अफ्रीकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने जून 2010 में तीन दिन की भारत यात्रा की। मई 2009 में राष्ट्रपति बनने के बाद से यह उनकी पहली भारत यात्रा थी। उनकी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करना था।
दोनों देशों ने इस यात्रा के दौरान तीन महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीट के लिए एक-दूसरे की सदस्यता का समर्थन करने का वादा किया। साथ ही दोनों देशों के मध्य इस बात पर सहमति बनी कि वे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों में एक-दूसरे से सहयोग करेंगे।
दोनों पक्षों के मध्य इस बात पर भी सहमति बनी कि वे एक बार फिर से सैन्य संबंधों को बहाल करने के लिए जल्दी ही बातचीत करेंगे। उल्लेखनीय है कि भारत ने एक बड़ी दक्षिण अफ्रीकी फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया था] जिसके बाद सैन्य क्षेत्र में दोनों देशों के बीच संबंध काफी खराब हो गए थे। इस मामले में एक बार फिर से दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने को लेकर सहमति बन गई है। दक्षिण अफ्रीका ने भारत से ब्रिक देशों के संगठन में उसे भी शामिल कराने का अनुरोध किया। गौरतलब है कि ब्रिक समूह में ब्राजील, रूस, भारत व चीन शामिल हैं।
दोनों देशों के बीच हुए समझौते
- दोनों देश एक-दूसरे को सुरक्षा परिषद की सीट के लिए समर्थन देने पर राजी।
- नाभिकीय ऊर्जा के लिए दोनों देशों के बीच होगी बातचीत।
- हवाई सेवा और कृषि क्षेत्र में समझौते।
- एक-दूसरे देश में निवेश के लिए सीईओ फोरम की स्थापना।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों में दोनों देश एक दूसरे का सहयोग करेंगे।
नागरिक परमाणु क्षेत्र
नागरिक परमाणु क्षेत्र में दोनों देशों के न्यूक्लियर पावर ऑपरेटर्स के बीच बातचीत जारी रहेगी। दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में सीधी बातचीत संभव नहीं है, क्योंकि दक्षिण अफ्रीकी कानूनों के मुताबिक वह किसी ऐसे देश के साथ परमाणु क्षेत्र में व्यापार नहीं कर सकता है जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। फिर भी इस क्षेत्र में दक्षिण अफ्रीका पूरी तरह से भारत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर भी दोनों के बीच में कुछ मतभेद है जिसको दूर करने के लिए दोनों पक्ष आपस में बातचीत जारी रखेंगे।
भारत-दक्षिण अफ्रीका: गहरी है दोस्ती
भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम दक्षिण अफ्रीका की धरती पर ही सत्याग्रह के अपने अभिनव अस्त्र का प्रयोग किया था। भारत ने सदा दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद सरकार का विरोध किया और वह पहला देश था जिसने इस मुद्दे पर वहां की सरकार से संबंध विच्छेद किए थे। विचारधारा के दृष्टिकोण से भारत-दक्षिण अफ्रीका के मध्य काफी समानता है। दोनों ही बड़े व आर्थिक रूप से सशक्त विकासशील देश हैं। दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों की प्रमुख शक्तियां हैं। दोनों को ही औपनिवेशवाद का लंबे समय तक सामना करना पड़ा। जहां तक अर्थव्यवस्था का सवाल है- एक ओर दक्षिण अफ्रीका जहां खनिज संसाधनों के दृष्टिकोण से काफी समृद्ध है वहीं भारत के पास उसकी उन्नत तकनीक व भारी-भरकम विनिर्माण क्षेत्र का फायदा है।
व्यापारिक संबंध: रंगभेद के जमाने में भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ अपने संबंध विच्छेद कर रखे थे। इसी वजह से दोनों देशों के बीच किसी भी तरह के व्यापारिक संबंध नहींथे। रंगभेद समाप्त होने के बाद दक्षिण अफ्रीका के साथ संबंध स्थापित करने वाले देशों में भारत सबसे ऊपर था। 1993 में कूटनीतिक संबंधों के शुरुआत के साथ ही दोनों देशों के मध्य व्यापारिक संबंधों की भी शुरुआत हो गई थी। 2003-04 तक दोनों देशों के मध्य 2.4 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का व्यापार होता था। राष्ट्रपति थाबो म्बेकी के भारत के दौरे के बाद इसमें उल्लेखनीय सुधार हुआ जो 2008-09 में 7.4 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुँच गया था। व्यापार का संतुलन पूरी तरह से दक्षिण अफ्रीका के पक्ष में है। हालांकि अभी भी दोनों देशों के बीच व्यापारिक क्षेत्र में और भी संभावनाएं मौजूद हैं।
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