ब्रिटिश प्रधानमंत्री की भारत यात्रा
ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने जुलाई 2010 के आखिरी सप्ताह में भारत की अधिकारिक यात्रा की। उनके साथ अभी तक किसी भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ आया सबसे बड़ा वाणिज्यिक प्रतिनिधिमंडल था। मई 2010 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह उनकी पहली भारत यात्रा थी।
सैनिक सहयोग एजेंडा में ऊपर
आर्थिक सहयोग में वृद्धि के साथ-साथ सैन्य सहयोग में विस्तार भी उनके एजेंडे में काफी ऊपर था। अपनी यात्रा की शुरुआत ही 28 जुलाई को उन्होंने बंगलौर से की जहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. में ब्रिटिश लाइसेंस के अंतर्गत हॉक प्रशिक्षण विमानों का निर्माण किया जा रहा है। गौरतलब है कि भारत ने ब्रिटेन को कुल 66 हॉक प्रशिक्षण विमानों का ऑर्डर दिया था, जिसमें 24 विमान ब्रिटेन ने पहले ही भारत को प्रदान कर दिए थे।
जबकि शेष 42 विमानों की असेम्बलिंग बंगलौर के एच.ए.एल में चल रही है। कैमरून की ताजा यात्रा के दौरान 57 अन्य हॉक विमानों के लिए ब्रिटेन की ब्रिटिश एयरोस्पेस सिस्टम्स के साथ एच. ए. एल ने 29 जुलाई, 2010 को समझौते पर हस्ताक्षर किए। इनमें से 40 विमान भारतीय एयरफोर्स के लिए व बाकी 17 विमान नौसेना के लिए हैं। इन हॉक विमानों का कुल मूल्य 1460 करोड़ रु. है।
अन्य क्षेत्रों में सहयोग
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की विस्तृत वार्ता भी हुई जिसमें दोनों देशों के बीच की साझेदारी को और ऊंचाई पर लेकर जाने का निश्चय व्यक्त किया गया। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों देश अर्थ व व्यापार, विज्ञान एवं तकनीक, ऊर्जा, शिक्षा, सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में विशेष ध्यान देंगे।
दोनों नेताओं के बीच वाणिज्यिक संवद्र्धन के लिए एक इंडिया-यूके इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रुप गठित करने तथा द्विपक्षीय व्यापार को अगले पांच वर्र्षों में दुगुना करने को भी सहमति बनी। नवगठित इंडिया-यूके सीईओ फोरम में भारत की ओर से उद्योगपति रतन टाटा को सह-अध्यक्ष बनाया गया है।
एक व्यापक आधार वाले व्यापार एवं निवेश समझौते के लिए भारत व यूरोपीय संघ के बीच चल रही वार्ता को 2010 के अंत तक पूरा करने की इच्छा भी दोनों प्रधानमंत्रियों ने व्यक्त की।
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