फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने अक्टूबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई बैठक में उन्हें अपना बहुत बड़ा राज बताया। जुकरबर्ग ने कहा कि जब फेसबुक अच्छा काम नहीं कर रहा था, हम बहुत मुश्किल समय में थे और कई लोग फेसबुक को खरीदना चाहते थे। उसी दौरान मैं स्टीव जॉब्स से मिला तो उन्होंने मुझे इस समस्या से निपटने का तरीका बताया | उन्होंने मुझे अपनी कंपनी के मिशन से अपने आपको जोड़ने को कहा।
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इस बैठक के दौरान एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने भारत के इस जादुई मंदिर में जाने की सलाह दी थी।
क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि स्टीव ने जुकरबर्ग को भारत जाने की सलाह क्यों दी थी ? स्टीव ने ऐसा सुझाव अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर दिया था |
स्टीव जॉब्स अपने मित्र डैन कोट्टके के साथ नीम करोली/करौली बाबा के दर्शन हेतु 1970 के दशक के दौरान आश्रम गए थे ताकि उन्हें अपनी कंपनी को शुरू करने में सफलता मिले। हालांकि वे बाबा से नहीं मिल सके क्योंकि तब तक बाबा की मृत्यु हो चुकी थी। बाबा नीम करोली/करौली की मृत्यु 10 सितंबर 1973 को हुई थी। यही वह समय था जब स्टीव, एप्पल की स्थापना के बारे में विचार कर रहे थे | बाद में स्टीव ने अपने विचार पर अमल किया और 1 अप्रैल 1976 को संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया के कूपर्टीनो में “एप्पल” की स्थापना की थी।
(स्टीव जॉब्स घेरे में, बाबा के आश्रम में बैठे हुए)
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जुकरबर्ग ने स्टीव की बात मान ली और भारत के लिए रवाना हो गए, इस मंदिर में आए, फेसबुक की सफलता के लिए पूजा अर्चना की और लगभग एक महीने तक भारत का भ्रमण करते रहे। जुकरबर्ग कहते हैं कि उन्होंने भारत में देखा कि लोग किस कदर एक-दूसरे से जुड़े हैं और संकट के समय मदद करते हैं |
क्या कभी सोचा है कि भारत देश का नाम “भारत” ही क्यों पड़ा?
लोगों को एक–दूसरे से जुड़ने के तरीके ने जुकरबर्ग को यह एहसास कराया कि यदि दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति को एक–दूसरे से जुड़ने के लिए कोई ससक्त माध्यम मिले तो दुनिया और भी बेहतर हो सकती है। यहीं से जुकरबर्ग को सोशल मीडिया के माध्यम से लोगो को एक दूसरे से और भी बेहतर तरीके से जोड़ने का विचार मिला था| (फेसबुक ने इसी समय से लोगों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए बहुत से नये फीचर्स जोड़े थे)
इस कम विख्यात लेकिन जादुई मंदिर का नाम है:- “कैंची धाम आश्रम” | यह उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में है। कैंची, पहाड़ पर बना आश्रम है जो उत्तराखंड के कुमाऊं की पहाड़ियों पर नैनीताल से करीब 38 किमी दूर स्थित है।
(कैंची धाम आश्रम की फोटो)
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इस आश्रम का रख– रखाव नीम करोली/करौरी बाबा द्वारा किया जाता था। माना जाता है कि ये बाबा भगवान हनुमान के अवतार हैं।
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नीम करोली बाबा ने 1958 में घर छोड़ दिया था। उस समय उनकी सबसे छोटी पुत्री मात्र 11 वर्ष की थी। उन्होंने साधु के रूप में पूरे उत्तर भारत का भ्रमण किया और कई नामों से जाने गए।
15 जून 1964 को भगवान हनुमान के पहले मंदिर का उद्घाटन किया गया था।
वर्ष 1962 में महाराज जी (बाबा नीम करोली) ने कैंची गांव में दो आध्यात्मिक गुरुओं – साधु प्रेमी बाबा और सोमबारी महाराज द्वारा किए जाने वाले यज्ञों के स्थान के आस–पास एक चबूतरे (मंच) का निर्माण करवाया था। बाद में इस मंच पर हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया गया और इस प्रकार कैंची आश्रम की स्थापना हुई।
करोली/करौरी बाबा के कई स्थानों पर मंदिर हैं। इनमें लखनऊ और संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्सास वाला आश्रम भी शामिल है। इसकी वेबसाइट के अनुसार महाराज ने कम– से– कम 108 मंदिरों की स्थापना की थी।
कोई भी व्यक्ति जो कैंची गांव के इस आश्रम का दौरा करना चाहता हो उसे पूर्व अनुमति लेनी होती है। पुराने भक्तों में से एक से निर्देश मिलने के बाद कोई भी व्यक्ति तीन दिनों के लिए यहां ठहर सकता है। चूंकि यहां बहुत अधिक ठंड पड़ती है इसलिए वर्ष के अधिकांश समय यह आश्रम बंद रहता है।
जुकरबर्ग के अलावा हॉलीवुड की अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स भी नीम करोली/करौरी बाबा से प्रभावित मानी जाती हैं और कहा जाता है कि इन बाबा की वजह से ही उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाया था ।
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