आज जब पूरा विश्व परमाणु शस्त्र शक्ति संपन्न होने की होड़ में शामिल है, तब प्रत्येक व्यक्ति को यह जानना जरुरी है कि इस परमाणु शक्ति ने अपने विनाशकारी रूप में कितना नुकसान पहुँचाया था जब इसका प्रयोग एक बम के रूप में मानव सभ्यता के खिलाफ हुआ। जिसने मानव इतिहास में विनाश का कलंक मानव के हाथों ही लिख दिया ।
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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आज से ठीक 70 वर्ष पूर्व 6 अगस्त 1945 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया था. इसके तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त 1945 अमेरिका द्वारा जापान के दूसरे प्रमुख शहर नागासाकी पर परमाणु बम गिराया गया।
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हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी के दौरान 6 अगस्त 1945 की सुबह अमेरिकी वायु सेना ने जापान के हिरोशिमा पर "लिटिल बॉय" नामक परमाणु बम गिराया था। तीन दिनों बाद अमरीका ने नागासाकी शहर पर "फ़ैट मैन" नामक परमाणु बम गिराया। हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम को अमेरीका पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट के सन्दर्भ में "लिटिल ब्वाय" और नागासाकी के बम को विन्सटन चर्चिल के सन्दर्भ में "फ़ैट मैन" नाम दिया गया था। उस परमाणु हमले की विभीषिका आज भी रोंगटे खड़े कर देने वाली है। उसके विनाश क्षमता को देखते हुए ऐसा लगता है कि अब अगर परमाणु युद्ध हुए तो पूरी दुनियाँ ही तबाह हो सकती है।
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अमेरिका द्वारा जापान पर की गई इस बमबारी के बाद हिरोशिमा में कुल एक लाख 40 हजार और नागासाकी में कुल 74 हजार से अधिक लोग मारे गए। इस हमले के बाद जापान परमाणु हमले की त्रसदी झेलने वाला दुनिया का अकेला देश है। वह परमाणु हमला मानवता के नाम पर सबसे बड़ा कलंक है।
अमेरिका द्वारा किये गए परमाणु हमले के बाद अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी. एस. ट्रूमैन ने अटलांतिक महासागर में "आगस्ता" जहाज़ी बेड़े से यह घोषणा करते हुए कहा कि यह बम 20 हज़ार टन टीनटी क्षमता का था और अब तक इस्तेमाल में लाए गए सबसे बड़े बम से दो हज़ार गुना अधिक शक्तिशाली था। इसके साथ ही हैरी ट्रूमन ने कहा था कि हिरोशिमा पर गिराया गया परमाणु बम अबतक इस्तेमाल में लाए गए बम से दो हजार गुना शक्तिशाली है तथा इससे हुई क्षति का आज तक अनुमान नहीं लगाया जा सका है। इस परमाणु बम को अमरीकी बम वर्षक जहाज ‘बी-29’ से गिराया गया था, जिसे ‘इनोला-गे’ के नाम से भी जाना जाता था। इस जहाज के चालक दल ने कहा था कि बम गिराने के चंद मिनटों बाद धुंए का बड़ा सा गुबार और आग के बड़े-बड़े गोले आसमान में ऊपर की तरफ उठे थे।
हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के कारण 13 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही फैल गई थी। शहर की 60 प्रतिशत से भी अधिक इमारतें नष्ट हो गईं थीं। उस समय जापान ने इस हमले में मरने वाले नागरिकों की आधिकारिक संख्या 118,661 बताई थी। बाद के अनुमानों के अनुसार हिरोशिमा की कुल 3 लाख 50 हज़ार की आबादी में से 1 लाख 40 हज़ार लोग इसमें मारे गए थे। इनमें सैनिक और वह लोग भी शामिल थे जो बाद में परमाणु विकिरण की वजह से मारे गए। बहुत से लोग लंबी बीमारी और अपंगता के भी शिकार हुए।
नागासाकी शहर पर गिराए गए बम का वज़न लगभग 4050 किलो था। नागासाकी शहर के पहाड़ों से घिरे होने के कारण केवल 6.7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही तबाही फैल पाई। लगभग 74 हज़ार लोग इस हमले में मारे गए थे और इतनी ही संख्या में लोग घायल हुए थे। दो परमाणु हमलों और 8 अगस्त 1945 को सोवियत संघ द्वारा जापान के विरुद्ध मोर्चा खोल देने पर, जापान के पास कोई और रास्ता नहीं बचा था। जापान ने 14 अगस्त 1945 को मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह बम स्थानीय समयानुसार 8.15 बजे "इनोला गे" कहे जाने वाले एक अमरीकी विमान बी-29 सुपरफोर्ट्रेस से गिराया गया था ।
इस अवसर पर अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना था कि परमाणु बम ने दुनिया की मूलभूत शक्तियों को इकट्ठा करने का काम किया है, और इस बम के द्वारा परमाणु उर्जा के इस्तेमाल से सबसे पहले हथियार बनाने की दौड़ में भी हमने जर्मनी को पछाड़ दिया है। राष्ट्रपति ट्रूमैन ने चेतावनी देते हुए कहा था कि सहयोगी देश जापान की युद्ध करने की क्षमता को पूरी तरह से नष्ट कर देंगे। राष्ट्रपति ने कहा था कि 10 दिन पहले पॉट्सडैम घोषणा जारी की गई थी जिसमें जापान को बिना शर्त आत्मसमर्पण करने को कहा गया था, यह उसके लिए भारी विनाश से बचने का आख़िरी मौक़ा था।
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इस अवसर पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था,"अगर अब वो हमारी शर्तों को नहीं मानते है तो उन्हें आसमान से विनाश की ऐसी बारिश का सामना करना पड़ेगा जैसी कि पहले कभी नहीं हुई। इसके बाद समुद्र और ज़मीन के रास्ते ऐसे हमले होंगे जैसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखे, लेकिन यह हमले उसी युद्ध क्षमता का परिचायक होंगे जिससे वो अच्छी तरह से परिचित हैं" ।
विंस्टन चर्चिल की जगह ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने क्लीमेंट ऐटली ने हाउस ऑफ कॉमंस में संसद सदस्यों को चर्चिल का बयान पढ़ कर सुनाया। इस बयान में कहा गया है कि परमाणु परियोजना इतनी अधिक प्रभावशाली है कि सरकार का मानना है कि इस संबध में शोध किया जाना चाहिए और अमरीका के परमाणु वैज्ञानिकों के साथ मिल कर जानकारी का आदान-प्रदान किया जाना चाहिए। चूँकि ब्रिटेन जर्मनी के बमवर्षक विमानों की पहुँच में था, परमाणु बम बनाने के कारखाने अमरीका में लगाने का निर्णय लिया गया था।
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विदित हो कि जापान पर गिराए गए उपरोक्त परमाणु बमों ने दूसरे विश्व युद्ध का नक्शा ही बदल दिया था। इस बम को गिराए जाने से पहले जापान को बिना शर्त हथियार डालने को कहा गया था। इस घटना के बाद तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लिमेंट एटली ने कहा था कि इस परमाणु प्रोजेक्ट में इतनी संभावनाए थीं कि ब्रिटेन ने अमरीकी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम किया था। हिरोशिमा पर गिराए गए बम जिसे लिटिल बम का नाम दिया गया था के गिराए जाने के बाद 13 वर्ग किलोमीटर के दायरे में प्रकृति पूरी तरह उजड़ गया थी ओर शहर में मौजूद 60 प्रतिशत भवन तबाह हो गए थे। इस शहर की साढ़े तीन लाख आबादी में से एक लाख चालीस हजार लोग इस हमले में मारे गए थे। बहुत सारे लोग बाद में विकिरण के कारण मौत के शिकार हुए। जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर जो परमाणु बम गिराया गया उसमें 74 हजार लोग मारे गए थे। इसके बाद जापान ने 14 अगस्त 1945 को अपने हथियार डाल दिए।
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उपरोक्त घटना दूसरे विश्वयुद्ध के अंतिम चरणों में से एक है। इसके आसपास की लगभग हर चीज जलकर खाक हो गई थी। इस परमाणु बम के जरिए जमीनी स्तर पर लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी पहुंची थी, जोकि स्टील को पिघलाने के लिए काफी होती है। इस हमले में लगभग 1.4 लाख लोग मारे गए थे। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो बम हमले से तो बच गए थे लेकिन भारी रेडिएशन की चपेट में आने के कारण बाद में मर गए थे। पत्तन शहर नागासाकी में 70 हजार लोग मारे गए थे. इसके कुछ दिन बाद 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था और युद्ध समाप्त हो गया था।
कहा जाता है कि परमाणु बम का निर्माण 1941 में तब शुरू हुआ जब नोबेल विजेता वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन रूजवेल्ट को इस प्रोजेक्ट को फंडिंग करने के लिए राजी किया था। उस समय खुद आइंस्टी्न ने भी नहीं सोचा होगा कि इसके इतने घातक परिणाम हो सकते हैं।
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रेडियोएक्टिविटी : अर्थ, खोज, प्रकार और उपयोग
अमेरिका द्वारा जापान पर किये गए इस परमाणु हमलें ने इंसानी बर्बरता के सारे रिकार्ड तोड़ दिए थे, बच्चों और औरतों की हजारों लाशें, शहरों की बर्बादी ने मानवता को कलंकित कर दिया। मानव सभ्यता के खिलाफ किये गए इस बर्बरता को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है। चाहें वह युद्ध की स्थिति ही क्यों न हो।
आज उपरोक्त परमाणु क्षमता से कई गुना अधिक क्षमता के परमाणु बम विकसित किये जा चुके हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि इसका प्रयोग कभी हुआ तो पूरी मानव सभ्यता नष्ट हो सकती है। लेकिन हम आशा करते हैं की हिरोशिमा एवं नागाशाकी पर हुए हमले की विभीषिका को देखते हुए पुनः कभी ऐसी स्थिति विश्व के सामने न आये।
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