जानें दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के बारे में

क्या आप दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के बारे में जानते हैं? इसे इको-फ्रेंडली क्यों कहा गया है? हाइड्रोजन ट्रेन में किस प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं.    

Mar 13, 2020, 16:04 IST
World’s first Hydrogen Train
World’s first Hydrogen Train

हाइड्रोजन ट्रेन के नाम से ही पता चलता है की ट्रेन हाइड्रोजन गैस से चल रही है. जर्मनी ने सफलता पूर्वक हाइड्रोजन से चलनी वाली ट्रेन की शुरुआत 2018 में की थी. इससे प्रदूषण भी कम होगा, इसलिए इसे इको-फ्रेंडली कहा गया है. जैसा की हम जानते हैं की पूरी दुनिया में धीरे-धीरे प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. इसलिए फ्रांस की मल्टीनेशनल कंपनी अलस्टॉम ने हाइड्रोजन से चलनी वाली ट्रेन को तैयार किया है. आइये इस लेख के माध्यम से हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन की क्या खासियत है, इसमें क्या-क्या सुविधा दी गई हैं इत्यादि के बारे में अध्ययन करते हैं.

जर्मनी की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के बारे में

फ्रांसीसी टीजीवी-निर्माता अल्स्टॉम द्वारा निर्मित दो ब्राइट नीली कॉर्डिया आईलिंट ( Coradia iLint) ट्रेनों ने उत्तरी जर्मनी में कक्सहेवन (Cuxhaven), ब्रेमेरहेवन (Bremerhaven), ब्रेमर्वोर्डे (Bremervoerde ) और बक्सटेहुड (Buxtehude ) के कस्बों और शहरों के बीच एक 100 किलोमीटर के मार्ग पर हाइड्रोजन ट्रेन की शुरुआत की जिसे यहां पर डीज़ल से चलने वाली ट्रेनों के विपरीत चलाया गया.

इस ट्रेन की खासियत है कि यह पारंपरिक डीज़ल इंजन की तुलना में 60 फीसदी कम शोर करेगी, यह पूरी तरह उत्सर्जन मुक्त है. इसकी रफ्तार और यात्रियों को ले जाने की क्षमता भी डीजल ट्रेन की परफॉर्मेंस के बराबर है.

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हाइड्रोजन ट्रेन से धुआं नहीं पानी निकलता है

First Hydrogen train in Germany

हाइड्रोजन ट्रेन डीज़ल इंजन जैसी तकनीक का इस्तेमाल करती है. फर्क सिर्फ इंजन की बनावट और ईंधन का है. ट्रेन में डीज़ल की जगह फ्यूल सेल, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन डाले गए हैं. ऑक्सीजन की मदद से हाइड्रोजन नियंत्रित ढंग से जलेगी और इस ताप से बिजली पैदा होगी. बिजली लिथियम आयन बैटरी को चार्ज करेगी और इससे ट्रेन चलेगी. इस दौरान धुएं की जगह सिर्फ भाप और पानी ही निकलेगा. ट्रेन के आयन लिथियम बैटरी में अतिरिक्त ऊर्जा को जमा कीया जाएगा, ताकि जरुरत पढ़ने पर इस्तेमाल किया जा सके और ट्रेन आसानी से अपना सफर पूरा कर सके. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि यह किसी बैटरी से चलने वाली टॉय ट्रेन की फीलिंग देगी. मगर स्पीड के मामले में यह किसी भी आधुनिक ट्रेन से कम नहीं है.

कॉर्डिया आईलिंट ट्रेन, डीजल ट्रेन के समान हाइड्रोजन के एक टैंक फुल करने पर लगभग 1000 किलोमीटर ( लगभग 620 मील) का सफर तय कर सकती है और वो भी 140 किलोमीटर प्रति घंटे (87 मील प्रति घंटे) की अधिकतम स्पीड पर. यह ट्रेन आने वाले समय में हाइड्रोजन ट्रेन के रूप में रेल नैटवर्क में एक क्रांति लेकर आएगी.

तो अब आप जान गए होंगे की यह हाइड्रोजन ट्रेन डीज़ल की बजाय हाइड्रोजन से संचालित होगी इसलिए तो इसमें धुआं नहीं निकलेगा. यह पर्यावरण की  समस्या को ध्यान में रखते हुए कम कीमत पर यात्रा करवाने के लिए ही तैयार की गई है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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