केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण

Dec 21, 2015, 16:09 IST

संविधान का भाग XIV-क अधिकरण प्रदान करता है। प्रावधान को 1976 के 42 वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से जोड़ा गया। अनुच्छेद 323 क और 323 ख क्रमश: अन्य मामलों से संबंधित प्रशासनिक न्यायाधिकरण अथवा अधिकरण और अधिकरण प्रदान करते हैं। संसद द्वारा 1985 में पारित प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण और राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए केंद्र सरकार को अधिकृत करता है।

संविधान का भाग XIV-क अधिकरण प्रदान करता है। प्रावधान को 1976 के 42 वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से जोड़ा गया। अनुच्छेद 323 क और 323 ख क्रमश: अन्य मामलों से संबंधित प्रशासनिक न्यायाधिकरण अथवा अधिकरण प्रदान करता हैं।

अनुच्छेद 323-क  के तहत, नियुक्ति और संघ के या किसी राज्य अथवा स्थानीय मामलों या फिर भारत सरकार के स्वामित्व या सरकार द्वारा नियंत्रित किसी भी निगम और सरकार द्वारा नियंत्रित संस्थाओं के संबंध में सार्वजनिक सेवाओं और पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की सेवा शर्तों से संबंधित विवादों और शिकायतों पर अधिनिर्णय करने के लिए संसद के पास प्रशासनिक न्यायाधिकरण की स्थापना करने का अधिकार है।

संसद द्वारा 1985 में पारित प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण और राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए केंद्र सरकार को अधिकृत करता है।

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)

 केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की प्रमुख पीठ (प्रिंसिपल बेंच) दिल्ली में स्थित है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न राज्यों में अतिरिक्त पीठें भी हैं। वर्तमान में 17 नियमित पीठ (बैंचे) और 4 सर्किट बेंच हैं। कैट के पास निम्नलिखित सेवा क्षेत्र के मामलों में अधिकार है:

  • अखिल भारतीय सेवा का कोई भी एक सदस्य
  • संघ के किसी भी सिविल सेवा या संघ के तहत किसी भी सिविल पद पर नियुक्त एक व्यक्ति
  • रक्षा सेवाओं में नियुक्त कोई भी नागरिक या रक्षा से जुड़ा कोई भी एक पद

हालांकि, रक्षा बलों के सदस्य, अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट और संसद के सचिवालय के स्टाफ कर्मचारी कैट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं।

कैट में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। न्यायिक और प्रशासनिक क्षेत्रों से कैट के सदस्यों की नियुक्ति होती है। सेवा की अवधि 5 साल या अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अध्यक्ष के लिए 65 वर्ष और सदस्यों के लिए 62 वर्ष जो भी पहले हो, तक होती है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या कैट का कोई भी अन्य सदस्य अपने कार्यकाल के बीच में ही अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज सकता है।

कैट की कार्यप्रणाली

सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की संहिता में निर्धारित प्रक्रिया के लिए कैट बाध्य नहीं है, लेकिन प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है। एक अधिकरण के पास उसी प्रकार की शक्तियां होती हैं जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की संहिता के तहत एक सिविल कोर्ट के पास होती हैं। एक व्यक्ति अधिकरण में आवेदन कानूनी सहायता के माध्यम से या फिर स्वंय हाजिर होकर कर सकता है।

एक न्यायाधिकरण अथवा अधिकरण के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में तो अपील की जा सकती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में नहीं। चंद्र कुमार मामले (1997) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक अधिकरण के आदेश के खिलाफ सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती है और इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को पहले संबंधित उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) से संपर्क करना चाहिए।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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