मानसून उत्पत्ति की तापीय संकल्पना का प्रतिपादन ब्रिटिश विद्वानों द्वारा किया गया था, जिसमें डडले स्टांप और बेकर की महत्वपूर्ण भूमिका थी| इस संकल्पना के अनुसार तापमान, मानसून की उत्पत्ति का मुख्य कारण है| तापीय संकल्पना के अनुसार गर्मियों में सूर्य का उत्तरायण हो जाता है और सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्बवत पड़ती हैं| इस कारण भारत के थार मरुस्थल या भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में अत्यधिक निम्न दाब का निर्माण हो जाता, क्योंकि ताप व दाब में विपरीत संबंध पाया जाता है| इस निम्न दाब के कारण भारत के ऊपर से बहने वाली उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें, जोकि स्थल से सागर की ओर चलने के कारण वर्षा करने में असक्षम होती हैं, लुप्त हो जाती हैं| इसके बाद भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में उत्पन्न अत्यधिक निम्न दाब का केंद्र दक्षिणी गोलार्द्ध में बहने वाली दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनों को अपनी ओर आकर्षित करता है|
यह ध्यान देने योग्य है कि व्यापारिक पवनें (TradeWinds) दोनों गोलार्धों में 50 से 300 उत्तरी व दक्षिणी गोलार्धों के बीच प्रवाहित होती हैं| उत्तरी गोलार्द्ध में इन पवनों की दिशा उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्वी होती है| उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें, जोकि वर्ष के बाकी समय (मानसून के अलावा) भारत के ऊपर प्रवाहित होती हैं, स्थल से सागर की ओर चलने के कारण शुष्क होती हैं और वर्षा करने में असक्षम होती है| इसीलिए बाकी समय (मानसून के अलावा) भारत में वर्षा प्रायः नहीं होती है| दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनें सागर से स्थल की ओर चलने के कारण आर्द्र होती हैं और वर्षा करती हैं|
Image Courtesy: digital-rainbow.com
भारतीय निम्न दाब को भरने के लिए दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनें भूमध्य या विषुवत रेखा को पार कर दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाओं के रूप में भारत में प्रवेश करती हैं| जब ये पवनें विषुवत रेखा को पार करती हैं तो कोरियोलिस बल के कारण इनकी दिशा बदलकर दक्षिण-पश्चिमी हो जाती है| दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी पवनें सागरों के ऊपर बहने के कारण आर्द्र होती हैं और इसीलिए जब ये पवनें भारत में प्रवेश करती हैं तो वर्षा करती हैं|
भारतीय की प्रायद्वीपीय स्थिति इन पवनों को दो शाखाओं में बाँट देती है:
• अरब सागरीय शाखा
• बंगाल की खाड़ी शाखा
Image Courtesy: image.slidesharecdn.com
अरब सागरीय शाखा से भारत के पश्चिमी तट और पश्चिमी घाट में वर्षा होती है, और इसी की एक उप-शाखा गुजरात होती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है| बंगाल की खाड़ी की शाखा म्यांमार के अराकान योमा पर्वतों से सीधे टकराती है और फिर मुड़कर भारत के उत्तरी-पूर्वी भाग व पूर्वी भाग में वर्षा करती हुई गंगा के मैदान की ओर बढ़ती जाती है|
Comments
All Comments (0)
Join the conversation