हाल ही में, भारतीय वायुसेना का एक मिग-21 विमान पंजाब के मोगा के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. वायुसेना के अनुसार दुर्घटना में भारतीय वायुसेना के विमान के पायलट स्क्वाड्रन लीडर अभिनव चौधरी शहीद हो गए.
भारतीय वायुसेना का मिग-21 मोगा के बाघापुराना के लांगियाना खुर्द गांव में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय वायुसेना का विमान नियमित प्रशिक्षण के लिए उड़ान भर रहा था जब दुर्घटना हुई.
अधिकारियों के अनुसार 4 घंटे की तलाशी के बाद अभिनव चौधरी का शव दुर्घटनास्थल से 2 किमी दूर मिला. पैराशूट खुला पाया गया और उनकी डिवाइस से एसओएस भी भेजा गया लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी. उन्होंने पैराशूट का उपयोग करके सुरक्षित रूप से उतरने की कोशिश की लेकिन उनकी गर्दन और रीढ़ की हड्डी टूट गई थी. बठिंडा और हलवारा से भारतीय वायुसेना के अधिकारी मौके पर पहुंचे थे और लगभग 3 बजे शव बरामद किया गया था.
“IAF अधिकारियों के अनुसार, जेट ने रात के प्रशिक्षण के उद्देश्य से राजस्थान के सूरतगढ़ से जगराओं (लुधियाना में) (Jagraon) के लिए उड़ान भरी थी. पायलट सूरतगढ़ लौट रहा था कि रास्ते में मोगा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
भारतीय वायुसेना ने दुखद नुकसान पर शोक व्यक्त करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया और कहा कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है.
आइये अब जानते हैं कि मिग विमान में इतनी ज्यादा दुर्घटनाएं क्यों होती हैं?
मिग 21 में इतनी ज्यादा दुर्घटनाएं होने के कारण इसे उड़ता ताबूत कहा जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें कभी भी दुर्घटना हो सकती है. हाल ही में ऐसा देखने को भी मिला है जिसमें मिग 21 लड़ाकू विमान क्रैश हो गया और पायलट अभिनव चैधरी शहीद हो गए.
इसी प्रकार की घटना कुछ समय पहले मार्च 2021 में भी देखने को मिली थी जब मिग 21 बाइसन मध्यप्रदेश के ग्वालियर में क्रैश हो गया था जिसमें कैप्टेन अशोक गुप्ता शहीद हो गए थे. वहीं जनवरी 2021 में मिग 21 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था लेकिन इसमें किसी प्रकार की जानहानि नहीं हुई थी.
मिग 21 ट्रेनर विमान नवम्बर 2021 में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और पायलट शहीद हो गए थे. यह घटनाएं कुछ उदाहरण ही हैं.
1960 के दशक की शुरुआत में वायुसेना में शामिल किए गए विमान को अक्सर उनके खराब सुरक्षा रिकॉर्ड के कारण "उड़ता हुआ ताबूत" कहा जाता है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय द्वारा अलग-अलग समय पर संसद के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2010 से अब तक 20 से अधिक मिग 21 दुर्घटनाओं में शामिल हैं. 2003 से 2013 के बीच 38 मिग 21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए. आधिकारिक आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मिग 21 दुर्घटनाओं में 170 से अधिक पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं.
लगभग 20 साल पहले मिग 21 को हटाने का प्रस्ताव दे दिया गया था लेकिन इसकी जगह लेने वाले विमानों के अभाव के कारण ऐसा नही हो सका है.
ऐसा माना जा रहा है जब 2023 या 2024 या इसी के आसपास तक बड़ी संख्या में तेजस विमान वायुसेना में शामिल होने लगेंगे तब इन्हें हटाना शुरू किया जाएगा. हालांकि, अगले पांच से छह वर्षों में मिग 21 बाइसन के सभी चार स्क्वाड्रनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किए जाने की संभावना है.
मिग 21 के बारे में
रूसी मूल के सिंगल इंजन, सिंगल सीटर मल्टीरोल फाइटर/ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट जो भारतीय वायुसेना की बैक बोन है. इसकी अधिकतम गति 2230 km/hr (Mach 2.1) है और इसमें 23 mm की एक जुड़वां बैरल केनन (Twin barrel cannon) के साथ चार R-60 करीबी लड़ाकू मिसाइलें हैं.
भारत चीन युद्ध 1962 ने भारतीय वायुसेना में अधिक लड़ाकू विमानों की आवश्यकता को बढ़ा दिया. इस समय मिग 21 भारत को एक अच्छा विकल्प लगा और सोवियत संग (रूस) भारत में इसके उत्पादन के लिए तैयार था.
फाइनली भारत के बेड़े में लगभग 1964 में मिग 21 को शामिल कर लिया गया था.
इसका पूरा नाम मिकोयान-गुरेविच है.
1950 के दशक में सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच ब्यूरो ने इसका निर्माण किया था.
जैसा की ऊपर बताया गया है कि शुरू में तो मिग 21 को रूस में तैयार किया गया लेकिन बाद में भारत में भी इसका उत्पादन और आवश्यकता के अनुसार इसमें संशोधन प्राररंभ हुआ.
भारत में इस समय मिग 21 बाइसन का प्रयोग किया जाता है, जो कि मिग 21 का अपडेट वर्जन है.
बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय मिग 21 बाइसन का प्रयोग अभिनंदन वर्द्धमान ने किया था. इसी विमान से F-16 जो कि दुनिया के सबसे उन्नत विमान में से एक है को मार गिराया था.
1971 के भारत-पाक युद्ध और कारगिल युद्ध में मिग विमान ने अपनी क्षमता से प्रभावित किया था.
इसका उत्पादन भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा किया जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि मिग 21 विमानों को वायुसेना से हटाने के लिए भारत को अगले 5 सालों में कम से कम 200 और 10 सालों में लगभग 400 विमानों की जरूरत होगी.
आखिर मिग 21 क्रैश क्यों होते हैं?
ऐसा बताया जाता है कि यह पुरानी तकनीक पर आधारित हैं और लैंडिंग के समय इनकी स्पीड ज्यादा होती है.
पुराने और एडवांस वर्जन में काफी अधिक सुधार नही हुआ है.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2026 तक तीन नये युद्धक विमान शामिल होंगे. यह होंगे - हल्के लड़ाकू विमान (LCA) MK-2 जिसे सामान्यत: तेजस के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा AMCA तथा TEDBF शामिल होंगे.
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