जानें नेपाल ने भारत की करेंसी क्यों बैन की?

Dec 17, 2018, 16:05 IST

नेपाल ने 14 दिसम्बर 2018 को भारत के 100 रूपए से ऊपर के सभी नोटों को अपने देश में बैन कर दिया है. अर्थात नेपाल जाने वाले भारतीय लोगों (व्यापारी, पर्यटक और आम जन) को नेपाल जाने के लिए 200 रूपए से कम वैल्यू के नोट लेकर ही जाना चाहिए. इस लेख में हम यह विश्लेषण कर रहे हैं कि नेपाल ने यह निर्णय क्यों लिया और इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

Indian Currency
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नेपाल पर भारत का प्रभाव दशकों से रहा है, दोनों देशों के बीच खुली सीमा है, नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र है और भारत में भी हिन्दुओं की संख्या बहुसंख्यक है अर्थात और दोनों देशों में धार्मिक और रीति रिवाजों में भी समानता है. यहाँ तक कि भारत की सेना में नेपाल के लोगों की एक विशेष बटालियन भी होती है जिसे “गोरखा बटालियन” के नाम से जाना जाता है.

यदि दोनों देशों के बीच व्यापार की बात करें तो वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों के दौरान नेपाल से भारत में भेजा गया कुल निर्यात 42.34 अरब रुपये का था जबकि भारत द्वारा नेपाल को इसी अवधि में 731 अरब रुपये का निर्यात भेजा गया था.

नेपाल से लगने वाले भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों के व्यापारी नेपाल के लोगों से सामान खरीदते और बेचते है और व्यापार की सुविधा की दृष्टि से दोनों देश भारत के रुपयों में इस व्यापार को अंजाम देते हैं. यहाँ पर यह भी बता दें कि भारत और नेपाल के लोग अच्छे नेटवर्क को पाने के लिए एक दूसरे देशों की "सिम" का इस्तेमाल भी करते हैं.

फिर आखिर क्या कारण हैं कि नेपाल ने भारत की 100 रुपये से ऊपर के करेंसी नोटों को बैन कर दिया है अर्थात नेपाल में अब भारत के 200, 500, और 2000 के नोट मान्य नहीं होंगे. आइये इस लेख में इस फैसले के कारणों और दोनों देशों पर इसके प्रभावों के बारे में जानते हैं;

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भारत के नोट बैन करने के कारण इस प्रकार हैं;

1. नेपाल द्वारा भारत के 100 रुपये से ऊपर के नोटों को बैन करने का तात्कालिक कारण भारत सरकार द्वारा नवम्बर 2016 में की गयी नोट्बंदी है. नेपाल के केंद्रीय बैंक ने कहा था कि उनके देश में भारत के करीब 9.49 अरब रुपए मूल्य के पुराने नोट हैं. यही कारण है कि नेपाल सरकार अब अपने देश में भारत की करेंसी को ज्यादा बढ़ावा नहीं देना चाहती है. क्योंकि नेपाल सरकार नहीं चाहती कि किसी अन्य देश की सरकार के किसी फैसले से उनके देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की आय पर कोई आंच आये.

2. इस फैसले को चीन की शह से प्रेरित माना जा रहा है. यही कारण है कि नेपाल ने बिम्सटेक देशों के पुणे में आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल होने से इनकार कर दिया था और 17 से 28 सितंबर तक चीन के साथ 12 दिनों का सैन्य अभ्यास किया था.

3. नेपाल भारत से अपनी निर्भरता कम करना चाहता है. वर्ष 2015 में भारत की तरफ़ से अघोषित नाकेबंदी की गई थी और इस वजह से नेपाल में ज़रूरी सामानों की भारी किल्लत हो गई थी. इसी कारण नेपाल इस घटना की पुनरावृत्ति नहीं करना चाहता है.

फैसले से कौन कौन प्रभावित होगा?

इस फैसले का असर उन लोगों (व्यापारियों और आम जन) पर सबसे ज्यादा होगा जो कि इन दोनों देशों की सीमाओं पर रहते हैं और अपनी जरूरत की चीजें एक दूसरे से खरीदते हैं. इसके अलावा दोनों देशों के उन कामगारों को दिक़्क़त होगी जो एक दूसरे के यहाँ काम करते हैं.

नेपाल सरकार के फैसले से वहां जाने वाले लाखों भारतीय पर्यटकों और भारत में काम करने वाले नेपाली नागरिकों पर असर पड़ेगा. साल 2020 में करीब 20 लाख पर्यटकों के नेपाल पहुंचने का अनुमान है. इनमें ज्यादातर भारतीय शामिल होंगे.

नेपाल के इस कदम से भारत की अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान नहीं होगा क्योंकि नेपाल, भारत के लिए बहुत बड़ा बाजार नहीं है. हालाँकि दोनों देशों के व्यापारियों और आम लोगों के साथ एक दूसरे देशों में जाने वाले पर्यटकों को निश्चित ही कुछ परेशानियाँ उठानी पड़ेगीं.

कानूनी पक्ष कहता है?

नेपाल के बाज़ार में भारतीय नोट पारंपरिक रूप से स्वीकार्य हैं. वर्ष 1957 से ही भारत का एक रुपया नेपाल के 1.6 रुपए के बराबर है. यह क़ीमत नेपाल राष्ट्र बैंक और आरबीआई के बीच हुए समझौते में तय हुई थी.

भारत में नेपाली नागरिकों के लिए नौकरी और कारोबार करने की छूट है. भारत के फ़ेमा क़ानून यानी फ़ॉरन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट के अनुसार "नेपाल जाने वाला व्यक्ति अपने साथ 25000 की नक़दी लेकर जा सकता है."

यहाँ पर यह बता दें कि नेपाल और भारत के बीच भारतीय नोटों के चलन को लेकर कोई औपचारिक समझौता नहीं है. यही कारण है कि भारत और नेपाल दोनों अपनी जरुरत के हिसाब से नोटों को बैन/शुरू कर देते हैं.

इससे पहले कब बैन हुए थे भारत के नोट

नेपाल द्वारा भारतीय नोट पर पाबंदी लगाने की एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है. वर्ष 1999 में जब भारत के यात्री विमान को आतंकियों ने हाईजैक किया था तब भारत सरकार के आग्रह पर नेपाल ने 500 के नोट को बैन कर दिया था.

इसी प्रकार नेपाल में 2014 तक 500 और 1000 के नोटों के लेन-देन पर पाबंदी थी क्योंकि भारत सरकार ने शिकायत की थी कि नेपाल में भारत के नोटों की डुप्लीकेट करेंसी बनायीं जा रही है. यह पाबंदी अगस्त 2015 में हटाई गई थी.

नवंबर 2016 में जब भारत ने 500 और 1000 के नोटों पर पाबंदी लगाई तो नेपाल और भूटान के केंद्रीय बैंकों ने पुराने नोटों को बदलने के लिए कहा. इसके लिए कई चरणों में बातचीत भी हुई लेकिन कोई औपचारिक फ़ैसला नहीं लिया जा सका था.

हालांकि पिछले साल आरबीआई ने मौखिक रूप से नेपाली अधिकारियों ने कहा था कि 'सभी नेपाली नागरिकों के 4500 रुपये तक कीमत के एक हज़ार और 500 के पुराने भारतीय नोट बदले जाएंगे. हालांकि इस मसले पर अभी तक कोई भी फैसला नहीं लिया जा सका है और नेपाल के लोगों के साथ भारत के कई भ्रष्ट लोगों को यह उम्मीद थी कि भारत सरकार, नेपाल में मौजूद सभी पुराने नोटों को बदल देगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

old indian currency seized

आपने अक्सर समाचारों में सुना होगा कि भारत में करोड़ों की पुरानी मुद्रा नेपाल जाते रास्ते में पुलिस या अन्य एजेंसियों के द्वारा जब्त की गयी थी. इन लोगों को उम्मीद थी कि नेपाल सरकार और भारत सरकार के बीच कोई समझौता हो जायेगा और उनकी पुरानी मुद्रा भी बदल जाएगी.

सारांश के तौर पर यह कहा जा सकता है कि नेपाल द्वारा भारत के नोटों को बैन करने का कारण उसकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए उठाया गया कदम है. इसके अलावा नेपाल के इस कदम को भारत की मुद्रा और यहाँ की सरकार के प्रति अविश्वास के रूप में भी देखा जा सकता है.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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