उत्तर प्रदेश में कनक भवन का किस जिले से है संबंध और क्या है इसका महत्त्व, जानें

May 30, 2024, 12:51 IST

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। साल 2011 में यहां की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी, जो कि पूरे देश की करीब 16.5 फीसदी थी। इसके साथ ही यह सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है, जिसके प्रत्येक जिले की अपनी-अपनी विशेषता है। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस जिले का संबंध कनक भवन से है। यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

उत्तर प्रदेश का कनक भवन
उत्तर प्रदेश का कनक भवन

भारत के उत्तर में जब भी विविध संस्कृति, समृद्ध इतिहास और एतिहासिक धरोहरों की बात होती है, तो शीर्ष राज्यों में उत्तर प्रदेश का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। प्रदेश के आंचल में समाया हुआ समृद्ध इतिहास इसे अन्य राज्यों से अलग बनाता है। यही वजह है कि हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी राज्य को और करीब से जानने के लिए यहां पहुंचते हैं।

आपको यह भी बता दें कि उत्तर प्रदेश भारत में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। साल 2011 में यहां की जनसंख्या 19 करोड़, 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी, जो कि पूरे भारत की करीब 16.5 फीसदी थी। इसके साथ ही भारत का यह राज्य देश का सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है।

राज्य के प्रत्येक जिले की अपनी विशेषता है, जो कि राज्य को विशेष बनाने में सहयोग करती है। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस जिले का संबंध कनक भवन से है और कनक भवन का क्या महत्त्व है। यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

उत्तर प्रदेश में कुल जिले और मंडल

उत्तर प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 240,928 वर्ग किलोमीटर है, जो कि पूरे भारत का करीब 7.33 फीसदी है। प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां 822 सामुदायिक विकास खंड, 351 तहसील और 17 नगर निगम हैं।   

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किस जिले में मौजूद है कनक भवन

अब हम यह जान लेते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस जिले में कनक भवन मौजूद है, तो आपको बता दें कि यह प्रदेश के अयोध्या जिले में मौजूद है।

कनक भवन का क्या है महत्त्व

अब हम कनक भवन के महत्त्व के बारे में जानेंगे। कनक भवन अयोध्या में राम जन्म भूमि, रामकोट के उत्तर-पूर्व में स्थित है। यह अयोध्या के प्रमुख मंदिरों में से एक है, जो कि अपनी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। मंदिर में भगवान श्रीराम और माता सीता की तीन जोड़ी मूर्तियां हैं, जो कि अलग-अलग काल की बताई जाती हैं।

मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह भवन भगवान श्रीराम के विवाह के बाद महारानी कैकेयी द्वारा माता सीता को उपहार स्वरूप दिया गया था। मध्य काल में इस मंदिर का जीर्णोधार विक्रामादित्य द्वारा कराया गया था। वहीं, बाद में ओरछा की रानी वृषभानु कंवरि द्वारा मंदिर का पुनर्निमाण कराया गया। अयोध्या जाने वाले लोग इस मंदिर में भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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