अंतरिक्ष मलबा क्या होता है?

Dec 6, 2018, 17:30 IST

विगत 70 वर्षों में अनेकों अंतरिक्ष अन्वेषण हुए ताकि खगोल विज्ञान, ताराभौतिकी, ग्रहीय विज्ञान एवं भू विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान एवं सैद्धांतिक भौतिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान किया जा सके। इस लेख में हमने बताया है की अंतरिक्ष मलबा क्या होता है, इनका निर्माण कैसे होता है तथा इनको ट्रैक करने और मापने के लिए उपकरण कौन-कौन से हैं।

What is space debris and its cause? HN
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अंतरिक्ष यात्रा या अंतरिक्ष अन्वेषण ब्रह्माण्ड की खोज और उसका अन्वेषण अंतरिक्ष की तकनीकों का उपयोग करके करने को कहते हैं। अंतरिक्ष का शारीरिक तौर पर अन्वेषण मानवीय अंतरिक्ष उड़ानों व रोबोटिक अंतरिक्ष यानो द्वारा किया जाता है। विगत 70 वर्षों में अनेकों अंतरिक्ष अन्वेषण हुए ताकि खगोल विज्ञान, ताराभौतिकी, ग्रहीय विज्ञान एवं भू विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान एवं सैद्धांतिक भौतिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान किया जा सके।

अंतरिक्ष मलबा क्या होता है

मलबे से तात्पर्य यह है कि कुछ ऐसा अवशेष जो नष्ट हो गया हो या टूट गया हो। जब अंतरिक्ष मलबे की बात आती है, तो यह सौर मंडल के खगोलीय पिंड जैसे क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, और उल्कापिंड (बाहरी अंतरिक्ष में एक छोटी चट्टानी या धातु निकाय) में पाए जाने वाले प्राकृतिक मलबे को संदर्भित करता है। लेकिन आज के सन्दर्भ में ये अंतरिक्ष के मलबे में खंडित और पुराने उपग्रहों और रॉकेट के अवशेषों को भी शामिल किया जाता है क्योंकी यह अवशेष भी पृथ्वी के कक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण घूमतें रहतें हैं और एक दुसरे से टकराते रहते हैं तथा मलबे पैदा करते हैं। इनकी संख्या अंतरिक्ष में दिन-प्रतिदिन बढती ही जा रही है।

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अंतरिक्ष में मलबा होने के क्या कारण है?

अंतरिक्ष मलबे में न केवल क्षुद्रग्रहों, धूमकेतु, और उल्कापिंडों के टुकड़े टुकड़े होते हैं बल्कि पुराने उपग्रहों के टुकड़े, रॉकेट ईंधन, पेंट फ्लेक्स, जमे हुए तरल शीतलक भी शामिल हैं।

दुसरे शब्दों में कहे तो, ये मानव निर्मित मलबे हैं जो अंतरिक्ष में पृथ्वी का चक्कर लगा रहे होते हैं और जो उपयोगी नहीं रह गए हैं।

संयुक्त राज्य स्पेस सर्विलांस नेटवर्क के अनुसार, अंतरिक्ष में 10 सेंटीमीटर (या चार इंच के बराबर) से बड़े 23000, एक सेंटीमीटर से बड़े 500,000 तथा एक मिलीमीटर से बड़े 100,00,000 अंतरिक्ष मलबे बिखरे पड़े हैं।

दरअसल लगभग 1800 से अधिक मानव निर्मित उपग्रह हमारी पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं। अपना कार्य समाप्त करने के पश्चात ये सभी पृथ्वी पर वापस नहीं आने वाले हैं। पृथ्वी पर स्थित अंतरिक्ष केंद्रों से संपर्क टूटने के पश्चात भी ये पृथ्वी का चक्कर लगा रहे होंगे और एक-दूसरे से टकराकर छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित होते रहेंगे।

अंतरिक्ष का मलबा कैसे परिचालन उपग्रहों के साथ-साथ पृथ्वी के वायुमंडल के लिए खतरनाक है?

अंतरिक्ष में मौजूद मलबों की गतिज ऊर्जा बहुत ज़्यादा होती है तथा उनकी गति लगभग 8 कि.मी प्रति सेकंड की होती है जो सैटेलाईटों को भारी क्षति पहुंचा सकते हैं और कई सेंटीमीटर बड़े टुकड़े तो पूरे स्पेस स्टेशन या शटलयान को हिला कर रख सकते हैं। अधिकांश मलबे भूमध्य रेखा से ऊपर भूगर्भीय कक्षा में पाया जाता है।

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टकराव का खतरा तब अस्तित्व में आया जब परिचालन उपग्रह और अंतरिक्ष मलबे का एक टुकड़ा यूरोपीय एरियान रॉकेट के ऊपरी चरण से एक टुकड़ा से 24 जुलाई 1996 को सेरीज़ (फ्रेंच माइक्रोसाइटेटेलाइट) से टकरा गया था। यह टक्कर आंशिक रूप से सेरीज़ को नुकसान तो पहुचाया लेकिन अभी भी वो कार्यात्मक है। असली खतरा तब प्रकाश में आया जब इरिडियम 33 (अमेरिकी कंपनी मोटोरोला के स्वामित्व वाले संचार उपग्रह) का कॉसमॉस 2251 से टक्कर हुई थी जिसकी वजह से परिचालन उपग्रह पूरी तरह से नष्ट हो गया था।

परिचालन उपग्रह के खतरे के अलावा, यह पृथ्वी के वायुमंडल के लिए भी खतरा है। चूंकि अधिकांश मलबे भूमध्य रेखा के ऊपर भूगर्भीय कक्षा में पाया जाता है तो अगर ये मलबा पृथ्वी के वायुमंडल के संपर्क में आते ही जलने लगता है और ये जलते हुए पृथ्वी की सतह गिरा तो जान-माल का कितना नुकसान हो सकता है इसका अंदाज़ा हम बिलकुल नहीं लगा सकते है।

अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करने और मापने के लिए उपकरण

अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करने के लिए लिडार (रडार और ऑप्टिकल डिटेक्टर का संयोजन) नामक उपकरण का निर्माण किया गया है। हाल ही में, नासा ऑर्बिटल डेब्रिस वेधशाला ने तरल दर्पण पारगमन दूरबीन नामक यंत्र का निर्माण किया है जो 3 मीटर (10 फीट) तक के आकार वाले अंतरिक्ष मलबे का पता लगा सकता है। अभी हाल में ही ये पता लगाया गया है की एफएम रेडियो तरंगों की मदद से भी अंतरिक्ष में मलबे का पता लगाया जा सकता है।

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