वायुमंडल की जानकारी तथा मौसम व जलवायु में अंतर

वायुमंडल हवा की एक विशाल चादर है, जो पृथ्वी को चारों तरफ से घेरे हुए है। यह जीवों को साँस लेने के लिए वायु प्रदान करता है और सूर्य की किरणों में निहित हानिकारक प्रभावों से भी उन्हें बचाता है। वायुमंडल में मुख्य रूप से नाइट्रोजन (78%), ऑक्सीजन (21%), आर्गन (0.93%), कार्बन डाईऑक्साइड (0.03%), हीलियम, ओजोन, और हाइड्रोजन (0.04%) जैसी गैसें शामिल होती हैं।

Mar 1, 2016, 15:53 IST

वायुमंडल हवा की एक विशाल चादर है, जो पृथ्वी को चारों तरफ से घेरे हुए है। यह जीवों को साँस लेने के लिए वायु प्रदान करता है और सूर्य की किरणों में निहित हानिकारक प्रभावों से भी उन्हें बचाता है। वायुमंडल में मुख्य रूप से नाइट्रोजन (78%), ऑक्सीजन (21%), आर्गन (0.93%), कार्बन डाईऑक्साइड (0.03%), हीलियम, ओजोन, और हाइड्रोजन जैसी गैसें शामिल होती हैं।

  • पौधों के अस्तित्व के लिए नाइट्रोजन बहुत महत्वपूर्ण है। पौधे हवा से सीधे नाइट्रोजन नहीं ले सकते हैं। मिट्टी और कुछ पौधों की जड़ों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया हवा से नाइट्रोजन लेते हैं और उसे पौधों के इस्तेमाल कर सकने योग्य रूप में बदल देते हैं।
  • हवा में प्रचूर मात्रा में पाई जाने वाली दूसरी गैस ऑक्सीजन है। मनुष्य और अन्य जन्तु हवा से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं लेकिन हरे पौधे प्रकाशसंश्लेषण क्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
  • कार्बन डाईऑक्साइड एक अन्य महत्वपूर्ण गैस है। हरे पौधे प्रकाशसंश्लेषण क्रिया के दौरान कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। मनुष्य या अन्य जन्तु श्वसन द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं। मनुष्यों या अन्य जन्तुओं द्वारा छोड़े जाने वाले कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा, पौधों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा के बराबर होती है|

वायुमंडल की संरचना

वायुमंडल को पाँच परतों में बांटा गया है। पृथ्वी के धरातल से अन्तरिक्ष की ओर इन परतों का क्रम निम्नलिखित है – क्षोभ मंडल, समताप मंडल, मध्यमंडल, तापमंडल और बाह्यमंडल।

  • क्षोभमंडलः यह परत वायुमंडल की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे निचली  परत है। इसकी औसत ऊँचाई 13 किमी है। हमारे साँस लेने योग्य वायु इसी मंडल में मौजूद रहती है। मौसम की लगभग सभी घटनाएं, जैसे वर्षा, कोहरा और ओलावृष्टि इसी परत में घटित होती हैं।
  • समतापमंडलः यह क्षोभमंडल के ऊपर स्थित होता है और 50 किमी की ऊँचाई तक फैला होता है। यह परत बादलों और मौसम संबंधी घटनाओं से लगभग मुक्त होती है और हवाई जहाजों के उड़ने के लिए सबसे आदर्श होती है। समताप मंडल की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें ओजन गैस की परत उपस्थित होती है।
  • मध्य मंडलः यह वायुमंडल की तीसरी परत है जो समतापमंडल के ऊपर 80 किमी की उंचाई तक विस्तृत है। अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने पर इस परत में पहुंचते ही उल्कापिंड जल जाते हैं।
  • तापमंडलः तापमंडल में उंचाई बढ़ने के साथ तापमान बहुत तेजी से बढ़ता है। आयनमंडल इसी परत का हिस्सा है। यह 80–400 किमी मोटा होता है। यह परत रेडियो प्रसारण में मदद करती है। वास्तव में, पृथ्वी द्वारा भेजी जाने वाली रेडियो तरंगें इसी परत से टकरा कर वापस आती हैं।
  • बाह्यमंडलः वायुमंडल का सबसे ऊपरी परत बाह्यमंडल है। इस परत में वायु बहुत विरल होती है। हीलियम और हाइड्रोजन जैसी हल्की गैसें यहीं से अंतरिक्ष में तैरती हैं।

मौसम और जलवायु

किसी स्थान की दिन-प्रतिदिन की वायुमंडलीय दशा को मौसम कहते हैं और मौसम के ही दीर्घकालिक औसत को जलवायु कहा जाता है | दूसरे शब्दों में मौसम अल्पकालिक वायुमंडलीय दशा को दर्शाता है और जलवायु दीर्घकालिक वायुमंडलीय दशा को दर्शाता है | मौसम व जलवायु दोनों के तत्व समान ही होते हैं, जैसे-तापमान, वायुदाब, आर्द्रता आदि | मौसम में परिवर्तन अल्पसमय में ही हो जाता है और जलवायु में परिवर्तन एक लंबे समय के दौरान होता है |

तापमान

तापमान से तात्पर्य वायु में निहित ऊष्मा की मात्रा से है और इसी के कारण मौसम ठंडा या गर्म महसूस होता है।वायुमंडल के तापमान का सीधा संबंध पृथ्वी को सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊष्मा से है |  वायुमंडल का तापमान न सिर्फ दिन और रात में बदलता है बल्कि एक मौसम से दूसरे  मौसम में भी बदल जाता है। सूर्यातप सूर्य से किरणों के रूप में पृथ्वी पर आने वाली सौर ऊर्जा है जो पृथ्वी के तापमान के वितरण को प्रभावित करता है क्योंकि  सूर्यातप की मात्रा भूमध्य रेखा से ध्रुवों की तरफ कम होती जाती है।

वायुदाब

वायु में निहित वजन से पृथ्वी की सतह पर पड़ने वाले दबाव को वायुदाब कहते हैं। समुद्र स्तर पर वायुदाब सबसे अधिक होता है और उंचाई के साथ इसमें कमी आती जाती है। क्षैतिज स्तर पर वायुदाब का वितरण उस स्थान पर पायी जाने वाली वायु के तापमान द्वारा प्रभावित होता है क्योंकि वायुदाब और तापमान में विपरीत संबंध पाया जाता है | निम्न वायुदाब वाले क्षेत्र वे हैं जहां तापमान अधिक होता है और हवा गर्म होकर उपर की ओर उठने लगती है। निम्नदाब वाले क्षेत्रों में बादलों का निर्माण होता है और वर्षा आदि होती है । उच्च वायुदाब वाले क्षेत्र वे हैं जहां तापमान कम होता है और हवा ठंडी होकर नीचे की ओर बैठने लगती है। निम्नदाब वाले क्षेत्रों में साफ मौसम पाया जाता है और वर्षा नहीं होती है । वायु हमेशा उच्च दबाव वाले क्षेत्र से कम– दबाव वाले क्षेत्र की ओर बहती है।

पवन

पवन उच्च दबाव वाले क्षेत्र से कम दबाव वाले क्षेत्रों की ओर बहने वाली गतिशील हवा को पवन कहते है। पवनें तीन प्रकार की होती हैं– स्थायी पवन, मौसमी पवन और स्थानीय पवन |

  • स्थायी पवनः व्यापारिक पवनें, पछुआ पवनें और ध्रुवीय पवनें स्थायी पवनें होती हैं। ये पूरे वर्ष एक ही दिशा विशेष में लगातार चलती रहती हैं।
  • मौसमी पवनें : इन हवाओं की दिशाएं अलग– अलग मौसमों में अलग– अलग होती हैं। उदाहरण – मॉनसूनी पवनें
  • स्थानीय पवनः ये पवनें छोटे क्षेत्र में सिर्फ दिन के कुछ समय या वर्ष की खास अवधि के दौरान ही चलती हैं। उदाहरण- लू आदि

आर्द्रता

वायु में  पायी जाने वाली जल या नमी की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं | यह आर्द्रता स्थल या विभिन्न जल निकायों से होने वाले वाष्पीकरण या वाष्पोत्सर्जन द्वारा वाष्प के रूप में वायुमंडल में शामिल होती है | जब आर्द्रतायुक्त वायु ऊपर उठती है तो संघनित होकर जल की बूंदों का निर्माण करती है। बादल इन्ही जल बूंदों के समूह होते हैं। जब पानी की ये बूंदें हवा में तैरने के लिहाज से बहुत भारी हो जाती हैं तो बहुत तेजी से जमीन पर आती हैं। आर्द्रता के तरल रूप में पृथ्वी के धरातल पर वापस आने की क्रिया वर्षा कहलाती है। यह वर्षा तीन प्रकार की होती हैः संवहनीय वर्षा, पर्वतीय वर्षा और चक्रवातीय वर्षा। पौधौं और पशुओं के अस्तित्व के लिए वर्षा बहुत महत्वपूर्ण है। यह पृथ्वी की सतह पर ताजे पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत है।

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