UPSC का क्या होता है काम और क्या हैं इसकी शक्तियां, जानें

पहला लोक सेवा आयोग 1 अक्टूबर, 1926 को स्थापित किया गया था। हालांकि, इसके सीमित सलाहकारी फंक्शन लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रहे और हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं द्वारा इस पहलू पर निरंतर जोर देने के परिणामस्वरूप भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई। इस अधिनियम के तहत पहली बार प्रांतीय स्तर पर लोक सेवा आयोग के गठन का भी प्रावधान किया गया।

Aug 17, 2023, 19:40 IST
यूपीएससी
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पहला लोक सेवा आयोग 1 अक्टूबर, 1926 को स्थापित किया गया था। हालांकि, इसके सीमित सलाहकारी फंक्शन लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रहे।

इस बीच हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं द्वारा इस पहलू पर निरंतर जोर देने के परिणामस्वरूप भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई। इस अधिनियम के तहत पहली बार प्रांतीय स्तर पर लोक सेवा आयोग के गठन का भी प्रावधान किया गया।

26 जनवरी, 1950 को संघीय लोक सेवा आयोग को एक स्वायत्त इकाई के रूप में संवैधानिक दर्जा दिया गया और इसे संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) का शीर्षक दिया गया।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 315 संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोगों से संबंधित है। यूपीएससी एक संवैधानिक संस्था है।

कंपोजिशन- अनुच्छेद 316 सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल से संबंधित है।

UPSC में राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल होते हैं। आयोग के नियुक्त सदस्यों में से आधे को भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कम से कम दस वर्षों तक पद पर रहना चाहिए।

राष्ट्रपति आयोग के सदस्यों में से किसी एक को कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर सकता है यदि:

-आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है।

-आयोग का अध्यक्ष अनुपस्थिति या किसी अन्य कारण से अपने कार्यालय के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है।

ऐसा सदस्य तब तक कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है, जब तक कि अध्यक्ष के रूप में नियुक्त व्यक्ति कार्यालय के कर्तव्यों में प्रवेश नहीं करता है या जब तक अध्यक्ष अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू नहीं करता है। 

अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल

आयोग के अध्यक्ष और सदस्य छह साल की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहते हैं। सदस्य कार्यकाल के बीच में राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा संबोधित करके इस्तीफा दे सकते हैं। इन्हें संविधान में प्रदत्त प्रक्रिया का पालन करते हुए राष्ट्रपति द्वारा हटाया भी जा सकता है।

 

कर्तव्य एवं कार्य

-यह संघ की सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षा आयोजित करता है, जिसमें अखिल भारतीय सेवाएं, केंद्रीय सेवाएं और केंद्र शासित प्रदेशों की सार्वजनिक सेवाएं शामिल हैं।

-यह उन सेवाओं के लिए संयुक्त भर्ती की योजनाएं तैयार करने और संचालित करने में राज्यों की सहायता करता है, जिनके लिए विशेष योग्यता रखने वाले उम्मीदवारों की आवश्यकता होती है। यदि दो या दो से अधिक राज्यों द्वारा अनुरोध किया जाता है, तो ऐसा किया जाता है।

-निम्नलिखित मामलों पर इससे परामर्श किया जाता है:

(ए) सिविल सेवाओं और सिविल पदों पर भर्ती के तरीकों से संबंधित सभी मामले।

(बी) सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्तियां करने और एक सेवा से दूसरी सेवा में स्थानांतरण और पदोन्नति करने में और ऐसी नियुक्तियों, स्थानांतरण और पदोन्नति के लिए उम्मीदवारों की उपयुक्तता पर पालन किए जाने वाले सिद्धांत।

(सी) नागरिक क्षमता में भारत सरकार के अधीन सेवारत किसी व्यक्ति को प्रभावित करने वाले सभी अनुशासनात्मक मामले, जिनमें ऐसे मामलों से संबंधित याचिकाएं शामिल हैं।

(डी) किसी सिविल सेवक द्वारा अपने आधिकारिक कर्तव्य के निष्पादन में किए गए कार्यों या किए जाने वाले कार्यों के संबंध में उसके खिलाफ शुरू की गई कानूनी कार्यवाही का बचाव करने में किए गए खर्च का कोई भी दावा।

(ई) भारत सरकार के अधीन सेवा करते समय किसी व्यक्ति को लगी चोटों के संबंध में पेंशन के लिए कोई दावा और ऐसे किसी पुरस्कार की राशि के बारे में कोई प्रश्न।

(एफ) राष्ट्रपति द्वारा संदर्भित कार्मिक प्रबंधन से संबंधित कोई भी मामला।

(छ) यह प्रतिवर्ष राष्ट्रपति को आयोग द्वारा किए गए कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

हालांकि, संसद संघ की सेवाओं से संबंधित यूपीएससी को अतिरिक्त कार्य प्रदान कर सकती है। यह किसी स्थानीय प्राधिकरण या कानून द्वारा गठित अन्य निकाय या किसी सार्वजनिक संस्थान की कार्मिक प्रणाली को अपने अधीन रखकर यूपीएससी के कार्य का विस्तार भी कर सकता है।

अपने प्रदर्शन के संबंध में यूपीएससी की वार्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाती है। इसके बाद राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाते हैं। साथ ही एक ज्ञापन के साथ उन मामलों की व्याख्या करते हैं, जहां आयोग की सलाह को स्वीकार नहीं किया गया था और ऐसी अस्वीकृति का कारण बताया गया था।

यूपीएससी की भूमिका का विशलेश्षण

यूपीएससी केंद्रीय भर्ती एजेंसी है। यह योग्यता तंत्र को बनाए रखने और पदों के लिए सर्वोत्तम उपयुक्त लोगों को लाने के लिए जिम्मेदार है। यह परीक्षा आयोजित करता है और समूह ए और समूह बी में अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के लिए कर्मियों की भर्ती के लिए सरकार को अपनी सिफारिश भेजता है।

यूपीएससी की भूमिका प्रकृति में सलाहकारी है और सरकार पर बाध्यकारी नहीं है। हालांकि, यदि सरकार आयोग की सलाह को अस्वीकार करती है, तो सरकार संसद के प्रति जवाबदेह है।

इसके अलावा यूपीएससी केवल परीक्षा प्रक्रिया से संबंधित है न कि सेवाओं के वर्गीकरण, कैडर प्रबंधन, प्रशिक्षण व सेवा शर्तों आदि से संबंधित है । इन मामलों को कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा नियंत्रित किया जाता है। सरकार पदोन्नति और अनुशासनात्मक मामलों पर यूपीएससी से परामर्श करती है।

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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