भारत - पूर्व एशिया: इस्टर्ली विन्डस
अक्टूबर 2010 में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने तीन देशों- जापान, मलेशिया व वियतनाम की यात्रा की। पिछले दो दशकों से भारत ने अपनी चिर-परिचित लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत दक्षिण-पूर्व एशिया व पूर्वी एशियाई देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को नया आयाम देने का पूरा प्रयास किया है। आसियान के साथ उसका मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है जिसे इस समूह के अधिकांश देशों के साथ लागू भी किया जा चुका है।
जापान यात्रा
एक सप्ताह की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री का पहला पड़ाव जापान था जहां 24 अक्टूबर को वे टोक्यो पहुँचे। यहां जापान के प्रधानमंत्री नाओतो कान के साथ असैन्य परमाणु सहयोग, सुरक्षा सहयोग व द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने के उपायों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी चर्चा हुई।
व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौताद : प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान ही दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते पर बातचीत भी पूरी हो गई। इस समझौते के तहत पारस्परिक आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के मध्य बातचीत तीन वर्र्षों से चल रही है। यद्यपि इस पर अभी हस्ताक्षर नहीं किए गये जो बाद में किए जाएंगे।
इस समझौते की खास बात है कि इसके प्रभावी हो जाने से दोनों देशों के बीच होने वाले आयात-निर्यात की 94 फीसदी से अधिक मदों पर शुल्क दरें अगले 10 वर्र्षों में समाप्त कर दी जाएंगी।
जापान-भारत परमाणु सहयोग में गतिरोध 1998 में भारत द्वारा पोखरण परमाणु विस्फोट किए जाने पर जापान ने उस पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे। इस मुद्दे पर आज भी दोनों देशों के विचारों में मतभेद हैं। जापान अपनी आंतरिक राजनीतिक दबाव के चलते भी भारत के साथ परमाणु क्षेत्र में सहयोग नहीं कर पा रहा है। जापान का कहना है कि किसी तरह के परमाणु समझौते के लिए पहले भारत एनपीटी व सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करे। लेकिन भारत इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। उसका कहना है कि पहले ही उसने बिना इन संधियों पर हस्ताक्षर किए 8 देशों के साथ परमाणु सहयोग संधि की है और इस मुद्दे में जापान के साथ भी उसका यही रवैया रहेगा।
अन्य विषयों पर वार्ता : भारतीय प्रधानमंत्री की जापानी प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में सुरक्षा तथा दक्षिण भारत में परिवहन व इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स की दिशा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। भारत व जापान दोनों ही सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के दावेदार हैं, इस विषय पर भी दोनों पक्षों के बीच बातचीत हुई।
मलेशिया यात्रा
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की यात्रा का दूसरा पड़ाव मलेशिया था। वहां उनकी मलेशियाई प्रधानमंत्री मोहम्मद नाजिब तुन अब्दुल रजाक के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत हुई।
भारत-मलेशिया समझौते : वार्ता के बाद पारस्परिक सहयोग के छ: समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें द्विपक्षीय व्यापार संवद्र्धन के लिए व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (comprehension economic cooperation agreement) भी शामिल था। यह समझौता वस्तुओं के साथ-साथ सेवाओं के व्यापार से भी संबंधित है। इसकी सभी औपचारिकताएं 31 जनवरी, 2011 तक पूरी कर ली जाएंगी और बाद में 1 जुलाई, 2011 से इसे लागू कर दिया जाएगा। ऐसी आशा की जा रही है कि इस समझौते के लागू हो जाने से 2015 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 15 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा।
इस समझौते के अतिरिक्त चिकित्सा, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी सहयोग के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
वियतनाम की यात्रा
प्रधानमंत्री ने वियतनाम की अपनी यात्रा के दौरान आसियान की भारत के साथ शिखर बैठक में भाग लिया। साथ ही उन्होंने पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लिया।
भारत-आसियान शिखर बैठक: 29 अक्टूबर को भारत-आसियान शिखर बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने अगस्त 2009 के भारत-आसियान के वस्तुओं के व्यापार संबंधी समझौते पर विस्तार से बातचीत की। उल्लेखनीय है कि यह समझौता 1 जनवरी, 2010 से लागू हुआ था। भारतीय प्रधानमंत्री ने सेवाओं व निवेश के क्षेत्र में भी मुक्त व्यापार समझौते की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों पक्षों के बीच सहयोग को नए स्तर पर ले जाने के लिए पांच वर्ष की एक कार्ययोजना पर भी चर्चा सम्मेलन के दौरान हुई। इस कार्ययोजना के लिए 82 बिंदुओं को चिंहित किया गया है।
आसियान के चार सदस्य देशों- कंबोडिया, वियतनाम, फिलीपींस व लाओस के नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री ने भारत में वीजा ऑन एराइवल की सुविधा देने की घोषणा की।
पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन: 30 अक्टूबर को डॉ. मनमोहन सिंह ने पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में भागीदारी की। पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में आसियान के दस सदस्य देश व उनके 6 वार्ता साझीदार- भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैण्ड व ऑस्टे्रलिया शामिल हुए। रूस व अमेरिका भी इस सम्मेलन में पहली बार शामिल हुए।
शिखर सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व सुरक्षा संबंधी संबंधों में एकीकरण की बात कही।
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