राष्ट्रीय लोक अदालत क्या होती है और किन मामलों का करती है निपटारा, जानें यहां

Sep 25, 2025, 16:53 IST

राष्ट्रीय लोक अदालत, जिसका अर्थ है "जनता की अदालत", पारंपरिक अदालतों के बाहर विवादों को तेजी से, किफायती और सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने का एक माध्यम है। NALSA द्वारा आयोजित यह पारिवारिक विवाद, संपत्ति के मुद्दे, उपभोक्ता शिकायतें और दुर्घटना के दावों जैसे मामलों को संभालती है। इसमें कोई फीस नहीं लगती, माहौल अनौपचारिक होता है और फैसले अंतिम होते हैं। यह न्याय तक सबकी पहुंच सुनिश्चित करती है और अदालतों पर मुकदमों का बोझ भी कम करती है।

राष्ट्रीय लोक अदालत क्या होती है
राष्ट्रीय लोक अदालत क्या होती है

भारत की कानूनी व्यवस्था दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी कानूनी प्रणालियों में से एक है। इसकी जड़ें प्राचीन परंपराओं में हैं, जिसने कानूनों, संवैधानिक प्रावधानों और न्यायिक व्याख्याओं के माध्यम से भारतीय कानून प्रणाली को आकार दिया है। लेकिन, कई मामलों में भारत की कानूनी व्यवस्था तेज और न्याय देने में संघर्ष करती है। इन देरी, महंगे कानूनी खर्च और अदालतों में भीड़ के कारण कई लोगों के लिए न्याय पाना मुश्किल हो जाता है, खासकर कम आय वाले लोगों के लिए ऐसा है।

इन चुनौतियों से निपटने और तेज व किफायती कानूनी न्याय प्रदान करने के लिए लोक अदालत (जनता की अदालत) की अवधारणा शुरू की गई। इसकी पहलों में राष्ट्रीय लोक अदालत विवादों के त्वरित और किफायती समाधान को सुनिश्चित करने वाले सबसे महत्त्वपूर्ण तरीकों में से एक बनकर उभरी है।

इस लेख में हम राष्ट्रीय लोक अदालत, इसके उद्देश्यों, यह कैसे काम करती है और इसमें किस तरह के मामले निपटाए जाते हैं, इसके बारे में जानेंगे।

राष्ट्रीय लोक अदालत क्या है?

राष्ट्रीय लोक अदालत का मतलब "जनता की अदालत" है। यह भारत में पारंपरिक अदालतों के अलावा विवादों को सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करती है। इन लोक अदालतों का आयोजन भारतीय न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) की देखरेख में किया जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालतें देश भर में नियमित समय पर आयोजित की जाती हैं, जिनमें शहरी, ग्रामीण और दूर-दराज के इलाके भी शामिल हैं।इसका मुख्य ध्यान सुलह, समझौते और आपसी सहमति पर होता है। यह न्याय पाने का एक सस्ता और ज्यादा सुलभ रास्ता देती है। साथ ही, पारंपरिक अदालतों पर बोझ भी कम करती है।

राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्देश्य क्या हैं?

राष्ट्रीय लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य विवादों के सौहार्दपूर्ण निपटारे को बढ़ावा देना है। इससे नियमित अदालतों पर दबाव कम होता है और न्याय तक लोगों की पहुंच भी बढ़ती है। ये मंच मध्यस्थता, सुलह और आपसी समझौते के सिद्धांतों पर काम करते हैं, जहां पक्ष अपनी मर्जी से अपने विवादों को सुलझाने के लिए एक साथ आते हैं।

राष्ट्रीय लोक अदालत कैसे काम करती है?

राष्ट्रीय लोक अदालतें हर कुछ महीनों में जिलों में आयोजित की जाती हैं। न्यायाधीश, रिटायर्ड जज और कानूनी विशेषज्ञ एक अनौपचारिक और सहज माहौल में इन सत्रों की अध्यक्षता करते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर इन चरणों का पालन करती है:

-मामलों की पहचान – सबसे पहले, उपयुक्त मामलों की पहचान की जाती है, जैसे मोटर दुर्घटना के दावे, पारिवारिक विवाद, श्रम संबंधी मुद्दे और पैसे की वसूली के मामले। इन मामलों की पहचान करके उन्हें शॉर्टलिस्ट किया जाता है।

-सूचना देना – फिर, सभी संबंधित पक्षों को सूचना दी जाती है और उन्हें बुलाया जाता है। इसमें शामिल होना स्वैच्छिक होता है, जिसके लिए आपसी सहमति जरूरी है।

-मामलों में सुलह और समझौता – मामलों में सुलह और समझौते के लिए न्यायाधीशों या पैनल के सदस्यों का चयन किया जाता है, जो पार्टियों के बीच एक उचित समझौते तक पहुंचने के लिए बातचीत करते हैं।

-मामले पर अंतिम समझौता – यदि कोई समझौता हो जाता है, तो उसे लिखित रूप दिया जाता है, उस पर हस्ताक्षर होते हैं और उसे कानूनी तौर पर अदालत के आदेश के रूप में मान्यता दी जाती है।

-फीस और लागत मुफ्त – इस न्यायिक कार्यवाही में कोई कोर्ट फीस या मध्यस्थ का शुल्क नहीं लगता है, जिससे यह प्रक्रिया कम आय वाले लोगों के लिए बहुत सस्ती हो जाती है।

राष्ट्रीय लोक अदालत द्वारा किस तरह के मामले निपटाए जाते हैं?

राष्ट्रीय लोक अदालतें उन मामलों को संभालती हैं, जिनमें पार्टियों के बीच आसानी से समझौता हो सकता है। इन मामलों के प्रकार हैं:

-मोटर वाहन दुर्घटना के दावे – यह मामला मुआवजे से संबंधित विवादों से जुड़ा है।

-पारिवारिक मामले – इसमें तलाक, गुजारा भत्ता, बच्चों की कस्टडी और विरासत जैसे पारिवारिक मामले आते हैं।

-संपत्ति विवाद – इसमें मालिकाना हक और किरायेदारी से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।

-पैसे की वसूली और उपभोक्ता शिकायतें – इसमें बिजनेस या सेवा देने वालों के खिलाफ शिकायतें आती हैं।

-श्रम और रोजगार के मुद्दे – यह मामला मजदूरी विवाद, गलत तरीके से नौकरी से निकालना या मुआवजे के दावों से जुड़ा है।

राष्ट्रीय लोक अदालत के फायदे क्या हैं?

राष्ट्रीय लोक अदालत के फायदे हैं:

-तेज समाधान – नियमित अदालतों की तुलना में मामले तेजी से निपटाए जाते हैं।

-कम लागत और फीस – कोई कानूनी या अदालती फीस नहीं लगती, जिससे यह सभी के लिए सुलभ है।

-अनौपचारिक माहौल – इसमें शामिल होने वालों के लिए माहौल सरल और कम डरावना होता है।

-व्यापक पहुंच – इसका आयोजन जिलों में, यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में भी किया जाता है।

-स्वैच्छिक और सौहार्दपूर्ण – समझौते आपसी सहमति पर आधारित होते हैं, जिससे रिश्ते बने रहते हैं।

-अंतिम और बाध्यकारी – निपटाए गए मामलों के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती, जिससे मामले का अंतिम रूप से समाधान हो जाता है।

राष्ट्रीय लोक अदालत के सामने क्या चुनौतियां हैं और उनका समाधान क्या है?

इसमें कोई संदेह नहीं है कि राष्ट्रीय लोक अदालत सुलभ कानूनी सेवा के साथ उचित न्याय सुनिश्चित कर रही है। लेकिन, इसके अलावा, राष्ट्रीय लोक अदालत के सामने कई चुनौतियां भी हैं, जो इस प्रकार हैं:

-सीमित दायरा – राष्ट्रीय लोक अदालत में गंभीर आपराधिक मामलों या जटिल कानूनी विवादों को नहीं सुलझाया जा सकता।

-जागरूकता की कमी – राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में अभी भी कई नागरिक इसकी उपलब्धता और फायदों से अनजान हैं।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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