चुनावी बॉन्ड क्या है, जानिए 12 रोचक तथ्य?

Apr 4, 2019, 10:42 IST

केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की राशि में पारदर्शिता लाने के लिए 1,000 रुपए, 10,000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और एक करोड़ रुपए के मूल्य में चुनावी बांड जारी किये हैं. इन बांड को स्टेट बैंक की चुनिन्दा शाखाओं से खरीदा जा सकता है. इस लेख में इन चुनावी बांड्स के बारे में 12 रोचक तथ्य बताये जा रहे हैं.

Meaning of Electoral Bonds
Meaning of Electoral Bonds

केंद्र सरकार ने देश के राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के बजट के दौरान चुनावी बॉन्ड शुरू करने की घोषणा की थी. जनवरी 2018 में लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के नियमों को अंतिम रूप दे दिया गया है.

चुनावी बॉन्ड की परिभाषा: चुनावी बॉन्ड से मतलब एक ऐसे बॉण्ड से होता है जिसके ऊपर एक करेंसी नोट की तरह उसकी वैल्यू या मूल्य लिखा होता है. यह बॉण्ड; व्यक्तियों, संस्थाओं और संगठनों द्वारा राजनीतिक दलों को पैसा दान करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

ये चुनावी बॉन्ड 1,000 रुपए, 10,000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और एक करोड़ रुपए के मूल्य में उपलब्ध होंगे. इसे राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है.

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आइये इस चुनावी बॉन्ड के बारे में 12 रोचक तथ्य जानते हैं;

1. भारत का कोई भी नागरिक या संस्था या कोई कंपनी चुनावी चंदे के लिए बॉन्ड खरीद सकेंगे.

2. ये चुनावी बॉन्ड 1,000 रुपए, 10,000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और एक करोड़ रुपए के मूल्य में उपलब्ध होंगे.

3. दानकर्ता चुनाव आयोग में रजिस्टर किसी उस पार्टी को ये दान दे सकते हैं, जिस पार्टी ने पिछले चुनावों में कुल वोटों का कम से कम 1% वोट हासिल किया है.

4. बॉन्ड के लिए दानकर्ता को अपनी सारी जानकारी (केवाईसी) बैंक को देनी होगी.

5. चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों के नाम गोपनीय रखा जायेगा.

6. इन बांड्स पर बैंक द्वारा कोई ब्याज नही दिया जायेगा.

7. इन बॉन्ड को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनिन्दा शाखाओं से ही खरीदा जा सकेगा.

8. बैंक के पास इस बात की जानकारी होगी कि कोई चुनावी बॉन्ड किसने खरीदा है.

9. बॉन्ड खरीदने वाले को उसका जिक्र अपनी बैलेंस शीट में भी करना होगा.

10. बांड्स को जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्तूबर महीने में खरीदा जा सकता है.

11. बॉन्ड खरीदे जाने के 15 दिन तक मान्य होंगे.

12. राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को भी बताना होगा कि उन्हें कितना धन चुनावी बॉन्ड से मिला है.
election corruption

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वर्ष 2017 के बजट से पहले यह नियम था कि यदि किसी राजनीतिक पार्टी को 20 हजार रुपये से कम का चंदा मिलता है तो उसे चंदे का स्रोत बताने की जरुरत नही थी. इसी का फायदा उठाकर अधिकतर राजनीतिक दल कहते थे कि उन्हें जो भी चंदा मिला है वह 20 हजार रुपये प्रति व्यक्ति से कम है इसलिए उन्हें इसका स्रोत बताने की जरुरत नही है. इस व्यवस्था के चलते देश में काला धन पैदा होता था और चुनाव में इस धन का इस्तेमाल कर चुनाव जीत लिया जाता था. कुछ राजनीतिक दलों ने तो यह दिखाया कि उन्हें 80-90 प्रतिशत चंदा 20 हजार रुपये से कम राशि के फुटकर दान के जरिये ही मिला था.

चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर 2017 के बजट सत्र में सरकार ने गुमनाम नकद दान की सीमा को घटाकर 2000 रुपये कर दिया था. अर्थात 2000 रुपये से अधिक का चंदा लेने पर राजनीतिक पार्टी को यह बताना होगा कि उसे किस स्रोत से चंदा मिला है.

क्या यह उम्मीद की जाए कि चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था के बाद राजनीतिक दल यह दावा नहीं करेंगे कि उन्हें 2 - 2 हजार रुपये के दान के माध्यम से बड़ी राशि में चंदा मिल रहा है? अगर वे ऐसा दावा करने लगते है तो यह एक तरह सेराजनीति में कालेधन का इस्तेमाल जारी रहने पर मुहर लगने जैसा होगा.

अंत में यह कहा जा सकता है कि चुनावी बॉन्ड के जारी होने से राजनीतिक भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से लगाम तो नही लगेगी लेकिन कौन सी पार्टी किस जगह से पैसा जुटाती है और उसको दान देने वाले लोग कौन से हैं, (क्या वे विदेशी ताकतें है जो भारत को तोडना चाहतीं हैं) इस बात का पता तो अवश्य ही चल जायेगा.

लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि बांड खरीदने वाले की जानकारी गुप्त रखी जाएगी इसलिए यह प्रयास अपने लक्ष्य को प्राप्त नही कर पायेगा और राजनीति में भ्रष्टाचार बना रहेगा.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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