जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा

Dec 28, 2015, 15:43 IST

भारत के संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देता है। पाकिस्तान के हमला करने के डर के बीच जम्मू और कश्मीर का उसके स्वयं पर अधिकार बनाए रखते हुए, भारत में जल्दबाजी में शामिल हो गया था। हालांकि, कई पैमाने हैं जिनके तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष लाभ दिए गए हैं। इस राज्य का अपना अलग संविधान और अपना राष्ट्रीय ध्वज भी है।

भारत के संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देता है। पाकिस्तान के हमला करने के डर के बीच जम्मू और कश्मीर का उसके स्वयं पर अधिकार बनाए रखते हुए, भारत में जल्दबाजी में शामिल हो गया था। हालांकि, कई पैमाने हैं जिनके तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष लाभ दिए गए हैं।

जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा

भारत के संविधान के भाग XXI में अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है। विशेष दर्जा राज्य को पर्याप्त स्वायत्ता देता है। विदेश, रक्षा, संचार और अनुषंगी मामलों को छोड़कर ज्यादातर फैसले केंद्र सरकार राज्य सरकार की सहमति के साथ करती है।

प्रवेशाधिकार की मुख्य विशेषताएं

हालांकि, बहुत ही अस्थायी व्यवस्था की कल्पना की जाने के बावजूद, इसने जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिलाया, इसके बारे में नीचे विस्तार से बताया जा रहा है–  

  • समझौते के तहत, राज्य ने रक्षा, संचार और विदेशी मामलों में आत्मसमर्पण कर दिया।
  • अलग संविधान सभा के माध्यम से राज्य को अपना अलग संविधान मसौदा तैयार करने की स्वायत्तता प्रदान की गई।
  • उपरोक्त बातों को अस्थायी रूप से शामिल करने के लिए भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370  बनाया गया था।
  • मूल संविधान (1950) में जम्मू और कश्मीर राज्य को भाग ख राज्यों की श्रेणी में रखा गया था।
  • केंद्र जम्मू और कश्मीर राज्य की सहमति से संघ और समवर्ती सूची पर कानून बनाएगा।
  • अनुच्छेद 1 भी लागू होगा।

नीचे जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने वाले विभिन्न मानकों का वर्णन किया गया है–

  • राज्य विधायिका की सहमति के बिना इसका नाम, क्षेत्र या सीमा नहीं बदला जा सकता।
  • भारतीय संविधान का भाग VI जो राज्य सरकार के लिए है, लागू नहीं होता।
  • आतंकवादी गतिविधियों, भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर प्रश्न उठाने और उसमें बाधा डालने, राष्ट्रीय झंडे, राष्ट्रीय गान और भारत के संविधान के अपमान जैसी गतिविधियों की रोकथाम को छोड़कर बाकी मामलों में शक्तियां राज्य के पास होंगी।
  • राज्य में अभी भी संपत्ति का मौलिक अधिकार दिया जाता है।
  • सरकारी रोजगार, अचल संपत्ति का अधिग्रहण, निपटान और सरकारी छात्रवृत्तियों के संदर्भ में राज्य के स्थायी निवासों को विशेष अधिकार प्राप्त हैं।
  • राज्य की नीतियों और मौलिक कर्तव्यों के निर्देशक सिद्धांत लागू नहीं हैं।
  • आंतरिक अशांति के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल राज्य सरकार की सहमति के बिना प्रभावी नहीं होगा। 
  • वित्तीय आपातकाल थोपा नहीं जा सकता।
  • मौलिक अधिकारों को छोड़कर किसी भी अन्य मामलों में जम्मू और कश्मीर का उच्च न्यायालय रिट जारी नहीं कर सकता।
  • पाकिस्तान जाने वाले लोगों को नागरिकता के अधिकार से वंचित रखना लागू नहीं है।
  • भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची और छठी अनुसूची लागू नहीं है।
  • राजभाषा प्रावधान सिर्फ संघ के राजभाषा से संबंधित होने पर ही लागू होंगे।
  • भारत के संविधान में किया गया संशोधन बिना राष्ट्रपति के आदेश के स्वतः ही राज्य में लागू नहीं होगा।
  • राज्य में राष्ट्रपति शासन सिर्फ राज्य के संविधान के संवैधानिक तंत्र की विफलता पर ही लगाया जाएगा न कि भारतीय संविधान के संवैधानिक तंत्र की विफलता पर।
  • अंतरराष्ट्रीय समझौतों या संधियों के मामले में राज्य विधायिका की सहमति अनिवार्य है।

इसलिए, भारत की गरिमा को बनाए रखने के लिए जम्मू और कश्मीर और भारत के बीच के संबंध में जल्द– से– जल्द सामंजस्य स्थापित करना होगा। समकालीन विश्व में विकास और समृद्धि पाने के लिए जलते कश्मीर का खामियाजा भारत नहीं उठा सकता। भारत की अखंडता और सुरक्षा से समझौता किए बगैर प्राथमिकता के आधार पर सभी हितधारकों की आकांक्षाओं को पूरा करना ही एकमात्र विकल्प है। भारत का विकास तभी होगा जब इसके सभी राज्य और भूभाग विकसित होंगे।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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