जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951

Dec 24, 2015, 16:58 IST

संविधान के अनुच्छेद 327 के तहत इस अधिनियम को संसद द्वारा पारित किया गया था। यह संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव का संचालन प्रदान करता है। यह इन बातों की भी पुष्टि करता है कि उक्त सदनों का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएं और अयोग्यताएं होती हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (4) कहती है कि कोई भी जनप्रतिनिधि किसी भी मामले में दोषी ठहराए जाने की तिथि से तीन महीने की तिथि तक और अगर दौरान वो अपील दायर करता है तो उसका निबटारा होने तक अपने पद के अयोग्य घोषित नहीं होगा।

संविधान के अनुच्छेद 327 के तहत इस अधिनियम को संसद द्वारा पारित किया गया था। यह संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव का संचालन प्रदान करता है। यह इन बातों की भी पुष्टि करता है कि उक्त सदनों का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएं और अयोग्यताएं होती हैं।

1. इस अधिनियम के अनुसार, एक व्यक्ति तब तक लोकसभा की एक सीट पर चुने जाने के योग्य तभी होगा जब:

i- किसी भी राज्य में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट के मामले में, उसे किसी भी राज्य के किसी भी अनुसूचित जाति का सदस्य होना चाहिए और किसी भी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का एक निर्वाचक होना चाहिए;

ii- किसी भी राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट के मामले में, उसे किसी भी राज्य के किसी भी अनुसूचित जाति का सदस्य होना चाहिए और किसी भी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का एक निर्वाचक होना चाहिए;

iii- किसी अन्य सीट के मामले में उसे किसी भी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक निर्वाचक होना चाहिए।

2- राज्यसभा की सदस्यता के लिए योग्यता: एक व्यक्ति राज्य सभा में किसी भी राज्य या संघ शासित प्रदेश के एक प्रतिनिधि के रूप में तभी चुने जाने का योग्य माना जाएगा जब वह एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक होगा।

3- एक व्यक्ति निम्न कारणों के आधार पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है:

I. कुछ चुनावी अपराधों और चुनाव में भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराए जाने के कारण अयोग्यता।

II. एक व्यक्ति जिसे किसी भी अपराध का दोषी पाया गया हो और कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई गयी हो।

III. भ्रष्ट आचरण के आधार पर अयोग्यता।

IV. भ्रष्टाचार या देशद्रोह के लिए बर्खास्तगी के कारण अयोग्यता।

V. सरकारी कंपनी के तहत पद के लिए अयोग्यता ।

VI. चुनाव खर्च के खाते का विवरण देने में असफल होने पर अयोग्यता।

VII. विभिन्न समूहों के बीच या रिश्वतखोरी के अपराध के लिए शत्रुता को बढ़ावा देने के कारण अयोग्यता।

VIII. यदि एक व्यक्ति को सती, छुआछूत, दहेज, जैसे सामाजिक अपराधों के लिए कभी दंडित किया गया हो।

अधिनियम चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है। लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) अधिनियम, 1966 ने चुनाव न्यायाधिकरणों को समाप्त कर दिया है। यह चुनाव याचिकाओं को उच्च न्यायालय में स्थांनांरित कर देता है जिसके आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित विवादों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट प्रत्यक्ष तरीके से करता है।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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