भारत में ऐसे बहुत-से नाम हैं, जिनमें नाम के पीछे चंद लगाया जाता है। आपने अक्सर ऐसे नामों को पढ़ा और सुना होगा, जिनके मूल नाम के अंत में चंद लगा होता है। हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में तो कुछ पुरुषों के नाम चंद पर ही खत्म होते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर नाम के पीछे चंद लगाने का क्या कारण हो सकता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
क्या है चंद का अर्थ
चंद शब्द ‘चंद्र’ का ही एक क्षेत्रीय रूप है। इसके अर्थ की बात करें, तो इसका अर्थ ‘चंद्रमा’ से है। भारतीय परंपरा में इस शब्द के उपयोग के पीछे सांस्कृतिक, ज्योतीषीय और ऐतिहासिक कारण हैं।
शुभता और प्रकाश का प्रतीक
भारतीय परंपराओं में चंद्रमा का विशेष महत्त्व है। क्योंकि, चांद को मन की शीतलता के साथ-साथ सुंदरता, समृद्धि, शांति, शुभता और सकारात्मकता के लिए जाना जाता है। वहीं, चंद्रमा रात के अंधेरे को खत्म कर प्रकाश प्रदान करता है। ऐसे में चंद नाम वाले व्यक्ति से भी इस प्रकार के गुणों की अपेक्षा होती है।
कुछ राज्यों में वंशज नाम के रूप में पहचान
आपको बता दें कि कुछ राज्यों जैसे ‘हिमाचल प्रदेश’ और ‘उत्तराखंड’ में अधिकांश पुरुषों के नाम ‘चंद’ पर समाप्त होते हैं। ये क्षेत्रीय के साथ-साथ वंशानुगत पहचान को भी दर्शाते हैं। वहीं, कुछ ‘पंजाबी’ और ‘राजस्थानी’ समुदाय में भी चंद उपनाम का उपयोग किया जाता है।
क्या है चंद का इतिहास
इतिहास उठाकर देखें, तो चंद या चंद्र शब्द राजा-महाराजा या सम्मानित व्यक्तियों द्वारा उपयोग किया जाता था। महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान का नाम भी पृथ्वीराज चंद था। हालांकि, उनका वास्तविक उपनाम चौहान था।
भारत में मुंशी प्रेमचंद और मेजर ध्यानचंद
भारत में ऐसे बहुत-से नाम हैं, जिनके नाम में चंद शब्द जोड़ा जाता है। जैसेः ज्ञानचंद, रोशनचंद, नेकीचंद मूलचंद, रामचंद, मोहनचंद और प्रेमचंद आदि। आपको बता दें कि भारत में प्रसिद्ध लेखक रहे मुंशी प्रेमचंद भी अपने नाम के पीछे चंद उपनाम का इस्तेमाल करते थे। वहीं, भारत में हॉकी के जादूगर रहे मेजर ध्यानचंद भी अपने नाम में चंद उपनाम का इस्तेमाल करते थे।
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