मलेशियाई प्रधानमंत्री की भारत यात्रा
मलेशियाई प्रधानमंत्री मोहम्मद अब्दुल रज्जाक ने 20-24 जनवरी, 2010 के दौरान भारत की यात्रा की जो कई मायनों में दोनों देशों के लिए उल्लेखनीय रही।
मलेशियाई प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच गहन वार्ता हुई जिसमें निश्चित किया गया कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। दोनों नेताओं के बीच इस बात पर भी मतैक्य हुआ कि सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र संघ में समग्र परिवर्तनों की जरूरत है। दोनों नेताओं के अनुसार वर्तमान वैश्विक यथार्थ को देखते हुए सुरक्षा परिषद में स्थाई और अस्थाई सीटों का विस्तार किये जाने की जरूरत है।
संयुक्त वक्तव्य
वार्ता के बाद जारी किये गये संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों देश आपसी संबंधों का नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए कृतसंकल्प हैं जिससे वैश्विक आर्थिक संकट से उत्पन्न अवसरों का पूरी तरह से लाभ उठाया जा सके।
दोनों ही नेता इस बात पर भी सहमत थे कि मलेशिया और भारत के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों व समान राजनीतिक व आर्थिक हितों को देखते हुए दीर्घकालिक संबंधों का विस्तार किया जा सकता है।
भारत की सुरक्षा परिषद की दावेदारी का समर्थन
मलेशिया प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान मलेशिया ने अपनी पूर्व स्थिति से यू-टर्न लेते हुए भारत की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता का समर्थन किया। मलेशिया पहले ऐसे समूह का सदस्य था जिसे यूनाईटिंग फॉर कन्शेसस के नाम से जाना जाता था, जो भारत की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता का मुखर विरोधी था। इस समूह में पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, इटली, अर्जेन्टीना, कोस्टारिका, माल्टा, मैक्सिको, स्पेन और तुर्की शामिल हैं।
समग्र आर्थिक सहयोग संधि
यात्रा के दौरान यह भी तय हुआ कि 2010 के अंत तक भारत-मलेशिया के मध्य समग्र आर्थिक सहयोग संधि पर हस्ताक्षर कर दिये जाएंगे। भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते पर 2009 में ही हस्ताक्षर किये गये थे और इस समझौते के बाद से दोनों देशों के बीच काफी तेजी से व्यापार में वृद्धि हो रही है। लेकिन समग्र आर्थिक सहयोग संधि हो जाने के बाद निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच व्यापार नई बुलंदी पर पहुंचेगा।
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