यूएनईपी की पहली अनुकूलन अंतराल (गैप) रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा पहली यूएनईपी की पहली अनुकूलन अंतराल (गैप) रिपोर्ट 5 दिसंबर, 2014 को जारी की गयी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि  कार्बन उत्सर्जन में कटौती के बावजूद भी जलवायु परिवर्तन की वर्तमान अनुमानित अनुकूलन लागत 70-100 बिलियन डालर प्रतिवर्ष से 2050 तक दो या तीन गुना तक पहुंच जाएगी। हरित जलवायु कोष भविष्य में अनुकूलन के वित्त पोषण के अंतर को पूरा करने में एक केंद्रीय भूमिका निभा सकता है।

Dec 9, 2015, 12:00 IST

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा पहली यूएनईपी की पहली अनुकूलन अंतराल (गैप) रिपोर्ट 5 दिसंबर, 2014 को जारी की गयी थी। रिपोर्ट को लीमा, पेरू में जलवायु वार्ता के एक महत्वपूर्ण दौर के दौरान जारी किया गया था।

वित्त, प्रौद्योगिकी और ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक अनुकूलन अंतराल के प्रारंभिक आकलन के रूप में अनुकूलन गैप रिपोर्ट कार्य करती है। यह इस अंतराल को पाटने पर भविष्य के कार्य के लिए एक रूपरेखा तैयार करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को इस सदी में 2 डिग्री सेल्सियस तक रखने के लिए अपेक्षित स्तर तक कटौती की जा रही हो लेकिन अभी भी विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन की अनुकूलन लागत पुराने अनुमानों (70-100 बिलियन अमरीकी डॉलर प्रतिवर्ष) की तुलना में 2050 तक दो तीन गुना बढ़ जाने की संभावना है।

पहली अनुकूलन अंतराल रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं

  • अनुकूलन की वित्त लागत 2012-2013 में 23 बिलियन से 26 बिलियन अमेरिकी डालर तक पहुँचने के बावजूद भी 2020 के बाद यदि अनुकूलन के लिए नये और अतिरिक्त वित्त साधन उपलब्ध न कराये गए तो एक महत्वपूर्ण वित्त अंतराल उत्पन्न हो जाएगा ।
  • भविष्य में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करने के बावजूद अनुकूलन की लागत में वृद्धि होगी क्योंकि जलवायु परिवर्तन के तेज प्रभावों से समुदायों की रक्षा के लिए आगे भी अधिक ठोस कार्रवाई आवश्यक है।
  • सभी विकासशील देशों तक विश्लेषण का विस्तार एक ऐसी संभावना की ओर ईशारा करता है जिसकी अनुकूलन लागत 2025/2030 तक 150 बिलियन अमेरिकी डालर तक के उच्च स्तर तक पहुंच सकती है और 2050 तक यह 250-500 बिलियन अमेरिकी डालर प्रतिवर्ष तक पहुंच सकती है। यह लागतें इस धारणा पर आधारित हैं कि जिसे उत्सर्जन में कटौती के लिए व्यापक पैमाने पर कार्रवाई की गई है।
  • रिपोर्ट में इस बात का भी प्रमुखता से उल्लेख किया गया है कि अल्प विकसित देशों और छोटे द्वीप विकासशील देशों में भी बिना अधिक प्रयासों के कारण बहुत अधिक अनुकूलन अंतराल है, मौजूदा अनुकूलन अंतराल और वृहद होता जाएगा।

वित्तीय अंतर:

  • इस बात के सबूत है्ं कि हालिया वर्षों में अनुकूलन उद्देश्यों को लेकर वित्तीय प्रतिबद्धताओं में वृद्धि हुई है, लेकिन अनुकूलन के लिए वित्तीय प्रवाह की सही गणना (स्केलिंग) एक प्राथमिकता बनी हुई है।
  • निजी क्षेत्र द्वारा किया गया वित्तीय योगदान व्यवस्थित ढंग से उपयोग में नहीं लाया गया है। इस कारण अनुकूलन के लिए वित्तीय प्रवाह कम लग रहा है ।
  • उत्सर्जन सीमाओं की अंतरराष्ट्रीय नीलामी और घरेलू उत्सर्जन व्यापार योजनाओं, अंतरराष्ट्रीय परिवहन और वित्तीय लेन-देन के करों से राजस्व भत्ते की नीलामी द्वारा अतिरिक्त राजस्व में वृद्धि की जा सकती है।
  • अनुमानों के मुताबिक 2020 तक 26 से 115 बिलियन अमेरिकी डालर की वृद्धि हो सकती है जब कि 2050 तक 70 से 220 बिलियन अमेरिकी डालर की वृद्धि हो सकती है जो जलवायु परिवर्तन के न्यूनीकरण प्रयासों के स्तर पर निर्भर करता है।

प्रौद्योगिकीय अंतर

  • रिपोर्ट में इस बात का प्रमुखता से उल्लेख है कि पहले से ही मौजूद कई अनूकूलनों के लिए प्रौद्योगिकियों के प्रसार और अंतरराष्ट्रीय हस्तांतरण में तेजी लाने की आवश्यकता है। सरकारों को इस तकनीक की वृद्धि में आ रही बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है।
  • रिपोर्ट वैज्ञानिक रूप से विकसित बीज की तरह प्रतीत होती है जिसे अधिकतर अफ्रीकी देशों के लिए बदलते हुए मौसम के संदर्भ में कृषि को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • उदाहरण के लिए, मेडागास्कर में चावल की वह किस्में पेश की गयी हैं जो चार महीने में परिपक्व हो जाती हैं। ये चावल की किस्में चक्रवात मौसम के शुरू होने से पहले परिपक्व होकर तैयार या खड़ी हो जाती हैं।

ज्ञान का अंतर

  • रिपोर्ट अधिक प्रभावी ढंग से जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन पर मौजूदा ज्ञान का उपयोग करने के अवसरों की ओर भी इशारा करती है।
  • कई क्षेत्रों और देशों में व्यवस्थित पहचान और अनुकूलन ज्ञान अंतराल के विश्लेषण का अभाव है।
  •  विभिन्न वैज्ञानिक साक्ष्यों की व्याख्या  नयी खोजों को यदि सही समय पर नीति निर्मार्ताओं को उपलब्ध कराया जाये तो जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा हुई समस्यायों को कम किया जा सकता है।
Jagran Josh
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Education Desk

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