट्रपति ने 14वें वित्त आयोग का गठन भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर श्री वाई. वी. रेड्डी की अध्यक्षता में किया है. इस वित्त आयोग की कार्यकाल अवधि 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 तक है. 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी में 10% की बढ़ोत्तरी की सिफारिश की है. अब राज्यों को केंद्र के कर राजस्व का 42% हिस्सा बांटा जायेगा.

Chairman of 14th Finance Commission
Chairman of 14th Finance Commission

जैसा कि हम जानते हैं कि भारत में अधिकांश कर केंद्र सरकार द्वारा लगाये और एकत्र किये जाते हैं. राज्य सरकारों के पास प्रदेश का प्रशासन चलाने के लिए बहुत ही सीमित मात्रा में संसाधन होते हैं. राज्य सरकारों को संसाधनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ देखना पड़ता है.

इस समस्या के समाधान के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 में हर पांच साल में वित्त आयोग की स्थापना की बात की गयी है. वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर हर राज्य को केंद्र की तरफ से धन उपलब्ध कराया जाता है. राष्ट्रपति ने 14वें वित्त आयोग का गठन; भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर श्री वाई. वी. रेड्डी की अध्यक्षता में किया है. इसका कार्यकाल 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 तक का है.

14वें वित्त आयोग ने अनुशंसा दी है कि केंद्र सरकार अपने कर राजस्व का 42% हिस्सा राज्यों में बांटे, जो कि 13 वें वित्त आयोग की तुलना में 10% ज्यादा है.

अतः केंद्र सरकार की तरफ से पांच साल (2015-20) की अवधि के दौरान राज्यों को कुल 39.48 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किये जायेंगे.

राज्यों के साथ कर के क्षैतिज वितरण के लिए मानदंड निम्नानुसार है;

       मापदंड

               भार (%)

  1. आय असमानता

  50

  2. जनसँख्या (1971)

  17.5

  3. क्षेत्रफल

  15

  4.जनसांख्यिकीय बदलाव (जनगणना-2011)

 

  10

 5. वन आवरण

  7.5

केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा निम्नानुसार है;

                राज्य

केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा (%)

  1. आंध्र प्रदेश

 4.035

  2. अरुणाचल प्रदेश

 1.37

  3. असम

 3.111

  4. बिहार

 9.665

  5. छत्तीसगढ़

 3.08

  6. गोवा

 0.378

  7. गुजरात

 3.084

  8. हरियाणा

 1.084

  9. हिमाचल प्रदेश

 0.713

  10. जम्मू और कश्मीर

 1.854

  11. झारखंड

 3.139

  12. कर्नाटक

 4.713

  13. केरल

 2.5

  14. मध्य प्रदेश

 7.548

  15. महाराष्ट्र

 5.521

  16. मणिपुर

 0.617

  17. मेघालय

 0.642

  18. मिजोरम

 0.46

  19. नागालैंड

 0.498

  20. ओडिशा

 4.642

  21. पंजाब

 1.577

  22. राजस्थान

 5.495

  23. सिक्किम

 0.367

  24. तमिलनाडु

 4.023

  25. तेलंगाना

 2.437

  26. त्रिपुरा

 0.642

  27. उत्तर प्रदेश

 17.959

  28. उत्तराखंड

 1.052

  29. पश्चिम बंगाल

 7.324

  सभी राज्य

 100%

14वें वित्त आयोग की सिफारिशों में, 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों की तुलना में 9 राज्यों का हिस्सा घट गया है. ये राज्य हैं; आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित), असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड. उपरोक्त तालिका में यह दर्शाया गया है कि उत्तर प्रदेश का हिस्सा (17.959%)  केंद्र सरकार के करों में सबसे बड़ा हिस्सा है, उसके बाद बिहार (9.665%) और मध्य प्रदेश (7.548%) का हिस्सा सबसे बड़ा है.

अतः इस प्रकार केंद्र सरकार द्वारा अपने करों में से एक बड़ा हिस्सा राज्यों को देना भारत में सुलझे हुए संघवाद का उदाहरण है. उम्मीद है कि यह व्यवस्था देश में “केंद्र-राज्य” संबंधों को मजबूती प्रदान करेगी.

14वें वित्त आयोग की क्या सिफरिशें हैं?

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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