Shubman Gill: शुभमन गिल भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते हुए सितारे हैं, जिन्होंने हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे मैच में दोहरा शतक लगाकर इतिहास बनाया है। इस रिकॉर्ड के साथ ही वह सबे कम उम्र में दोहरा शतक लगाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। हालांकि, यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था, क्योंकि शुभमन को बचपन से ही काफी संघर्ष करना पड़ा। वह बचपन में स्टंप को बल्ला बनाकर खेला करते थे, वहीं उनके पिता लखविंदर सिंह, उनके पहले कोच हुआ करते थे। इस लेख के माध्यम से हम आपको शुभमन के बारे में कुछ रोचक जानकारी बताने जा रहे हैं। जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
पंजाब में जन्मे हैं शुभमन गिल
शुभमन गिल का जन्म 8 सितंबर, 1999 में पंजाब के फाजिल्का में लखविंदर सिंह और कीरत गिल के यहां हुआ था। उनके पिता लखविंदर सिंह पेशे से किसान थे, लेकिन वह क्रिकेट भी प्रेमी थे। शुभमन के पिता का भी सपना था कि वह भी क्रिकेट खेले, लेकिन कुछ हालातों की वजह से उन्हें समझौता करना पड़ा।
स्टंप को बनाया बल्ला
शुभमन गिल ने केवल 4 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उनके पिता लखविंदर सिंह उनके पहले कोच हुआ करते थे। वहीं, शुभमन को बल्ले के बीच से मारने की आदत हो, इसके लिए शुभमन बल्ले की जगह स्टंप से खेला करते थे।
खेत को बनाया प्रैक्टिस ग्राउंड
शुभमन के पिता ने अपने खेत को ही बेटे का प्रैक्टिस ग्राउंंड बना दिया था। वहीं, उन्होंने एक व्यक्ति को भी काम पर रखा था, जिसका काम शुभमन को प्रतिदिन 600 से 700 गेंद की पारी खिलाना होता था। इन गेंदों को शुभमन स्टंप से ही खेला करते थे।
जब पहली बार लेदर बॉल से हुआ सामना
शुभमन गिल शुरुआत में टेनिस बॉल से ही खेला करते थे। हालांकि, जब वह जलालाबाद पहुंचे, तो उनका पहली बार लेदर की बॉल से सामना हुआ था। यहां से उन्होंने लेदर की बॉल से खेलना सीखा था।
परिवार ने किया समझौता
एक समय ऐसा भी आया, जब शुभमन के परिवार को समझौता करना पड़ा। दरअसल, परिवार ने शुभमन का चंडीगढ़ की एक अकादमी में दाखिला करा दिया था। ऐसे में शुभमन को अधिक समय मिल सके, इसके लिए परिवार भी चंड़ीगढ़ में आकर किराये पर रहने लगा।
जब इंडिया टीम के पूर्व तेज गेंदबाज की पड़ी नजर
शुभमन गिल अकादमी में तड़के साढ़े तीन बजे ही पहुंच जाते थे और दिनभर अभ्यास करते थे। इसी बीच एक दिन अकादमी में टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी भी पहुंचे थे, जहां घावरी की मुलाकात शुभमन गिल से हुई और गिल ने आगे की एतिहासिक पारी को अंजाम दिया।
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