कितने प्रकार के होते हैं शहर, जानें

किसी भी क्षेत्र की संरचना और कार्य  विकास के इतिहास के साथ-साथ शहर की उम्र के संदर्भ में भिन्न होते हैं। कार्यों के आधार पर भारतीय शहरों और कस्बों को मोटे तौर पर विभाजित किया जा सकता है - प्रशासनिक शहर, औद्योगिक शहर, परिवहन शहर, वाणिज्यिक शहर, खनन शहर, छावनी शहर, शैक्षिक शहर, धार्मिक व सांस्कृतिक शहर और पर्यटक शहर।

Nov 29, 2023, 18:10 IST
कितने प्रकार के होते हैं शहर
कितने प्रकार के होते हैं शहर

किसी भी क्षेत्र की संरचना और कार्य विकास के इतिहास के साथ-साथ शहर की उम्र के संदर्भ में भिन्न होते हैं। कुछ कस्बे और शहर कुछ कार्यों में विशेषज्ञ होते हैं और वे कुछ विशिष्ट गतिविधियों, उत्पादों या सेवाओं के लिए जाने जाते हैं।

हालांकि, प्रत्येक शहर कई कार्य करता है। कार्यों के आधार पर भारतीय शहरों और कस्बों को मोटे तौर पर विभाजित किया जा सकता है - प्रशासनिक शहर, औद्योगिक शहर, परिवहन शहर, वाणिज्यिक शहर, खनन शहर, छावनी शहर, शैक्षिक शहर, धार्मिक व सांस्कृतिक शहर और पर्यटक आदि। इस लेख के माध्यम से शहरों के अलग-अलग प्रकार के बारे में बताया गया है।

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-प्रशासनिक कस्बे और शहर: उच्च क्रम के प्रशासनिक मुख्यालयों का समर्थन करने वाले कस्बे प्रशासनिक शहर होते हैं, जैसे चंडीगढ़, नई दिल्ली, भोपाल, शिलांग, गुवाहाटी, इम्फाल, श्रीनगर, गांधीनगर, जयपुर व चेन्नई, आदि।

-औद्योगिक शहर: मुंबई, सेलम, कोयंबटूर, मोदीनगर, जमशेदपुर, हुगली, भिलाई आदि जैसे शहरों में उद्योग मुख्य प्रेरक शक्ति हैं। इस कड़ी में कानपुर भी शामिल है, जो कि भारत की प्रमुख औद्योगिक नगरियों की सूची में आता है।

-परिवहन शहर: परिवहन शहर मुख्य रूप से निर्यात और आयात गतिविधियों में लगे बंदरगाह वाले शहर भी हो सकते हैं, जैसे कांडला, कोच्चि, कोझीकोड, विशाखापत्तनम आदि या अंतर्देशीय परिवहन के केंद्र जैसे आगरा, धूलिया, मुगल सराय, इटारसी व कटनी आदि।

-वाणिज्यिक कस्बे: व्यापार और वाणिज्य में विशेषज्ञता रखने वाले कस्बों और शहरों को इस वर्ग में रखा जाता है, जैसे कोलकाता, सहारनपुर व सतना आदि इसके कुछ उदाहरण हैं।

 

 

-खनन शहर: ये शहर रानीगंज, झरिया, डिगबोई, अंकलेश्वर व सिंगरौली आदि जैसे खनिज समृद्ध क्षेत्रों में विकसित हुए हैं।

-गैरीसन छावनी शहर: ये शहर छावनी शहरों के रूप में उभरे जैसे अंबाला, जालंधर, महू, बबीना व उधमपुर आदि।

-शैक्षिक शहर: शिक्षा के केंद्र के रूप में शुरू होकर कुछ शहर प्रमुख परिसर शहरों में विकसित हो गए हैं, जैसे कि रूड़की, वाराणसी, अलीगढ़, पिलानी, बंगलुरू व प्रयागराज आदि।

-धार्मिक और सांस्कृतिक शहर: वाराणसी, मथुरा, अमृतसर, मदुरै, पुरी, अजमेर, पुष्कर, तिरूपति, कुरूक्षेत्र, हरिद्वार व उज्जैन आदि अपने धार्मिक/सांस्कृतिक महत्व के कारण प्रमुखता से उभरे हैं।

-पर्यटक शहर: नैनीताल, मसूरी, शिमला, पचमढ़ी, जोधपुर, जैसलमेर, उदगमंडलम (ऊटी) व माउंट आबू कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।

निष्कर्ष

भारत के शहर अपने फंक्शन में स्थिर नहीं हैं। क्योंकि, कार्य उनकी गतिशील प्रकृति के कारण बदलते रहते हैं। यहां तक ​​कि विशिष्ट शहर भी जैसे-जैसे महानगरों में विकसित होते हैं, बहुक्रियाशील हो जाते हैं, जिसमें उद्योग, व्यवसाय, प्रशासन व परिवहन आदि महत्वपूर्ण हो जाते हैं। कार्य इतने आपस में जुड़ जाते हैं कि शहर को किसी विशेष कार्यात्मक वर्ग में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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