जर्मनी के राष्ट्रपति की भारत यात्रा
जर्मनी के राष्ट्रपति होस्र्ट कोहलर ने फरवरी, 2010 में भारत की सात दिन की यात्रा की। इनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाना तथा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में सुधार के लिए भारत का समर्थन जुटाना था।
यह पर गौरतलब है कि जर्मनी भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है और दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए मिलकर दावेदारी प्रस्तुत की है। जर्मनी भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है।
कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई बातचीत
जर्मन राष्ट्रपति कोहलर की भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत हुई। आतंकवाद के मुकाबले के लिए प्रस्तावित समझौता तथा 50 करोड़ डॉलर का आर्थिक व तकनीकी सहयोग समझौता इस वार्ता के मुद्दों में शामिल थे। हालांकि इन समझौतों पर बाद में हस्ताक्षर किए गए।
जर्मन राष्ट्रपति ने विभिन्न क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने में रुचि जाहिर की। भारत को राइजिंग स्टार बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक मामलों में उपेक्षा करना अब संभव नहीं है।
उन्होने भारतीय नेताओं से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, वैश्विक वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन व निर्धनता निवारण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर वार्ता की।
जर्मन राष्ट्रपति पूर्व में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख भी रह चुके हैं, ने विश्व के वित्तीय संस्थानों में भारत जैसी महत्वपूर्ण आर्थिक शक्तियों को शामिल करने पर बल दिया।
भारत-जर्मनी संबंध
व्यापारिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक सहयोग की वजह से भारत और जर्मनी के संबंध पारंपरिक रूप से मजबूत रहे हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद भारत पहला देश था जिसने जर्मनी के साथ युद्ध समाप्त किया था। जर्मनी के विभाजन के बावजूद भारत ने पश्चिमी व पूर्वी जर्मनी- दोनों ही देशों के साथ सदा अच्छे संबंध बनाए रखे।
2008 में जर्मन चांसलर एंजिला मर्केल ने भारत की यात्रा की जिस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, विज्ञान, तकनीक और रक्षा क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गये।
कई क्षेत्रों में जर्मनी है भारत का सहयोगी: जर्मनी ने भारत के शैक्षिक और सांस्कृतिक विकास में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 1956 में जर्मनी के सहयोग से ही आईआईटी, मद्रास की स्थापना की गई थी।
2008 में जर्मनी ने ही ऊर्जा, पर्यावरण, कोल और जल तकनीक के क्षेत्र में ज्वाइंट रिसर्च और डेवलेपमेंट के लिए नई दिल्ली में इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना की थी। जर्मनी, भारत का सबसे बड़ा यूरोपीय व्यापारिक साझीदार है और इस मामले में दुनिया में उसका स्थान पांचवां है। 2007-08 में दोनों देशों के मध्य कुल 12.7 अरब ड्यूश मार्क का व्यापार हुआ। सन 2010 तक इसके 30 अरब ड्यूश मार्क तक पहुंच जाने की उम्मीद है। भारत और जर्मनी की बीच दूरसंचार, इंजीनियरिंग, पर्यावरण तकनीक, खाद्य प्रसंस्करण, केमिकल्स और फार्मास्युटिकल्स के क्षेत्रों में विशेष रूप से व्यापार होता है।
रणनीतिक संबंध: 1998 में भारत के परमाणु विस्फोटों का जर्मनी ने विरोध किया था, लेकिन बाद में दोनों देशों के मध्य रणनीतिक संबंधों में सुधार हुआ और अब दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास भी करते हैं। जर्मनी ने न्यूक्लियर सप्लायर गु्रप में भारत के परमाणु समझौते का समर्थन भी किया था। 2006 में दोनों देशों के मध्य रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
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