जानें फांसी सूर्योदय से पहले क्यों दी जाती है?

Dec 11, 2019, 11:22 IST

मृत्युदंड की सजा केवल बहुत ही जघन्य अपराधों के केस में दी जाती है. हालाँकि भारत के राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया है कि वह फांसी की सजा को कम कर सकता है, माफ़ कर सकता है या कुछ समय के लिए टाल सकता है. फांसी की सजा के लिए कुछ नियम बनाये गये हैं, जिनकी चर्चा इस लेख में की गयी है.

फांसी का फंदा
फांसी का फंदा

मृत्युदंड उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने कानून की नजर में गंभीर अपराध किया हो. इस कार्य को संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त है जिसके तहत एक व्यक्ति को सजा के तौर पर मृत्यु दी जाती है. या फिर किसी अपराधी का अपराध इतना घृणित हो कि मौत के अलावा या फांसी के अलावा जज के पास और कोई दूसरा विकल्प ही ना बचा हो.

परन्तु किसी भी जज के लिए फांसी की सजा सुनाना आसान नहीं होता है. जब वह सजा सुना देता है तो अपनी कलम तोड़ देता है. लेकिन क्या आप जानते है कि फांसी की सजा सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है? इस लेख के माध्यम से यह जानने की कोशिश करते है.

जैसा की हम जानते है कि मृत्युदंड की सजा केवल तभी दी जाती है जब कोई अपराध कानून की नजर में क्षमायोग्य नहीं होता है. इस सजा को लागू करने के लिए खास नियम बनाए गए हैं, जिनमें से एक मृत्युदंड के लिए निर्धारित समय भी है. मृत्युदंड की प्रक्रिया का निष्पादन हमेशा सूर्योदय से पहले किया जाता है अर्थात सजायाफ्ता को सूर्योदय से पहले ही फाँसी दी जाती है.

फांसी देने से पहले कुछ नियम को पूरा करना होता है: जैसे कि अपराधी को फांसी की सज़ा देने से पहले नए कपड़े दिए जाते हैं, कोई धार्मिक किताब जो वो चाहता हो पढने के लिए दी जाती है, उसके पसंद का खाना खिलाया जाता है, उससे उसकी आखरी इच्छा पूछी जाती है आदि.

फांसी की सजा सूर्योदय से पहले क्यों दी जाती है?

फांसी की सजा सूर्योदय से पहले 4 कारणों की वजह से दी जाती है: कानूनी, प्रशासनिक, नैतिक और सामाजिक.
कानूनी कारण
व्यक्ति को मृत्युदंड की प्रक्रिया के निष्पादन से पहले जेल में रखा जाता है और जेल परिसर में कानूनी कार्य को पूर्ण किया जाता है, जिसके लिए जेल के कुछ नियमों का पालन करना होता है.

पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPR&D): 'भारत में जेलों की निगरानी और प्रबंधन का मॉडल जेल मैनुअल' के अनुसार मृत्युदंड के निष्पादन की प्रक्रिया को दिन निकलने से पहले ही लागू करने का प्रावधान है. अलग-अलग मौसम के हिसाब से फांसी का समय सरकार के द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार होता है.
सामाजिक कारण
फांसी देने का समाज में गलत प्रभाव ना पड़े इसको भी ध्यान में रख कर सूर्योदय से पहले ही दी जाती है. दूसरी तरफ सुबह के समय व्यक्ति मानसिक तौर पर कुछ हद तक तनावमुक्त रहता है. मिडिया और आम जनता भी सुबह इतनी सक्रिय नहीं होती है जिससे किसी भी तरह का लोगों पर गलत प्रभाव पड़े.
प्रशासनिक कारण
मृत्युदंड के निष्पादन की प्रक्रिया जेल के अधिकारीयों के लिए उस दिन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है जो आम तौर पर सुबह ही किया जाता है ताकि उस दिन के दैनिक काम प्रभावित ना हो.

फांसी के पहले जेल प्रशासन को कई प्रक्रियाएं भी पूरी करनी होती है जैसे कि अपराधी का मेडिकल टेस्ट, विभिन्न रजिस्टरों में एंट्री और कई जगह नोट्स भी देने होते है. वहीं फांसी के बाद अपराधी के शव की डॉक्टरों द्वारा पुष्टि की जाती है, फिर उसके परिवारवालों को सौप दिया जाता है, जिसमें काफी समय लगता है.
नैतिक कारण
ऐसा माना जाता है कि जिसे फांसी की सजा दी जाती है उसको पुरे दिन अपनी मौत का इंतजार ना करना पड़े. उसके दिमाग पर गहरा असर ना हो इसलिए सूर्योदय से पूर्व ही फांसी दे दी जाती है. आखिर मौत का इंतजार आसान नही होता है, अपराधी को मृत्युदंड मिला है नाकि मानसिक तौर पर पीड़ा देने का.

अपराधी को निष्पादन की प्रक्रिया के कुछ घंटे पहले उठाया जाता है ताकि नियमित शारीरिक काम हो सके, यदि कोई प्रार्थना हो तो वो करके फिर फांसी पर ले जाया जाता है. व्यक्ति के परिवार जनों को भी पर्याप्त समय मिल जाता है शव को अपने घर ले जाने का और अंतिम संस्कार करने का.

अत: सूर्योदय से पूर्व फांसी इन चार कानूनी, प्रशासनिक, नैतिक और सामाजिक कारणों की वजह से दी जाती हैं.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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